भाजपा की नाक का सवाल बनी अर्की, जुब्ब्ल कोटखाई और फतेहपुर विधानसभा सीटें, डॉ. राजन सुशान्त की स्थिति मजबूत

मंडी संसदीय सीट जीतना भाजपा के लिए लाज़मी

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SHANTI SHARMA

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की प्रतिष्ठा का सवाल बन चुकी हैं अर्की, जुब्ब्ल कोटखाई और फतेहपुर विधानसभा सीटें।

इसके अलावा संसदीय क्षेत्र मंडी का उपचुनाव जीतना भी बेहद ज़रूरी हो गया है लेकिन सभी हलकों में भाजपा की जीत हो ही जाए यह सहज नजर नहीं आता।

जुब्बल कोटखाई और फतेहपुर में तिकोने मुकाबले की वजह से भाजपा के मत विभाजन के बीच जय राम सरकार और भाजपा के तमाम दांवपेंचों के बावजूद तस्वीर अलग बनती नजर आ रही है।

जुब्बल कोटखाई में भाजपा के बागी एवं पूर्व भाजपा विधायक विधायक नरेंद्र बरागटा के पुत्र चेतन बरागटा सहानुभूति लहर पर सवार हैं जहां उनका मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी रोहित ठाकुर से ही है।

भाजपा प्रत्याशी नीलम सरैक बरागटा और रोहित में से जिसके मतों पर अधिक सेंध लगाएगी वही उसकी हार का रास्ता साफ कर देगी।

भाजपा ने इस उपचुनाव के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं को संभालने के तमाम तरह के यत्न कर लिए लेकिन वह बरागटा के साथ जा चुके इन कार्यकर्ताओं को वापस लाने में कामयाब नहीं हो पाए। अलबता अब वह कांग्रेस या बागी में से किसकी जीत का रास्ता साफ करेंगी यह तो 2 नवबंर को ही पता चल पाएगा।

उधर, फतेहपुर में भी भाजपा में टिकट बंटवारे पर ही बड़ा बवाल मच गया। भाजपा के बड़े नेता कृपाल परमार को टिकट नहीं दिया तो उनके समर्थक रूठ गए और हाय-तौबा मची।

भाजपा ने पिछले चुनाव में पार्टी के बागी बलदेव ठाकुर को टिकट दिया है। वह भितरघात की सियासत के बीच कितना कुछ कर पाते है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि भाजपा प्रभारी अविनाश राय खन्ना को कृपाल परमार से बैठकें करनी पड़ी। फतेहपुर में कांग्रेस ने सहानुभूति मतों को बटोरने के लिए बड़ी चालाकी से पूर्व विधायक सुजान सिंह पठानिया के बेटे भवानी सिंह पठानिया को टिकट दे दिया। हालांकि, उनको इस तरह से टिकट देने का कांग्रेस भी भारी विरोध हुआ लेकिन जीत के लिए तरस रही कांग्रेस ने आपस में समझौता कर यहां एकजुटता से मोर्चा संभाल रखा है जबकि भाजपा की ओर से जयराम सरकार के दो मंत्रियों वन मंत्री राकेश पठानिया व उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह पठानिया ने मोर्चा संभाला हुआ है लेकिन इन्हें जो मार पड़ रही है वह है तेजतर्रार नेता और आरएसएस के तृतीय वर्ष कर चुके आजाद प्रत्याशी राजन सुशांत की वजह से।

फतेहपुर विधानसभा सीट पर पूर्व सांसद डॉ. राजन सुशान्त की स्थिति काफी मज़बूत नज़र आ रही है। उन्होंने पिछले पांच साल पूरी तरह जनता की सेवा में समर्पित किये हैं जिसका लाभ उन्हें मिलना स्वाभाविक है। सांसद रहते हुई भी उन्होनें दिल खोलकर ज़रूरतमंद लोगों की मदद की थी।

एक सर्वे के अनुसार जनता डॉ. राजन सुशान्त की फ़ेवर में है तथा लगता है उन्हें जिताने का पूरा-पूरा मूड बना चुकी है।

उधर, अर्की विधानसभा हलके में भाजपा में कड़ा मुकाबला हैं। दोनों ही दलों में नाराज नेताओं ने प्रत्याशियों को पसोपेश में डाल रखा है। कांग्रेस प्रत्याशी संजय अवस्थी को टिकट मिलने से अर्की ब्लाक कांग्रेस ने इस्तीफा दे दिया हुआ है तो दूसरी ओर भाजपा के दो बार विधायक रह चुके गोबिंद राम शर्मा और जिला परिषद सदस्य आशा परिहार ने अपने वोटबैंक को संजय अवस्थी की ओर सरकाने का मन बना रखा है। ऐसे में इस सीट पर मुकाबला बेहद कड़ा हैं।

इसी तरह मंडी संसदीय सीट चूंकि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह हलके की सीट हैं व यहां पर पूरी सरकार दम लगाए हुए हैं। लेकिन यहां पर अब तक हाशिए पर धकेल दिए गए नेताओं की चुप्पी खतरे का संकेत दे रही हैं। लेकिन मंडी जिला के नौ विधानसभा हलकों से भाजपा को आस हैं। इन सभी हलकों से भाजपा के विधायक हैं। हालांकि मंडी सदर से पूर्व मंत्री सुखराम के पुत्र अनिल शर्मा पूरी तरह से खामोश बैठे हैं बावजूद इसके जिला के बाकी हलकों से भाजपा को जितनी बढ़त मिलेगी वहीं हार जीत तय करेगी।

इन नौ जिलों में साढ़े सात लाख मत हैं। जबकि बाकी आठ हलकों में 5 लाख 53 हजार के करीब मत है। इस तरह मंडी संसदीय हलके में 13 लाख के करीब ममत है और जो प्रत्याशी मंडी जिला के नौ जिलों से बढ़त बना देगा वह सीट निकालने की ज्यादा स्थिति में होगा। भाजपा ने यहां ने कारगिल युद्ध के हीरो ब्रिगेडियर खुशाल सिंह ठाकुर को चुनाव मैदान में उतार रखा है जबकि कांग्रेस ने उनके मुकाबले में पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह को खड़ा किया हुआ है।

प्रतिभा सिंह सहानुभूति मतों पर तो खुशाल सिंह ठाकुर कारगिल युद्ध जैसे भावनापूर्ण मतों के सहारे हैं।

इन उपचुनावों में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अपना अधिकांश समय मंडी में ही लगाया है। अगर वह मंडी संसदीय सीट के साथ-साथ तीनों विधानसभा सीटें भी भाजपा की झोली में डाल देते हैं तो वह प्रदेश में भाजपा के निर्विवाद नेता बन जाएंगे व उनका कद धूमल-शांता के बराबर हो जाएगा लेकिन क्या धूमल, नड्डा व अन्य नेता यह संभव होने देंगे यह बड़ा सवाल है। वैसे भी मंडी संसदीय हलके में कांग्रेस ने भी पूरा जोर लगा रखा है। नतीजे तो दो नंवबर को ही ही आएंगे तब तस्वीर खुद-ब-खुद साफ हो जाएंगी।

दूसरे 2019 के लोकसभा को आखिर कैसे भुलासा जा सकता है जब मोदी लहर के आगे तमाम तरह के विषलेषण व कयास धराशायी हो गए थे भाजपा ने चारों सीटों पर भारी से बहुतभारी मतां से जीत हासिल कर सबको चौका दिया था।

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