



डॉक्टर लेख राज शर्मा,
खलेट, पालमपुर की कलम से..
संपादक महोदय,
हिमाचल रिपोर्टर मीडिया ग्रुप




राजेश जी! नमस्कार
” पसीने की स्याही से जो लिखते हैं अपने इरादों को , उनके मुकद्दर के पन्ने कभी कोरे नहीं हुआ करते! “

कुछ दिन पहले ही किसी कारणवश मुझे डाक्टर प्रेम भारद्वाज (भारद्वाज मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल अरला) जी के पास जाना हुआ और मैं आपसे एक बात सांझा करना चाहूंगा कि मुझे ये देख कर बहुत खुशी हुई कि हमारे नजदीक इतना अच्छा , बढ़िया और सब सुबिधाओं से सुसज्जित हस्पताल बना है.
मेरे अपने नजरीए से अब तक हमारे नजदीक के प्राइवेट हॉस्पिटल्स में मुझे ये सबसे बढ़िया लगा क्योंकि इसने डेढ़ साल के छोटे से अंतराल में अपना बड़ा नाम चमकाया है, कहने का मतलब अग्रणी पंक्ति में शुमार हस्पताल , एक तो इसकी साइट दूसरा डाक्टर साहब जी ने अपनी तरफ से यहां कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है ताकि अपने नजदीक लोगों के साथ साथ दूर दराज से आने वाले मरीजों को भी अच्छी सहूलियत के साथ साथ अच्छा इलाज भी प्राप्त हो और कहीं बाहर जाने की जरूरत ही न पड़े.
इसमें डाक्टर साहब द्वारा कई वर्षों तक सिविल हस्पताल पालमपुर में अपनी उत्कृष्ट सेवाएं देना , इनका अपना मधुर स्वभाव और तजुर्बा , एक डायबेटोलॉजिस्ट (मधुमेह और इससे जुड़ी जटिलताएं के विशेषज्ञ ) के रूप में , Gastroentologist (पाचन तंत्र के रोगों के इलाज और निदान में माहिर) के रूप में, हृदय संबंधी रोगों के लिए तुरंत प्रभाव से निदान और विशेषज्ञ की उपलब्धता और सबसे बड़ी नजदीकी सहायता स्ट्रोक थ्रंबोलाइसिस (सुन्नपन , पक्षाघात या अधरंग) का तुरंत और सफल इलाज जिसमें मरीज को चार घंटों के अंदर-अंदर हॉस्पिटल पहुंचा देना अत्यंत आवश्यक है और डाक्टर साहब ऐसे सैंकड़ों मरीजों का सफल इलाज कर एक कीर्तिमान बना चुके हैं.
डाक्टरों और विशेषग्यों की टीम, चौबीस घंटे सेवाएं और हर विभाग में बहुत बढ़िया और मधुर भाषी स्टाफ, इस हॉस्पिटल की गुणवत्ता में चार चांद लगा देता है.

एक बात मैं यहां जरूर लिखना चाहूंगा कि कुछ लोगों में ये भ्रांति हैं या भ्रांतियां फैलाई जाती हैं के जी ये हस्पताल मेहंगा है, यहां इलाज के ज्यादा पैसे लगते हैं, यहां टेस्ट मंहगे हैं लेकिन मुझे तो ऐसा कुछ भी नही लगा और एक बात का ध्यान हमे अवश्य रखना चाहिए कि अपने ही शरीर के लिए हम कुछ कर रहे हैं और इसी के लिए हम गुणवत्ता का मोल-भाव करें ये तो कोई समझदारी ही नहीं है!
कभी हम भी सरकारी सेवा में होते हुए जब टेस्ट या दवाइयां लिखते थे तो कई मरीज बोलते थे डाक्टर जी ! इहना टेस्टां जो कने इना दवाई जो पैसे ता मते लगी गै “ और ये बात आज से सोलह साल पहले की है तो आज तो दुनियां कहां से कहा पहुंच चुकी है.
मैं न तो किसी डाक्टर का मित्र हूं और न ही समर्थक, केवल निष्पक्षता से लिख रहा हूं.
मैं तो केवल वास्तविकता से रूबरू करवा रहा हूं. मैं एक बार पुना कहना चाहता हूं कि सब लिहाज से हमारे नजदीक बहुत अच्छा हॉस्पिटल है और अब तो यहां ई.सी.एच.एस. (ECHS) सुविधा का जुड़ जाना एक और सहूलियत का मिल जाना.
आशा है समय और जरूरत के साथ साथ डाक्टर साहब इस हस्पताल में और भी जरूरी विभाग और मिलने वाली सुविधाओं को उपलब्ध करवाते रहेंगे.

