अपने ही गिराएंगे भाजपा के नशेमन पे बिजलियाँ,भड़कती जा रही है बग़ावत की आग, बागी ठोक रहे ताल,, बोले…न खाएंगे, न खाने देंगे… जेपी हुए बेबस

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कब बुझेगी हिमाचल में भड़की बगावत की आग

बिलासपुर में नड्डा के करीबी हुए बागी, भाजपा के सभी तीर साबित हुए बेकार 

भारतीय जनता पार्टी में बगावत की आग दिनों-दिन बढ़ती ही जा रही है हालात यह है कि मर्ज बढ़ता गया ज्यों-ज्यों दवा की।

#श्री नैनादेवी जी सीट से भाजपा ने रणधीर शर्मा को मैदान में उतारा है। खास बात है कि पार्टी ने यह पूर्व ट्रेड यूनियन नेता शंखर ठाकुर, कुलदीप ठाकुर और दौलत राम शर्मा के बजाए रणधीर शर्मा पर भरोसा जताया है।

हिमाचल प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी बागियों से जूझती नजर आ रही है जबकि विधानसभा चुनाव को मात्र 8 दिन शेष बचे हैं।

यहां यह बात हैरान कर देने वाली है कि जो जगत प्रकाश नड्डा पूरे देश में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवारों और कार्यकर्ताओं को एकजुट करने का काम करते हैं वह मात्र अपने गृह क्षेत्र बिलासपुर के बागियों को ही नहीं संभाल पा रहे हैँ।

पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के ही गृह जिले बिलासपुर में बगावत की आग आसमान छू रही है।

सूत्रों की मानें तो नड्डा की भरपूर कोशिशों के बावजूद भी कई बागी शांत होने के लिए तैयार नहीं हैं।

खास बात है कि यह है कि टिकट नहीं मिलने पर मैदान में उतरे नेताओं में नड्डा के कुछ वफादार भी शामिल हैं।

बिलासपुर के गणित को समझिए
#HimachalPradesh के इस बिलासपुर जिले में चार विधानसभा क्षेत्र हैं। फिलहाल, तीन भाजपा और एक सीट कांग्रेस के खाते में है।

बीते चुनाव में भाजपा ने बिलासपुर सदर और झनदत्त (एससी) सीट पर जीत हासिल की थी, लेकिन इस बार दोनों सीटों पर पार्टी के बागी नेता चुनाव लड़ रहे हैं।

इसके अलावा पार्टी के खाते में घुमारवीं सीट भी आई थी जबकि, कांग्रेस ने श्री नैना देवीजी सीट पर जीत दर्ज की थी।

भाजपा के बागियों में सुभाष शर्मा का नाम भी है। शर्मा निर्दलीय उतर रहे हैं। पार्टी ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के राजनीतिक सलाहकार त्रिलोक जमवाल पर भरोसा जताया है।

वहीं, बिलासपुर सदर से भी भाजपा ने मौजूदा विधायक सुभाष ठाकुर का टिकट काट दिया है। इन तीनों ही नेताओं को नड्डा का करीबी माना जाता है।

बिलासपुर जिले में बागी हुए एक और भाजपा नेता का नाम राजकुमार कौंडल है। वह झनदत्त सीट से निर्दलीय उम्मीदवार हैं।

उनके बेटे उत्कर्ष का कहना हैं कि भाजपा नेताओं ने उन्हें नामांकन वापस लेने के लिए कहा था, लेकिन उनके समर्थकों ने पिता को चुनाव लड़ने के लिए मजबूर किया। पार्टी ने झनदत्त से मौजूदा विधायक जीतराम कटवाल को टिकट दिया है।

हालांकि, बीते चुनाव में उन्हें कांग्रेस के राम लाल ठाकुर के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। कांग्रेस की तरफ से ठाकुर इस बार भी मैदान में हैं।

भाजपा के बिलासपुर मंडल अध्यक्ष हंसराज ठाकुर कहते हैं कि नड्डा समेत पार्टी ने सुभाष शर्मा को समझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन नाकाम रहे। उन्होंने यह भी बताया कि बीते चार सालों में शर्मा बिलासपुर सदर नहीं पहुंचे।

बग़ावत की आग तो कांग्रेस में भी भड़की थी मगर पार्टी हाईकमान ने शांत की बगावत
इधर, कांग्रेस में भी बिलासपुर जिले में सब ठीक नहीं है। बिलासपुर सदर से पूर्व विधायक तिलक राज हुंकार भर रहे थे। हालांकि, बाद में वह हट गए और बंबर ठाकुर मैदान में आ गए। ठाकुर को कांग्रेस दिग्गज वीरभद्र सिंह का वफादार माना जाता था, लेकिन वह 2017 में सीट से हार गए थे। झनदत्त से भी कांग्रेस ने बागी नेता को शांत कर लिया है। यहां पूर्व विधायक बीरू राम किशोर ने नामांकन वापस ले लिया है।

फिलहाल तो यही देखा जा जा रहा है कि भाजपा की बनिस्बत कांग्रेस अपने बागियों पर लगाम लगाने में ज्यादा कामयाब साबित होती नजर आ रही है।

बाकी ऊंट किस करवट बैठेगा यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

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