बेटी…भारत का स्वाभिमान”* श्रीमती कमलेश सूद की स्वरचित एवं मौलिक रचना

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  • *”बेटी…भारत का स्वाभिमान”*

माँ…! सुनो तो…!! सुन रही हो न माँ…!!!
हाँ, हाँ, मैं ही हूंँ…तुम्हारी अजन्मी बिटिया!!!

रोज़ सुनती हूंँ… घातें-प्रतिघातें सबकी मैं सारी,
अभिमन्यु की ही तरह जानती हूँ चालें -कुचा‌लें,
रची जा रही हैं निस दिन इस चक्रव्यूह की सारी,
पाती हूँ बेबस, लाचार, फँसी हुई इनके बीच तुम्हें,

पर मां! मत मानना, न सुनना तुम कोई भी बात,
ये ज़ार-ज़ार रुलाएँगे, करेंगे वार लगा कर घात,
मेरी प्यारी माँ…! तुम जन्म मुझे अवश्य ही देना,
निर्णय पर अडिग रह, तिलभर विचलित न होना,

बेटों से सारे फर्ज़ निभा,कभी न तुम्हें लज्जाऊँगी मैं,
थामकर दामन हौंसलों का फ़लक भी छू आऊँगी मैं,
करूँगी नाम ऊँचा देश का मैं विश्व के मानपटल पर,
जन्म मुझे देने को बस मॉं, रह जाना तुम अटल पर,,

निराश न करूँगी कभी किसी भी पल तुम्हें मैं तो माँ,
मदर टेरेसा, रानी झाँसी, सरोजिनी बनूँगी मैं तो मॉं,
सुनीता विलियम्स की तरह नाप लूँगी ब्रह्माण्ड सारा,
मैरीकॉम,गीता फोगाट सी बन जीतूँगी आसमाँ सारा,

कहलाऊँगी मैं भारत की बेटी…भारत का स्वाभिमान,
बन जाऊँगी आन,बान,शान संग मैं देश का अभिमान।

स्वरचित एवं मौलिक रचना
कमलेश सूद

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