कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में ज़िला स्तरीय विश्व एड्स दिवस जिला स्तरीय समारोह, जादू की झप्पी, जीवन कौशल विधियों पर चर्चा, रेड रिबन के आकार में मानव श्रृंख्ला, एचआईवी चैम्पियन, सोशल मीडिया में रैड रिबन क्लब डीपी, विशाल रेड रिबन मैगा कैन्वस

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कृषि विश्व विद्यालय पालमपुर में ज़िला स्तरीय विश्व एड्स दिवस जिला स्तरीय समारोह

जादू की झप्पी, जीवन कौशल विधियों पर चर्चा, रेड रिबन के आकार में मानव श्रृंख्ला, एचआईवी चैम्पियन, सोशल मीडिया में रैड रिबन क्लब डीपी, विशाल रेड रिबन मैगा कैन्वस

RAJESH SURYAVANSHI, EDITOR-IN-CHIEF, HR MEDIA GROUP cum FOUNDER CHAIRMAN, MISSION AGAINST CORRUPTION, H.P. MOB. 9418130904, 8988539600, 01894299845, 01894292805

विश्व एड्स दिवस पर ज़िला स्तरीय समारोह चैधरी सरवन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्व विद्यालय पालमपुर में मनाया गया जिसमें 250 युवाओं ने परिचर्चा में भाग लिया।


इस अवसर पर ज़िला स्वास्थ्य अधिकारी व ज़िला एड्स कार्यक्रम अधिकारी डॉ. आर.के. सूद ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि एच आई वी के साथ जुड़ा कलंक व भेदभाव स्वास्थ्य के साथ इसे सामाजिक समस्या भी बनाता है और 15 -49 वर्ष आयु के व्यक्तियों का एच आई वी से संक्रमित होने से आर्थिक समस्या भी बनती है, अतः एच आई वी एक सामाजिक आर्थिक चुनौती है।

विश्व में 3.9 करोड़ व्यक्ति एच.आई.वी. के साथ जी रहे हैं । हमारे देश में 25 लाख व्यक्ति एच आई वी संक्रमित हैं।

30 अक्टूबर 2024 तक हिमाचल प्रदेश में 5897 व्यक्ति एच.आई.वी संक्रमित हैं, जिनमें से 1576 जिला कांगड़ा के हैं जो कि जनसँख्या का 0.10% है।

बेहतरीन जीवन कौशल कि विधाओं से हम न केवल एच.आइ.वी व् एड्स व नशे के मकडजाल से बचते हैं अपितु अपनी बहुआयामी व्यक्तित्व का निर्माण भी करते है।

युवाओं के साथ किशोर अवस्था होने वाले परिवर्तन व उससे निपटने के लिए जीवन कौशल पर परिचर्चा में भाग लेते हुए जिम्मेदार व्यवहार से व स्वस्थ जीवन शैली पर बल दिया।

रेड रिबन के आकार में मानव श्रृंख्ला बना कर युवाओं ने अनूठे तरीके से कलंक व भेदभाव न करने का संदेश दिया। यह एड्स के खि़लाफ़ एकजुटता का प्रतीक है।

इस अवसर पर छात्र कल्याण अधिकारी डॉ ए.के. पाण्डा, उप छात्र कल्याण अधिकारी डॉ. अंजली सूद, रैड रिबन क्लब के नोडल अधिकारी डॉ. अरूण, पार्वती, होस्टल वार्डन डॉ अरूणा राणा, आईसीटीसी काउंसलर रोज़ी भी उपस्थित रहे।

एचआईवी चैम्पियन श्रेष्ठा देवी ने अपने जीवन के अनुभव सांझा किए व युवाओं ने जादू की झप्पी डाल कर संदेश दिया कि हाथ मिलाने से, छूने से एचआईवी नहीं फैलता।

उन्होंने यह जानकरी भी दी कि एड्स बिमारी के साथ अज्ञानता के कारण कुछ गलत फहमियां जुड़ गई हैं, जिसके कारण एड्स पीड़ितों को समाज में तिरस्कार की भावना से देखा जाता है।

यह बिमारी केवल असुरक्षित यौन संबंध, असुरक्षित सुईयों का प्रयोग, संक्रमित रक्त रोगी को चढ़ाने व HIV संक्रमित गर्भवती माँ से बच्चे को होती है। यह बीमारी एच.आई.वी. एड्स से प्रभावित व्यक्ति के साथ सामान्य संपर्क जैसे हाथ मिलाने, छूने, काम करने व खेलने, उसके बर्तनों व कपड़ों का इस्तेमाल करने, उसके द्वारा पकाया भोजन खाने अथवा मच्छर या किसी अन्य कीड़े के काटने, स्विमिंग पूल में नहाने या शौचालयों के उपयोग से एड्स नहीं फैलता है।

गौरी बाॅयज़ होस्टल के युवाओं ने स्किट के माध्यम से कलंक व भेदभाव दूर करने का सार्थक प्रयास किया वहीं पार्वती छात्रावास के युवाओं ने रंगोली के माध्यम से अपनी प्रतिबद्धता का परिचय दिया।

विशाल रेड रिबन मैगा कैन्वस के साथ युवाओं ने सैल्फ़ी ली । युवाओं ने सोषल मीडिया में रैड रिबन क्लब डीपी डाल कर अपने फाॅलोअर्ज़ को भी इस विषय पी जागरूक किया।

