पूजनीय भाटिया जी और दो सहयोगियों की जितनी तारीफ की जाए कम पड़ेगी मगर एक सवाल तो अवश्य बनता है कि शासन , प्रशासन और नगर निगम इन तीनों में से किसी की भी जिम्मेवारी नहीं बनती क्या ?
भाटिया जी तो सेवा की एक मूर्त हैं जो पिछले स्त्रह सालों से लगातार सेवा में लगे हैं , ऐसी ऐसी सेवाएं दी हैं जिनको पढ़ कर भाटिया जी के लिए केवल प्रणाम के साथ यही शब्द निकलते हैं कि वंदे का होंसला देखो वास्तव में ही ये इंसान के रूप में कोई फरिश्ता है , बाकी तो वर्णन करते करते कई दिन लग जाएंगे मगर करोना क़ाल में जो अभागे काल का ग्रास बने जिनके घर वाले भी उनके अंतिम संस्कार करने से डरे उनका संस्कार भी भाटिया जी ने किया और ये संख्या एक दो में नहीं कई सैकड़ों में थी और ये सभी सेवाएं अवैतनिक हैं , अगर मान लो इस लावारिश लाश का अंतिम संस्कार करने से भाटिया जी अपनी अस्मरथता जाहिर करते या साफ मना कर देते तो इस लावारिश शव , जो गल सड़ गया और ऐसी बदबू मार रहा था इसका अंतिम संस्कार कोन करता या करवाता , किसी न किसी को ये कार्य करना ही पड़ना था तब पता चलता सेवा कैसे होती है ? हम सरकार से , प्रशासन से और निगम से कई बार अनुरोध कर चुके हैं कि शव वाहन के लिए शनि मंदिर के आस पास जगह चिहनित्त की जाए ताकि वहां पर एक शेड बना कर वाहन को सुरक्षित खड़ा किया जा सके क्योंकि खुले में शरारती तत्वों द्वारा कोई न कोई नुकसान पहुंचाया ही जाता है , बहुत सारे समाज सेवियों को सरकार द्वारा प्रुष्कृत किया गया खासकर करोना वारियर्स को तो भाटिया जी तो खुद में ही करोना वारियर्स की एक टीम रहे इन्हे प्रशासन द्वारा सरकार द्वारा कहीं भी मुख्यमंत्री या मंत्री या माननीय विधानसभा अध्यक्ष के प्रोग्राम में प्रुष्कित करना चाहिए या करना चाहिए था , ये केवल और केवल एक उत्साहित करने बाली बात होती है , बन्दा तो वैसे रात दिन सेवा कार्यों में लगा ही है पर सेवा कैसे होती है ये भाटिया जी से पूछो जय शनि देव