नेहरू ने नहीं बनवाया था AIIMS

उसे कपूरथला की राजकुमारी अमृत कौर ने बनवाया था

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नेहरू ने नहीं बनवाया था AIIMS

    • जिस एम्स को बनवाने का श्रेय कांग्रेसी लेते हैं असल में उसे कपूरथला की राजकुमारी अमृत कौर ने बनवाया था

INDIA REPORTER TODAY

NARENDER SINGH PATHANIA

आजकल हर कांग्रेसी यह जरूर कहता है कि एम्स तो नेहरू ने बनवाया था। जब भी अमित शाह एम्स में या बीजेपी का कोई नेता एम्स में भर्ती होता है तब कांग्रेसी यह तंज जरूर करते हैं कि नेहरू के बनवाए अस्पताल में भर्ती हुए

जबकि सच्चाई कुछ और है

एम्स की स्थापना में नेहरू का कोई भी योगदान नहीं था।
एम्स राजकुमारी अमृत कौर अहलूवालिया ने बनवाई थी जो कपूरथला राज परिवार से थीं।

राजकुमारी अमृत कौर लंदन में पढ़ाई के दौरान ही ईसाई मिशनरियों के संपर्क में आने से कैथोलिक बन गई थी। जलियांवाला बाग हत्याकांड में इनके मन में अंग्रेजों के प्रति नफरत हुई और यह देश की आजादी की लड़ाई से जुड़ गईं। यह 17 सालों तक महात्मा गांधी की निजी सचिव थी।

देश की आजादी के बाद यह भारत की पहली स्वास्थ्य मंत्री बनी थीं। इन्होंने जब नेहरू के सामने एक ऐसा हॉस्पिटल बनाने का प्रस्ताव रखा जो बेहद बेजोड़ हो तब नेहरू ने फंड की कमी का हवाला देकर मना कर दिया था।

क्योंकि राजकुमारी अमृत कौर ईसाई मिशनरियों से जुड़ी थीं, खुद कैथोलिक थीं और लंदन, जर्मनी व ऑस्ट्रिया में रही थीं इसलिए उन्होंने लंदन, जर्मनी, ऑस्ट्रिया, न्यूजीलैंड, अमेरिका और कनाडा जैसे देशों से फंडिंग का इंतजाम किया। इतना ही नहीं उन्होंने अपनी 100 एकड़ पैतृक जमीन भी बेच दी…. और इस तरह एम्स का निर्माण हुआ।

बाद में उन्होंने अपना मनाली और शिमला का आलीशान बंगला भी एम्स को दान कर दिया ताकि एम्स में काम करने वाले डॉक्टर और नर्स छुट्टियां मनाने के लिए वहां रुक सकें।

आइये जानते हैं…

राजकुमारीअमृतकौर_आहलुवालिया का जन्म २ फ़रवरी १८८९ को उत्तर प्रदेश राज्य के लखनऊ नगर में हुआ था। इनकी उच्च शिक्षा इंग्लैंड में हुई। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से एम. ए. पास करने के उपरांत वह भारत वापस लौटीं।

१९४५ में यूनेस्को की बैठकों में सम्मिलित होने के लिए जो भारतीय प्रतिनिधि दल लंदन गया था, राजकुमारी अमृत कौर आहलुवालिया उसकी उपनेत्री थी। १९४६ में जब यह प्रतिनिधिमंडल यूनेस्को की सभाओं में भाग लेने के लिए पेरिस गया, तब भी वे इसकी उपनेत्री (डिप्टी लीडर) थीं। १९४८ और १९४९ में वह ‘आल इंडिया कॉन्फ्रेंस ऑफ सोशल वर्क’ की अध्यक्षता रहीं। १९५० ई. में वह वर्ल्ड हेल्थ असेंबली की अध्यक्षा निर्वाचित हुई।

१९४७ से १९५७ ई. तक वह भारत सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहीं। १९५७ ई. में नई दिल्ली में उन्नीसवीं इंटरनेशनल रेडक्रास कॉन्फ्रेंस राजकुमारी अमृत कौर आहलुवालिया की अध्यक्षता में हुई। १९५० ई. से १९६४ ई. तक वह लीग ऑफ रेडक्रास सोसाइटीज की सहायक अध्यक्ष रहीं। वह १९४८ ई. से १९६४ तक सेंट जॉन एमबुलेंस ब्रिगेड की चीफ कमिशनर तथा इंडियन कौंसिल ऑफ चाइल्ड वेलफेयर की मुख्य अधिकारिणी रहीं। साथ ही वह आल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑव मेडिकल साइंस की अध्यक्षा भी रहीं।

राजकुमारी को खेलों से बड़ा प्रेम था। नेशनल स्पोर्ट्स क्लब ऑव इंडिया की स्थापना इन्होंने की थी और इस क्लब की वह अध्यक्षा शुरु से रहीं। उनको टेनिस खेलने का बड़ा शौक था। कई बार टेनिस चैंपियनशिप उनको मिली।

वे ट्यूबरक्यूलोसिस एसोसियेशन ऑव इंडिया तथा हिंद कुष्ट निवारण संघ की आरंभ से अध्यक्षता रही थीं। वे गांधी स्मारक निधि और जलियानवाला बाग नेशनल मेमोरियल ट्रस्ट की ट्रस्टी, कौंसिल ऑव साइंटिफिक तथा इंडस्ट्रियल रिसर्च की गवनिंग बाडी की सदस्या, तथा दिल्ली म्यूजिक सोसाइटी की अध्यक्षा थीं।

राजकुमारी एक प्रसिद्ध विदुषी महिला थीं। उन्हें दिल्ली विश्वविद्यालय, स्मिथ कालेज, वेस्टर्न कालेज, मेकमरे कालेज आदि से डाक्ट्रेट मिली थी। उन्हें फूलों से तथा बच्चों से बड़ा प्रेम था। वे बिल्कुल शाकाहारी थीं और सादगी से जीवन व्यतीत करती थीं। बाइबिल के अतिरिक्त वे रामायण और गीता को भी प्रतिदिन पढ़ने से उन्हें शांति मिलती थी। हिमाचल के मंडी से उन्होंने पहला चुनाव लड़ा था व आजाद भारत की पहली स्वास्थ्य मंत्री रही यही नहीं उन्होंने दिल्ली में एम्स की स्थापना के लिए भी काम किया ऐम्स उन्हीं की देन है।

उनकी मृत्यु २ अक्टूबर १९६४ को दिल्ली में हुई। उनकी इच्छा के अनुसार उनको दफनाया नहीं गया, बल्कि जलाया गया।

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