आशीष बुटेल की राह हुई आसान : 2027 के विधानसभा चुनाव में पालमपुर में कांग्रेस का रास्ता साफ, बहुत कठिन है डगर भाजपा की

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कांग्रेस का रास्ता साफ, बहुत कठिन है राह भाजपा की 

INDIA REPORTER TODAY (IRT)

 

इंडिया रिपोर्टर टूडे ब्यूरो

पालमपुर : विजय शर्मा

हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सुक्खू सरकार को बने अढ़ाई वर्ष होने को आए हैं। अंतिम वर्ष काउंटडाउन में सत्ता पक्ष और विपक्ष की तीखी नोकझोंक में ही बीत जाएगा, जिससे राजनीतिक हलचल तेज हो जाएगी।

अब ले-देकर मात्र डेढ़ साल ही शेष बचा है, परिणामस्वरूप भाजपा और कांग्रेस, दोनों प्रमुख पार्टियों में अपने-अपने उम्मीदवारों को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गई है। राजनीतिक गोटियां खेलने, चले चलने का दौर आरंभ हो गया है।

काबिले गौर है कि पालमपुर विधानसभा चुनाव क्षेत्र हमेशा से ही पूरे प्रदेश की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। यह राजनीति का केंद्र बिंदु है, और सभी विधानसभा चुनावों में पालमपुर पर पूरे प्रदेश की नजर टिकी रहती है।

हिमाचल प्रदेश की राजनीति में पालमपुर विधानसभा क्षेत्र आगामी 2027 के चुनावों को लेकर चर्चा में बना हुआ है।

वर्तमान विधायक आशीष बुटेल न केवल अपनी मजबूत पकड़ बनाए हुए हैं, बल्कि निरंतर विकास कार्यों, शालीन व्यवहार और सहज संवाद शैली के कारण जनता का विश्वास भी जीतते जा रहे हैं।

दूसरी ओर, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए स्थिति चिंताजनक बनी हुई है क्योंकि उसके पास कोई सशक्त उम्मीदवार नजर नहीं आ रहा है जो कांग्रेस के आशीष बुटेल को टक्कर दे सके।

भाजपा से जुड़े कई कार्यकर्ता टिकट मिलने की उम्मीद लगाए बैठे हैं, लेकिन उनमें से कोई भी ऐसा प्रभावी नेता नहीं है जो विधानसभा स्तर पर सशक्त चुनौती पेश कर सके।

इससे पहले, आशीष बुटेल की काबिलियत के कारण ही नगर निगम पालमपुर के चुनाव में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा था, जबकि कांग्रेस ने भारी बहुमत से जीत दर्ज की थी।

संभावित उम्मीदवारों की स्थिति

भाजपा में कुछ नाम सामने आ रहे हैं, लेकिन वे भी पालमपुर में मजबूत जनाधार नहीं रखते। उदाहरण के लिए, इंदु गोस्वामी, जो वर्तमान में राज्यसभा सांसद हैं, का नाम पालमपुर सीट के लिए चर्चा में है। हालांकि, वे बैजनाथ से हैं और पालमपुर में उनकी कोई विशेष पकड़ नहीं है। इसी वजह से पहले भी उन्हें हर का सामना करना पड़ा था। 

इसी तरह, त्रिलोक कपूर का नाम भी सामने आ रहा है, हालांकि उन्होंने लोगों के काफी निजी कार्य करवाए लेकिन उनकी छवि और व्यवहार को लेकर क्षेत्र में नकारात्मक धारणा बनी हुई है।

स्थानीय लोगों के अनुसार, उनका संवाद का तरीका संतोषजनक नहीं है, जिससे उनकी उम्मीदवारी को लेकर संशय बरकरार है।

त्रिलोक कपूर ने पिछले चुनाव में जीत सुनिश्चित मानते हुए चुनावी नतीजे आने से पहले ही अपनी जीत की घोषणा कर दी थी, लेकिन जनता ने उन्हें पूरी तरह नकार दिया। उन्होंने चुनाव जीतने के लिए हर संभव प्रयास किए—प्रलोभन, दबाव, और चालाकी तक अपनाई, फिर भी वे कांग्रेस के आशीष बुटेल के सामने टिक नहीं सके। यह उनकी कमजोर रणनीति और जनता से कटे हुए रवैये को दर्शाता है।

इसके अतिरिक्त, भाजपा में अन्य जो भी नेता टिकट की आस लगाए बैठे हैं, वे पंचायत स्तर का चुनाव लड़ने के लिए भी सक्षम नहीं माने जाते। पहले भी पालमपुर नगर निगम चुनाव में उनकी अगुवाई में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था, जिससे उनकी चुनावी क्षमता पर प्रश्नचिह्न लग चुका है। जब से भी चुनाव हारे हैं, उन्होंने मतदाताओं के साथ संवाद बिल्कुल बंद कर रखा है तथा राजनीतिक गतिविधियों से भी पूरी तरह से दूरी बनाए हुए हैं। 

कांग्रेस की मजबूत पकड़

दूसरी ओर, आशीष बुटेल की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। वे हर वर्ग के मतदाताओं में अपनी मजबूत पकड़ बना चुके हैं और क्षेत्र में बुटेल परिवार का नाम वर्षों से प्रभावशाली रहा है। उनके नेतृत्व में हो रहे विकास कार्य और जनता के प्रति उनकी सहजता, मुस्कुराहट और सेवा भाव के चलते कांग्रेस का रास्ता फिलहाल साफ नजर आ रहा है।

निष्कर्ष

यदि भाजपा जल्द ही कोई प्रभावशाली उम्मीदवार नहीं ढूंढ पाई या स्थानीय नेतृत्व में कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं किया, तो 2027 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को कड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

भाजपा का कोई भी प्रत्याशी इस समय इतना सशक्त नहीं है कि वह कांग्रेस के आशीष बुटेल को चुनौती दे सके।

वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए ऐसा लग रहा है कि भाजपा का प्रत्याशी कांग्रेस के आशीष बुटेल के सामने कमजोर साबित हो सकता है, जिससे पार्टी को एक और करारी हार का सामना करना पड़ सकता है, और यहां तक कि उसकी जमानत जब्त होने की भी नौबत आ सकती है। 

पूरे प्रदेश में कांग्रेस या भाजपा की स्थिति जैसी मर्जी हो लेकिन पालमपुर में आशीष पटेल की सरदारी कायम रहने की पूरी संभावना है। 

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