पालमपुर के भरमात में स्थापित हुआ बिस्किट का लघु उद्योग।

लघु उद्योग को बढ़ावा देने के लिए मोना सिंह ने की पहल

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वीके सूद मुख्य संपादक

Bksood: Chief Editor

वाराणसी की मोना सिंह ने हिमाचल के पालमपुर में लिखी सफलता की इबारत, 20 लोगों को दे रहीं रोजगार
वाराणसी की मोना सिंह ने गर्भावस्था के दौरान खुद ही हर्बल बिस्किट का उद्योग स्थापित कर दिया। कोरोना काल में नौकरी छूटने के बाद मोना ने आपदा में अवसर तलाशा और अब 20 लोगों को रोजगार देने के साथ-साथ दूसरों को भी आगे बढऩे की प्रेरणा दे रही हैं।

पालमपुर के भरमात में स्थापित लघु उद्योग की पैकिंग यूनिट। इनसेट में मोना सिंह।

कुलदीप राणा, कांगड़ा: जहां, चाह, वहां राह। इस कहावत को साबित किया है उत्तर प्रदेश के वाराणसी की मोना सिंह ने। गर्भावस्था के दौरान पौष्टिक आहार नहीं मिलने पर उन्होंने खुद ही हर्बल बिस्किट का उद्योग स्थापित कर दिया। कोरोना काल में नौकरी छूटने के बाद मोना ने आपदा में अवसर तलाशा और अब 20 लोगों को रोजगार देने के साथ-साथ दूसरों को भी आगे बढऩे की प्रेरणा दे रही हैं।

मोना ने राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमिता और प्रबंधन संस्थान सोनीपत से पढ़ाई के बाद गाजियाबाद में निजी क्षेत्र में नौकरी की। कोरोना काल में नौकरी छूटी तो पालमपुर में पति के पास आ गईं। मोना के पति पटना निवासी रोशन लाल वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद और हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (सीएसआइआर-आइएचबीटी) पालमपुर से जड़ी-बूटियों के संरक्षण में डाक्ट्रेट हैं।

पिछले साल पालमपुर पहुंचने के समय मोना सिंह गर्भवती थीं और कोरोना की बंदिशों के कारण उन्हेंं पर्याप्त मात्रा में पौष्टिक आहार उपलब्ध नहीं हो पाया। पति से विमर्श के बाद उन्होंने कुछ ऐसा करने का सोचा ताकि दूसरे उनके जैसी समस्या से दो चार न हों। तब उन्होंने प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत साढ़े छह लाख रुपये का ऋण लेकर हिमाचल प्रदेश के पालमपुर (भरमात) में उद्योग स्थापित किया है। रोशन भी पत्नी के साथ कारोबार में हाथ बंटाते हैं।

सीएसआइआर-आइएचबीटी पालमपुर में लिया प्रशिक्षण:

मोना सिंह ने गाजियाबाद में एक निजी कंपनी में बतौर खाद्य तकनीकी अधिकारी के रूप में कुछ समय काम किया है। बाद में उन्होंने वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद व हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर में प्रशिक्षण लेकर मुख्यमंत्री स्टार्टअप योजना का लाभ लेते हुए परियोजना तैयार की। सरकार से ऋण लेकर व स्वजन के सहयोग से अप्रैल 2021 में हर्बल बिस्किट उद्योग स्थापित किया।

बिस्किट में इन जड़ी-बूटियों का होता है इस्तेमाल:

बिस्किट में आटा, गुड़ व तेल के अतिरिक्त अश्वगंधा, शतावरी, हरड़, पिपली व सोंठ का समायोजन किया जाता है। यह इम्युनिटी बढ़ाने के साथ-साथ दवा का काम भी करते हैं। 100 ग्राम हर्बल बिस्किट का मूल्य 35 रुपये है और ये कई फ्लेवर में उपलब्ध है।

हिमाचल के साथ दिल्ली व पटना में भी करते हैं सप्लाई:

मोना सिंह पैकिंग कर थोक में बिस्किट बेचती हैं। वह हिमाचल प्रदेश, दिल्ली और पटना में आपूॢत कर रही हैं। उन्हें आर्डर लगातार मिल रहे हैैं। बकौल मोना सिंह, स्टार्टअप युवाओं के लिए बेहतर विकल्प है और इससे स्वावलंबी बना जा सकता है। उनका कहना है कि पढ़े-लिखे युवाओं को स्वरोजगार की ओर कदम बढ़ानेचाहिएDainik jagran

राजेश सूर्यवंशी एडिटर इन चीफ

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