Bksood chief editor
29 सितम्बर 2021– (#फ्लैश_न्यूज — #नवजोत_सिंह_सिद्धू_ने_पंजाब_कांग्रेस_अध्यक्ष_पद_से_सोनिया_गांधी_को_भेजा_त्यागपत्र)–
आज कल सोशल मीडिया का जमाना है। खबर के लिए आकाशवाणी या दूरदर्शन की खबरों के समय का इंतजार नहीं करना पड़ता। स्मार्ट फोन हाथ मे है तो कोई भी खबर कैसी भी कभी भी फ्लैश हो सकती है। पिछले कल दिन के समय फोन पर आश्चर्यचकित करने वाली खबर आई कि पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष ने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया है। राजनैतिक विशलेषकों को चक्कर आने लग गये और इस त्यागपत्र के पीछे की पृष्ठभूमि की खोजबीन शुरू हो गई। 2019 से पजांब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरेन्द्र सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू मे तलवारें खिंची हुई थी। नवजोत सिंह सिद्धू लगातार अप्रत्यक्ष या प्रत्यक्ष तौर पर अमरेन्द्र सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मुहिम छेड़े हुए थे। कांग्रेस हाईकमान के लिए इन दोनों के आपसी रिश्ते सिरदर्द बने हुए थे। कांग्रेस की तीन सदस्यीय हाईकमान ने जिसमे माँ, बेटा और बेटी सदस्य है ने दोनों मे समन्वय बनाते हुए सिद्धू को पजांब कांग्रेस का अध्यक्ष मनोनीत कर दिया, लेकिन इलाज के साथ बिमारी और बढ़ गई। आखिर तिकड़ी को पंजाब कांग्रेस का बड़ा ऑपरेशन करना पड़ा और मुख्यमंत्री अमरेन्द्र की छुट्टी और चरणजीत सिंह चन्नी की बतौर मुख्यमंत्री ताजपोशी कर दी गई। जबसे सिद्धू पंजाब प्रदेश की राजनीति मे सक्रिय हुए है यहाँ की राजनीति कॉमेडी सर्कस बन कर रह गई है।
राजनैतिक विशलेषकों का मत था कि अमरेन्द्र के जाने के बाद और चन्नी के मुख्यमंत्री बनने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू भले ठहाके लगा रहे हो लेकिन अन्दर से वह बहुत दुखी है। स्मरण रहे कि सिद्धू ठहाके लगाने वाले पेशेवर कलाकार है। सिद्धू का मानना था कि अमरेन्द्र का शिकार मैंने किया है लेकिन तिकड़ी ने दावत उड़ाने का मौका चन्नी को दे दिया है। मन से वह ही अपने आप को मुख्यमंत्री पद का दावेदार मान रहे थे। उन्होंने सोनिया गांधी को लिखे अपने खत मे लिखा कि मैं पजांब के हितों से समझौता नहीं कर सकता हूँ। लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि वह किन हितों की बात कर रहे है। विश्लेषकों का मानना है कि वह नवनियुक्त मुख्यमंत्री से भी कपूरथला के विधायक गुरजीत सिंह को मंत्रीमंडल मे स्थान देने से खुश नहीं थे। खबरों के अनुसार दोआबा क्षेत्र के 6 विधायकों ने राणा गुरजीत सिंह जैसे दागी विधायक को मंत्री बनाने पर आपत्ति दर्ज की थी परन्तु नये मुख्यमंत्री ने इसकी अनदेखी कर दी। असल मे जो गंभीरता, ठहराव और परिपक्वता पजांब कांग्रेस अध्यक्ष या पंजाब के मुख्यमंत्री पद के दावेदार के पास होनी चाहिए वह नवजोत सिंह सिद्धू के पास दिखाई नहीं देती है। वह धरातल के राजनीतिक कार्यकर्ता कभी नहीं रहे। असल मे वह क्रिकेटर थे और उनके कथित राजनैतिक गुरु अरुण जेतली क्रिकेट और क्रिकेटरों के बड़े मुरीद थे। इसके चलते वह उन्हें राजनीति मे ले आए थे। वह एक मशहूर कॉमेडी शो का हिस्सा भी थे। इसके कारण वह स्टार भी बन गये और अपने स्टारडम के कारण यहां तक पहुंच गये है। लेकिन कुछ और लोगों ने भी अपने स्टारडम को राजनीति मे सीढ़ी के तौर पर जरूर इस्तेमाल किया है, परन्तु समय के साथ उनमे राजनीतिक परिपक्वता भी आ गई थी। नवजोत जी को यह समझ लेना चाहिए कि राजनीति मे हमेशा बोलना चाहिए यह सही नहीं है। कभी-कभी मौन रहना या इतंजार करना भी जरूरी होता है। खैर एक दिलचस्प कलाकार ने पंजाब की विशेषकर कांग्रेस की राजनीति को दिलचस्प बना दिया है
लेखक:- महेंद्र नाथ सोफत पूर्व मंत्री हिमाचल प्रदेश सरकार