सरकार को स्कूलों के खोलने सम्बंधित आदेशों पर पुनर्विचार होना चाहिए
निजी स्कूलों के प्रबंधन हो आ रहे हैं दिक्कतें तथा इससे वित्तीय संकट बढ़ने की आशंका
बी के सूद मुख्य सम्पादक
हिमाचल प्रदेश सरकार ने अभी हाल ही में स्कूलों को खोलने के लिए आदेश जारी किये हैं, जिसमें कक्षा 9 से 12 के लिए स्कूल फिर से खुलेंगे।
कक्षा 10 और 12 के छात्रों को सोमवार, मंगलवार और बुधवार को स्कूल आने की अनुमति होगी. वहीं कक्षा 9 से 11 तक के विद्यार्थियों को गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार को स्कूल आने की अनुमति होगी।
पहले भी राज्य के स्कूल 2 अगस्त से कक्षा 9 से 12 के लिए फिर से खुल गए थे।
इसी वर्ष इससे पहले शिक्षा विभाग द्वारा फरवरी में जारी किए आदेशों के अनुसार शीतकालीन छुट्टियों वाले स्कूलों में 15 फरवरी से पांचवीं और आठवीं से बारहवीं कक्षा के विद्यार्थी एसओपी का पालन करते हुए शिक्षा ग्रहण करने का आदेश पारित किया था। फरवरी में पारित किए गए आदेशों के अनुसार प्राइवेट स्कूलों के प्रबंधन ने सरकार का सहयोग किया तथा वे लोग लगभग इन आदेशों से खुश था क्योंकि इसमें विद्यार्थियों का शत-प्रतिशत स्कूल आना तय किया गया था। तथा किसी को भी स्वेच्छा से स्कूल आने से मनाही नहीं थी। परंतु इस बार के ताजा आदेशों के अनुसार विद्यार्थी सप्ताह में तीन-तीन दिन स्कूल आ सकते हैं।
सभी प्राइवेट स्कूल प्रबंधन का कहना है कि इसका सीधा सा मतलब है की केवल 50% क्षमता से ही स्कूल चलेंगे।
मान लीजिए एक स्कूल में 100 विद्यार्थी हैं तथा उसमें केवल 50 विद्यार्थी ही स्कूल आते हैं तो 50 विद्यार्थियों के लिए बसों का चलाना अनिवार्य हो रहेगा ,जबकि स्कूल प्रबंधन को पूरी बसें चलानी पड़ेगी ,जिसका पूरा खर्चा भी स्कूल प्रबंधन के कंधों पर पड़ेगा ।यदि एक बस में 25 विद्यार्थी आते हैं तो उन्हें डीजल पेट्रोल ड्राइवर कंडक्टर रोड टैक्स एक्साइज सभी का खर्चा पूरा देना पड़ेगा ,परंतु उन्हें विद्यार्थी केवल 50% ही मिलेंगे और 50% विद्यार्थी ही उन्हें बस का किराया अदा करेंगे ।जिससे प्राइवेट स्कूल जो पिछले 2 वर्षों से वित्तीय संकट से जूझ रहे हैं उन पर और वित्तीय बोझ पड़ेगा और उनकी आर्थिक हालत और कमजोर होगी।
प्राइवेट स्कूल की प्रबन्धन का कहना है कि सरकार द्वारा फरवरी में किए गए आदेश फिर भी प्रैक्टिकल रूप से सही थे परंतु जो आदेश अभी जारी किए गए हैं वह स्कूलों की वित्तीय हालत को और कमजोर करने वाले हैं। सरकार को चाहिए कि वह इन आदेशों का पुनरावलोकन करे तथा ऐसे आदेश पारित करें जिससे विद्यार्थियों और स्कूलों का हित निहित हो।