जब भगवान राम ने फिर मोहक स्पर्श करके उस मेंढक को ठीक कर दिया.

धर्म कर्म की हो पहचान ।* *कभी न हो जग में अपमान

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SUHAVNI SHARMA

*एक बार भगवान राम और लक्ष्मण दोनों भाई एक सरोवर में स्नान के लिए उतरे ।*

*उतरते समय उन्होंने अपने अपने धनुष बाहर तट पर गाड़ दिए । जब वे स्नान करके बाहर निकले तो लक्ष्मण ने देखा की उनकी धनुष की नोक पर रक्त लगा हुआ था !*

*उन्होंने भगवान राम से कहा -” भ्राताश्री ! लगता है कि अनजाने में कोई जीव हत्या हो गई.
*दोनों ने मिटटी हटाकर देखा तो पता चला कि वहां एक मेढ़क दर्द से करह रहा है.
*भगवान राम ने करुणावश मेंढक से कहा- ” तुमने आवाज क्यों नहीं दी ?*

*कुछ हलचल,छटपटाहट तो करनी थी। हम तुम्हे बचा लेते

*जब सांप तुम्हे पकड़ता है तब तो तुम खूब आवाज लगाते हो । धनुष लगा तो क्यों नहीं बोले ?

*मेंढक बोला – प्रभु ! जब सांप पकड़ता है, तब मैं ‘ राम- राम ‘ चिल्लाता हूँ *एक आशा और विश्वास रहता है कि प्रभु अवश्य पुकार सुनेंगे।*परन्तु आज जब देखा की साक्षात् भगवान् श्री राम स्वयं धनुष लगा रहे है तो किसे पुकारता ?*
*आपके सिवाय किसी और का नाम याद नहीँ आया । बस इसी को अपना सौभाग्य मानकर चुपचाप सहता रहा.
*सच्चे भक्त जीवन के हर क्षण को भगवान का आशीर्वाद मानकर उसे स्वीकार करते हैं.
*जब दुःख होता है वो उसे अपनी गलती की सजा समझते है और जब सुख होता है तो उसे ईश्वर की दया समझते है ।*

*धर्म कर्म की हो पहचान ।*
*कभी न हो जग में अपमान …
भगवान राम ने फिर मोहक स्पर्श करके उस मेंढक को ठीक कर दिया.

यह कथा का सार रामायण से लिया गया है.

*🙏जय श्री राम 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🤲🏻🤲🏻💐💐

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