रेड रिबन क्लब युवाओं को अपनी भावनाओं की रचनात्मक अभिव्यक्ति के लिए मंच प्रदान करने की सार्थक पहल है वहीं युवाओं में स्वास्थ्य संबंधी सही जानकारी का प्रचार प्रसार व भ्रांतियों को दूर करने के लिए प्रयासरत हैं। जिला भर में जागरूकता अभियान के दौरान प्रशिक्षित रेड रिबन क्लब के पीयर एजूकेटर, पाजीटिव व्यक्ति की मदद के लिए कार्यकर्ता अग्रणी भूमिका निभाएंगे, जैसे मुफ्त ए.आर.टी. दवा दिलवाने में मदद करेंगे, व एच.आई.वी. के साथ जी रहे लोगों से मेलजोल बनाए रखेंगे व दोस्ताना व्यवहार करके मिसाल प्रस्तुत करेंगे। इस अवसर पर एच.आई़.वी./एड्स से जुड़ी भ्रांतियां दूर करने का संकल्प लिया गया। यह भी संकल्प लिया कि एच.आई.वी.-एड्स के साथ जी रहे लोगों की मदद के लिये लोगों को समझाएंगे कि उनके साथ भेदभाव न करें। क्लब युवाओं को एच.आई.वी./एड्स की समस्या के बारे में सही जानकारी देने के लिए प्रतिबद्ध है और लोगों में इस बीमारी के बारे में खुली चर्चा की जा रही है।
युवाओं ने मुख्याथिथि का रेड रिब्बन पहनाकर स्वागत किया व सभी ने रेड रिब्बन पहने । रेड रिबन एचआईवी/ एड्स जागरूकता का अंतरराष्ट्रीय प्रतीक है।

अपना स्टेटस जानें

प्रतिभागियों को आई. सी.टी.सी. में मुफ्त व गोपनीय एच.आई.वी. जांच तथा मुफ्त फोन नं 1097 की जानकारी दी गई। जिला एड्स कार्यक्रम अधिकारी ने आहवान किया कि सभी आई.सी.टी.सी. में जाकर अपना स्टेटस जानें यदि नैगेटिव हो तो निश्चिंत हो जाएं व आगे के लिये बचाव रखें। यदि पाजीटिव हों तो निःशुल्क ए.आर.टी. का लाभ उठायें व लम्बा व स्वस्थ जीवन बितायें। और यदि वह एच.आई.वी. पाजीटिव हैं तो वह मुफ्त इलाज करवा सकता है ए.आर.टी. की दवा से एच.आई.वी संक्रमित लंबा व स्वस्थ जीवन जी सकता है। यदि किसी व्यक्ति को अपने एच.आई.वी. स्टेटस का पता नहीं है तो वह अपने ईलाज की सुविधा से वंचित रह जाएगा। एच.आई.वी. संक्रमण लम्बे समय तक लक्षण रहित होता है व एच.आई.वी. पाजीटिव व्यक्ति देखने में सामान्य लगता है। ए.आर.टी. का लाभ व्यक्ति तभी ले पाएगा जब वह अपने एच.आई.वी. स्टेटस को जान लेगा। जिस प्रकार हृदय रोग के लिए ECG टैस्ट करवा कर पता चलता है, एच.आई.वी संक्रमण का पता रक्त की जांच से लग सकता है।
उन्होंने यह जानकरी भी दी कि एड्स बिमारी के साथ अज्ञानता के कारण कुछ गलत फहमियां जुड़ गई हैं, जिसके कारण एड्स पीड़ितों को समाज में तिरस्कार की भावना से देखा जाता है। यह बिमारी केवल असुरक्षित यौन संबंध, असुरक्षित सुईयों का प्रयोग, संक्रमित रक्त रोगी को चढ़ाने व HIV संक्रमित गर्भवती माँ से बच्चे को होती है। यह बीमारी एच.आई.वी. एड्स से प्रभावित व्यक्ति के साथ सामान्य संपर्क जैसे हाथ मिलाने, छूने, काम करने व खेलने, उसके बर्तनों व कपड़ों का इस्तेमाल करने, उसके द्वारा पकाया भोजन खाने अथवा मच्छर या किसी अन्य कीड़े के काटने, स्विमिंग पूल में नहाने या शौचालयों के उपयोग से एड्स नहीं फैलता है।

अधिकारों के मार्ग पर चलें

इस वर्ष अभियान नारा है – अधिकारों के मार्ग पर चलें । यह थीम एचआईवी/एड्स महामारी से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए मानव अधिकारों को बनाए रखने के महत्व पर जोर देती है। यह लोगों के अधिकारों का उल्लंघन करने वाले कानूनी और सामाजिक अवरोधों को हटाने की वकालत करता है, जैसे भेदभावपूर्ण कानून और अपराधीकरण जो एचआईवी से पीड़ित लोगों के लिए स्वास्थ्य सेवा और सामाजिक समर्थन तक पहुँच में बाधा डालते हैं। यह अभियान संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार घोषणा के सिद्धांतों के अनुरूप है, जिसमें जोर दिया गया है कि एड्स को समाप्त करने और वैश्विक स्तर पर स्थायी स्वास्थ्य परिणाम सुनिश्चित करने के लिए सभी के अधिकारों की रक्षा करना महत्वपूर्ण है।
यह थीम नेताओं और समुदायों को समावेशी नीतियों को बढ़ावा देने और एचआईवी की रोकथाम, उपचार और बिना किसी कलंक के देखभाल का समर्थन करने वाले कानूनी ढांचे बनाने के लिए भी प्रोत्साहित करती है। यूएनएड्स अभियान इस बात पर प्रकाश डालता है कि एड्स को समाप्त करने का लक्ष्य प्राप्त करना मानव अधिकारों की रक्षा, समान स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच सुनिश्चित करने और दिसंबर और उसके बाद एचआईवी/एड्स से प्रभावित लोगों के लिए एक सहायक वातावरण को बढ़ावा देने पर निर्भर करता है।

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