सुक्खू भाई ने पार्टी से गद्दारी करना नहीं सिखाया हमें, विधायक बोले। बागी विधायक राजिंद्र राणा की बात में कोई दम नहीं, निकली शगूफा, सभी विधायक सुक्खू के साथ कंधे से कंधा मिला कर खड़े दिखे..

मुख्यमंत्री सुखविंद्र सुक्खू पर जान लुटाने की बात कर रहे हैं सभी विधायक

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RAJESH SURYAVANSHI
Editor-in-chief, HR  MEDIA NETWORK, Chairman; Mission Against Corruption Bureau, HP. Mobile : 9418130904
हिमाचल प्रदेश कांग्रेस विधायक दल के बाग़ी एमएलए श्री राजेन्द्र राणा खुलेआम दम भर रहे थे कि कांग्रेस के 9 विधायक उनके संपर्क में हैं जो कभी भी मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू का साथ छोड़ कर बागियों का दामन थाम सकते हैं।
IRTN की टीम ने हरकत में आकर इस दावे की सच्चाई जानने के अथाह प्रयास किया।
काफी मशक्कत करने के बाद जब कुछ संबंधित सम्भावित दिखने वाले विधायकों से संपर्क साधा गया तो सभी विधायकों ने इस बात से कन्नी काटते हुए स्पष्ट किया कि वे बागी विधायकों की तरह अपने पांव पर खुद कुल्हाड़ी मार कर अपना राजनीतिक भविष्य बर्बाद नहीं कर सकते।
उनमें से अधिकतर ने यही कहा कि बागी विधायक दल एक डूबता हुआ जहाज़ है, कौन समझदार व्यक्ति उसमें बैठना चाहेगा। उन्होंने कहा कि वे अपनी मां समान पार्टी के साथ कभी गद्दारी नहीं कर सकते, भले ही सारी दुनिया की दौलत भी उनके कदमों में क्यों न रख दी जाए। और यह जुनून हमने अपने यशस्वी मुख्यमंत्री सुक्खू भाई से सीखा है। उन्होने यह भी कहा कि हिंदुस्तान का इतिहास गवाह है कि सत्ता सुख के लिए कुछ पुत्रों ने अपने ही पिता को सलाखों में कैद कर दिया। लेकिन सुक्खू भाई ने ऐसा क्या कर डाला? वर्चस्व की लड़ाई तो हर किसी की होती है। भले ही स्व. मुख्यमंत्री राजा वीरभद्र सिंह और सुक्खू जी के बीच कुछ मसलों को लेकर कुछ तनातनी होती थी। इसी वजह से 20 साल तक विधायक बनने के बावजूद स्व वीरभद्र सिंह ने मंत्री तो दूर की बात, किसी बोर्ड का चेयरमैन या सदस्य तक नहीं बनाया। सोचिये, तब उनके मन में क्या बीतती होगी। लेकिन फिर भी उन्होंने न तो सरकार को कभी कोई नुकसान पहुंचाया और न ही पार्टी के साथ कभी कोई गद्दारी करने की सोची। चुपचाप एक ईमानदार और कर्मठ सिपाही की तरह पूरी निष्ठा से अपने कार्य में जुटे रहे और कांग्रेस को सदा मज़बूत बनाये रखने के लिए प्रयासरत रहे।
एक विधायक ने तो इतना तक कह दिया कि -“आज हम जिस स्थान पर हैं वह सुक्खू भाई की ही देन है। पार्टी से वफ़ादारी करना हमने सुक्खू भाई से ही सीखा है और हम किसी के बरगलाने पर कभी भी मां समान पार्टी के साथ गद्दारी करने की सोच भी नहीं सकते, करना तो कोसों दूर की बात।”
एक अन्य संदिग्ध माने जाने वाले विधायक का कहना था- “अगर सुक्खू भाई 20 साल तक बिना किसी पद के ईमानदार और सच्चे सिपाही बन कर रह सकते हैं तो हम क्यों नहीं। इसलिए हमने जनसेवा का जो रास्ता चुना हैं उससे पृथक नहीं होंगे, कभी भी।”
एक और विधायक ने कहा कि –“क्या जब कोई हमारी माता के बारे में हमें कोई गलत बात कहता है तो क्या हम उसे त्याग देते हैं, कदापि नहीं। हम अपने घर में आपसी बातचीत से खुद अपने मसले सुलझाते हैं। किसी बाहरी व्यक्ति को हस्तक्षेप नहीं करने देते।
ठीक इसी प्रकार जब राजेन्द्र राणा और सुधीर शर्मा के एक करीबी विधायक के मत जानना चाहा तो उन्होनें बेबाकी से कहा-‘मैं जहां हूं, वहीं अच्छा हूं भैया। मुझे परेशानी के दौरमें सुक्खू भाई को छोड़ कर कहीं नहीं जाना। जो बागी हो चुके हैं उनके हाल पूरे देश के सामने हैं। जगह-जगह से उनके सार्वजनिक पोस्टर छपने की खबरें आ रही हैं। उनकी बुरी तरह थू-थू हो रही है। हो भी कहूँ न, उन्होंने अपनी मां के साथ गद्दारी की है जोकि अक्षम्य है। उनकी कांस्टीट्यूएंसी के लोग इसी ताक में बैठे हैं कि कब ये गद्दार अपने घर आए और हम उनका जूतों के हार से स्वागत करें।
इसी तरह सभी विधायकों ने अपने विचार रखते हुए मुख्यमंत्री सुक्खू का साथ कभी न छोड़ने की कसम दोहराई और पार्टी को मजबूत करने की बात कही। इससे साबित होता है कि बागी विधायक बाकी 9 विधायकों को साथ मिलाकर कांग्रेस सरकार को तोड़ने का जो दम भर रहे हैं, उस दम में कोई दम नहीं है।

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