जिस देश में बच्चियों का होता हो व्यापार, उस देश में आज़ादी का जश्न बेकार : कर्नल जसवन्त सिंह

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जिस देश में बच्चियों का

ब्यपार हो,
आदमजनो का धंधा

देह कारोबार हो,
उस देश में आज़ादी का

जश्न बेकार है,
आधी आबादी से

जुल्म सा ब्यवाहर है।

बर्तन घिसती रहीं वे

कहीं -कहीं पिटती रहीं
नवजात बच्चियां

सरेआम कहीं बिकती रहीं,
अपनी देह पर ही

इनका अधिकार कहां,
बेरहम हाथों बजह से

आजतक चीखती रही।

क़ानून कचैहरियां बेतहाशा हैं हमारे देश में,
मगर क़ानून मनवाने वाला

नहीं कोई देश में,
दुःखी होकर यह कलम

लिख रही है आज,
जश्नेआजादी मनाने की

जरूरत नहीं देश में।

कर्नल जसवन्त सिंह चन्देल कलोल बिलासपुर हिमाचल।

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