शुभ अमृत वेला मुबारक सच्चे नाम दा सिमरन स्वांस स्वांस सिमरन दा वेला मुबारक।।*
गुरु की महिमा अपरम्पार
गुरु की महिमा अपरम्पार
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B.K. SOOD
*हे मेरे प्रभुजी ! हे सतगुरु !*
*अपने पाँचों नियमों में मुझे दृढ करो !*
*ऐसी बख्शिश मुझ पर करो*
*कि आपने अगर ये मानुष-तन दिया है। तो इस तन को सफल करने के लिए करुणा करो !*
*दया करो ! ताकि मेरा ये मानुष-जन्म सफल हो जाए ! मैं जब भी आरती करूँतो मेरा मन पूरी तरह आरती में एकाग्र हो और इधर-उधर न भटके !*
*हे सतगुरु ! आपकी किरपा से ही ये संभव है।,आपकी दया से ही मेरा मन काबू में आ सकता है। इसलिए आप किरपा करोकि मेरा मन न भटके !*
*मेरा मन आपकेही, आप ही का कारज करते हुए, आप ही की लीलाओं का चिंतन करे !एक-एक शब्द पर ध्यान देता हुआ आप ही को याद करे, आप ही का स्मरण करे !*
*ऐसी मेरे मन की हवस बना दो ! हे मेरे स्वामी ! ऐसी दया करो कि न मैं आपको विसरुं न आप मुझे विसरो ! ऐसी करुणा मुझ पर सदा बनाए रखना !*
*ऐ आनंदमय भगवन! मुझे प्रसन्ता दो। ऐ मधुरमय प्रभु! मुझे मधुर वाणी दो। ऐ परम पावन परमात्मा ! मुझे ह्रदय की पवित्रता दो।।*
*सभी सतगुरु के सच्चे प्रेमियों*
*को प्रेमभरा जय राधा स्वामी जी*
*शुभ अमृत वेला मुबारक सच्चे नाम दा सिमरन स्वांस स्वांस सिमरन दा वेला मुबारक।।*
*ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ*