कामचलाऊ एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी पालमपुर में भाजपा की बल्ले-बल्ले,हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस और भाजपा की समानांतर सरकार: सुक्खू सरकार पर उठ रहे सवाल
चौधरी सरवन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के कार्यवाहक वाइस चांसलर हुए भाजपाइयों पर मेहरबान
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हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस और भाजपा की समानांतर सरकार: सुक्खू सरकार पर उठ रहे सवाल
INDIA REPORTER TODAY
SHIMLA : RACHNA SHARMA
हिमाचल प्रदेश में पिछले दो वर्षों से कांग्रेस की सुखविंदर सुक्खू सरकार काबिज है। लेकिन यह सरकार अपने कार्यकाल में एक अनोखे संतुलन के लिए चर्चा का विषय बन गई है। राज्य में ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे कांग्रेस और भाजपा की समानांतर सरकारें चल रही हों। कांग्रेस समर्थक जहां अपने काम के लिए संघर्षरत हैं, वहीं भाजपा समर्थित व्यक्तियों को विशेष प्राथमिकता मिलने के आरोप लग रहे हैं।
चौधरी सरवन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में पिछले 2 वर्ष से काम चलाऊ कुलपतियों की नियुक्ति के कारण विश्वविद्यालय का भट्ठा बैठ गया है। विद्यार्थी अध्यापकों पर पैसा हड़पने के आरोप लगा रहे है। एस्टेट सैल में भी भ्रष्टाचार सिर चढ़कर बोल रहा है कोई पूछने वाला नहीं अंधेर नगरी और चौपट राजा वाली बात सिद्ध हो रही है। काम चलाऊ अयोग्य कुलपतियों के कारण देशभर में नाम कमाने वाला कृषि विश्वविद्यालय आज गहरी खाई में गिरता दिख रहा है लेकिन किसी को कोई परवाह नहीं, न मुख्यमंत्री को और न ही राज्यपाल को। हर कोई अपनी अपनी डफली बजाने में व्यस्त है । बच्चों और अध्यापकों का भविष्य जाए भाड़ में, किसी को क्या! ऐसा जंगल राज पिछले 47 वर्ष के इतिहास में कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में आज तक देखने को नहीं मिला।
इसका सबसे बड़ा उदाहरण चौधरी सरवन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर में देखने को मिला। हाल ही में एक रेडियोग्राफर, जो भाजपा समर्थक बताया जा रहा है, को कार्यकाल समाप्ति के बाद भी एक्सटेंशन दे दिया गया। यह निर्णय कांग्रेस समर्थित कार्यकर्ताओं को नाराज कर गया है। वर्तमान कार्यवाहक कुलपति के कार्यकाल में भाजपा समर्थकों के काम बिना किसी रोक-टोक के हो रहे हैं, जबकि एनएसयूआई, जो कांग्रेस समर्थित छात्र संगठन है, लगभग निष्क्रिय हो चुका है। दूसरी ओर, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के कार्यक्रम बिना किसी बाधा के धड़ल्ले से आयोजित किए जा रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सुक्खू सरकार की इस निष्क्रियता ने कांग्रेस समर्थकों के मनोबल को तोड़ दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री राजा वीरभद्र सिंह के कार्यकाल में कांग्रेस की सरकार पर उनकी पूरी पकड़ थी। उनके समय में बिना उनकी अनुमति कोई बड़ा निर्णय नहीं लिया जाता था। लेकिन वर्तमान सरकार की स्थिति इसके विपरीत है।
सरकारी विभागों में भी भाजपा समर्थित कर्मचारियों को लगातार एक्सटेंशन मिल रही है। हमीरपुर, मंडी और कांगड़ा जैसे जिलों में ऐसी घटनाएं आम हो गई हैं। कांग्रेस समर्थक कार्यकर्ता और कर्मचारी अपने कार्यों के लिए लंबा इंतजार कर रहे हैं।
सुक्खू सरकार की इस नीति ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं के मन में गहरी नाराजगी पैदा कर दी है। भाजपा समर्थकों को मिल रही प्राथमिकता से कांग्रेस समर्थक यह महसूस कर रहे हैं कि सरकार उनके हितों की अनदेखी कर रही है। यह स्थिति न केवल कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लिए चिंता का विषय है, बल्कि कांग्रेस के समर्पित वोट बैंक पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
आलोचक यह सवाल उठा रहे हैं कि सुक्खू सरकार आखिर किसके इशारे पर चल रही है। क्या यह राजनीतिक संतुलन बनाने का प्रयास है या फिर कांग्रेस सरकार की निष्क्रियता का परिणाम? आने वाले समय में इसका असर हिमाचल की राजनीति पर स्पष्ट दिखाई देगा।
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