*कांगड़ा जिला में जनवरी माह से व्यस्कों को लगेगा बीसीजी का टीका, घर-घर जाकर होगा सर्वे*
*18 से 60 साल तक के चुनिंदा लोगों को लगाया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग की ओर से जनवरी महीने में में घर-घर जाकर सर्वे होगा। अब तक टीबी रोकने के लिए बच्चों को टीका लगता था।*
जिला कांगड़ा में व्यस्कों को टीबी से बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से जनवरी महीने से अभियान चलाया जाएगा। इस दौरान अगले साल चयनित लोगों को बीसीजी का टीका लगाया जाएगा। इसके लिए हर गांव में पोलियाे बूथ की तर्ज पर शिविर लगाए जाएंगे।
इससे पहले व्यस्कों को टीका लगवाने के लिए प्रेरित करने के इरादे से आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से अभियान चलाया जाएगा। अभियान को सिरे चढ़ाने के लिए जिला कांगड़ा के सभी तेरह स्वास्थ्य खण्ड के खण्ड चिकित्सा अधिकारी, ब्लॉक प्रोग्राम मैनेजर, वरिष्ठ तकनीशियन प्रयवेक्षक के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन जोनल हॉस्पिटल धर्मशाला के सभागार में आयोजित किया गया । इसकी अध्यक्षता डॉ सुशील शर्मा,मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा की गई l कार्यशाला का संचालन डॉ रविन्द्र और डॉ उषा किरण सलाहकार विश्व स्वास्थ्य संगठन, डॉ राजेश गुलेरी सीनियर मेडिकल सुपरीटेंडेंट, ज़ोनल हॉस्पिटल धर्मशाला व अविनाश, कार्यक्रम अधिकारी यूएनडिपि द्वारा किया गया l डॉ. राजेश सूद, जिला क्षय रोग कार्यक्रम अधिकारी ने बीसीजी वैक्सीनेशन की विस्तृत जानकारी दी l
डॉ राजेश सूद ने बताया कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त भारत बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। उन्होंने कहा कि अब तक टीबी की रोकथाम के लिए बच्चों को बीसीजी का इंजेक्शन लगाया जाता था। बीसीजी का टीका 14 साल तक असरदार होता है। इसीलिए अब उन सभी लोगों को यह टीका लगाया जाएगा, जिन्हें टीबी होने का खतरा है।
नवजातों के बाद बीसीजी (बैसिलस कैलमेट-गुएरिन) का टीका अब युवाओं को भी टीबी से सुरक्षित रखेगा। बीसीजी का टीकाकरण अभियान चलाने से पहले जिले में सर्वे किया जाएगा। जिसके संपन्न होने पर टीकाकरण कार्य शुरू करवाया जाएगा।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि बीसीजी के टीकाकरण के लिए स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेशभर के 6 जिलों को चुना है l जिसमें कांगड़ा जिला भी सम्मिलित है, इन जिलों में यह अभियान चलाया जाएगाl इस अभियान के मुख्य दो चरण हैं पहला इंटरवेशन यानी जहां टीकाकरण का कार्य चलेगा। दूसरा कंट्रोल यानी जहां पर टीकाकरण शुरू करने से पहले टीकाकरण के कार्य से जुड़े सभी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया जाएगाl इस टीकाकरण का उददेश्य सरकार के टीबी मुक्त भारत-2025 के लक्ष्य को समय पर पूरा करना है। इसको लेकर ज़िला स्वास्थ्य विभाग ने तैयारी शुरू कर दी l
डॉ रविंदर ने बताया की बीसीजी टीका टीबी की रोकथाम में कारगर और सुरक्षित है, क्योंकि यह टीका पहले ही नवजात शिशुओं को जन्म के बाद लगाई जा रही है। उसके बावजूद कुछ नियम के अंतर्गत यह मानदंडों को पूरा करने वाले लोगों को ही लगाई जाएगी।
डॉ उषा ने बताया कि हिमाचल प्रदेश को टीवी मुक्त बनाने के लिए बीसीजी वैक्सीनेशन एक मील का पत्थर साबित होगी और जिसके दूरगामी परिणाम आएंगे उन्होंने सब प्रतिभागियों से इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए आह्वान कियाl जिसके लिए ही प्रशिक्षण कार्य चल रहा है।
*इन्हें लगेगा टीका*
बीसीजी का टीका 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोग, जिन लोगों को पिछले पांच वर्षों में एक बार भी टीबी हुई हो, 60 वर्ष और उससे अधिक के बुजुर्ग, धूम्रपान करने वाले लोग, पिछले तीन साल के टीबी रोगियों के संपर्क में आने वाले लोग, मधुमेह पीड़ित के साथ-साथ 18 किलो प्रति वर्ग मीटर से कम बॉडी मास इंडेक्स वाले व्यक्ति भी शामिल हैं।