भुवनेश सूद – आधुनिक शिक्षा के अग्रदूत बने पालमपुर के लिए वरदान, शिक्षा के प्रेरणास्त्रोत, पालमपुर का उज्ज्वल भविष्य, समर्पण और सेवा का प्रतीक
जो असंभव को संभव करना जानता है उसका नाम है भुवनेश चांद सूद














शिक्षा के क्षेत्र में पालमपुर को बुलंदियों तक पहुंचाने वाले श्री भुवनेश चंद सूद किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। उनके संघर्ष, संकल्प और समर्पण की गाथा एक प्रेरणास्पद कथा के रूप में उभरती है। उन्होंने अपनी मेहनत और दृढ़ निश्चय के बल पर हर मुश्किल का सामना किया और शिक्षा के क्षेत्र में एक नई मिसाल कायम की जो आज तक कोई भी पूंजीपति या राजनीतिक पृष्ठभूमि का व्यक्ति नहीं कर पाया।
श्री भुवनेश चंद सूद का जीवन संघर्षों से भरा रहा है, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। कठिनाइयों से टकराने का उनका जज़्बा ही उन्हें और भी मजबूत बनाता गया।
जमाना गवाह है कि कुछ अपनों ने, कई बड़े पूंजीपतियों ने उन्हें रोकने की कोशिश की, उनके रास्ते में अड़चनें डालीं, लेकिन वे कभी रुके नहीं। उनका आत्मबल और अडिग निश्चय ही उनकी सबसे बड़ी ताकत रही। उनकी मेहनत और लगन ने पालमपुर को शिक्षा के क्षेत्र में एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया।
उनके जीवन में कई ऐसे मंजर आए जब उनकी खून-पसीने से कमाई गई नेक कमाई को धोखे से हड़पने के लिए कई पूंजीपतियों ने एड़ी-चोट का ज़ोर लगा दिया लेकिन श्री भुवनेश ने उन्हें कानून की चौखट पर पटक कर, उन्हें कानूनी सबक सिखा कर ही दम लिया। कुछ लोग धोखाधड़ी से इनका करोड़ों रुपया लूट ले गए लेकिन फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं आ रही, हिंसा का सहारा नहीं लिया और शांतिपूर्ण तरीके से कानून की लड़ाई लड़ रहे हैं।
हमें उनके संघर्ष पूर्ण जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए इसीलिए कहते हैं कि इंसान के पास पैसा चाहे जितना भी हो उसकी नीयत में खोट नहीं होना चाहिए अन्यथा करोड़ों-अरबो रुपए की पूंजी भी किसी काम की नहीं रह जाती।
आज वह नेताजी सुभाष नर्सिंग कॉलेज का सफल संचालन कर रहे हैं, जहां डी-फार्मेसी, बी-फार्मेसी और पोस्ट ग्रेजुएट कोर्सेज की उच्चस्तरीय शिक्षा दी जा रही है। शिक्षा के क्षेत्र में और भी बहुत से उच्च स्तरीय कार्य किया जा रहे हैं।
उनकी दूरदृष्टि और अथक प्रयासों का ही परिणाम है कि उन्होंने आयुर्वेदिक कॉलेज की भी नींव रखी है। यह उपलब्धि किसी भी दृष्टिकोण से अतुलनीय है।
आज उनकी मेहनत और योगदान से हजारों छात्रों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिला है। उनकी शिक्षा संस्थाओं से निकले विद्यार्थी आज देश-विदेश में प्रतिष्ठित पदों पर कार्यरत हैं और अपने गुरु के इस उपकार को हमेशा याद रखते हैं। उनकी इस गगनचुंबी सफलता को देखकर बड़े-बड़े लोग भी दांतों तले उंगलियां दबा लेते हैं।
श्री भुवनेश चंद सूद केवल एक शिक्षाविद् ही नहीं, बल्कि समाजसेवी भी हैं। उन्होंने हजारों लोगों को रोजगार दिया और अनगिनत परिवारों का भरण-पोषण सुनिश्चित किया।
गरीबों की सहायता करना, जरूरतमंद गरीब कन्याओं की शादी करवाना और हर संभव समाज सेवा करना उनकी प्राथमिकताओं में शुमार है। धार्मिक कार्यों में भी वह तन मन धन से बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। उन्होंने के स्कूलों और कई मंदिरों का निर्माण करवाया है। ग्रामीण क्षेत्रों में सीबीएसई स्तर के स्कूल खोलकर स्थानीय जनता को और उनके गरीब बच्चों को लाभान्वित करना उनका परम लक्ष्य रहा है। वह किसी न किसी रूप में शिक्षा को बढ़ावा देते ही रहते हैं।
उनकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि उन्होंने कभी अहंकार को अपने पास फटकने तक नहीं दिया। इतनी ऊंचाइयों पर पहुंचने के बावजूद वह आज भी जमीन से जुड़े हुए हैं, सरल और सहज जीवन जीते हैं। वे सच्चे अर्थों में ‘डाउन टू अर्थ’ व्यक्ति हैं, जो हर वर्ग के लोगों से समान रूप से घुलते-मिलते हैं।
पालमपुर को उन पर गर्व है। उनके पिछले 30 वर्षों के कार्यकाल ने शिक्षा क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। उनकी प्रेरणा और संकल्पशीलता आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शक बनी रहेगी। जो कार्य उन्होंने अकेले अपने दम पर कर दिखाया, वह कई लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत है।
ईश्वर उन्हें उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु प्रदान करें ताकि वे इसी प्रकार समाज और मानवता की सेवा में संलग्न रह सकें। श्री भुवनेश चंद सूद ने शिक्षा और समाज सेवा के क्षेत्र में जो योगदान दिया है, वह हमेशा अविस्मरणीय रहेगा। उनकी कर्मठता, सादगी और समाज के प्रति उनके समर्पण को देखकर यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि उनके जैसा व्यक्तित्व सदियों में एक बार ही जन्म लेता है।




