Hemanshu Mishra additional advocate general की प्रस्तुति

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बी के सूद मुख्य संपादक

#कोर्ट_के_बाहर
#हेमांशु_मिश्रा

कोर्ट के बाहर टँगे बोर्ड में
सरसरी निगाहें जमाये
बगल में फ़ाइल थामे
कभी वादी कभी प्रतिवादी
पक्षकार के मर्म को जाने
तर्कों वितर्कों के संजोते जाले
उधेड़ते बुनते संवरते ताने बाने

वो खड़ा है
न्यायालय के ठीक बाहर
अपनी बारी के इंतजार में
वकील साथियों के साथ
बतियाने में मशगूल

जहां तंज है व्यंग्य है
हंसी और ठिठोली है
अहसास है जिम्मेदारी है
मीठी सी बोली है

कहीं बोर्ड में नम्बर बदलते ही
कहीं आवाज पड़ते ही

कोट गाउन की सिलवटे हटते हटाते
फ़ाइल को मुठ्ठी में दबाते
कदम न्यायालय की चौखट में बढ़ाते
समर्पित करता है
अपने श्रम समझ ज्ञान अध्ययन की धारा

और
जिम्मेदारी निभाने की खुशी में
समझते समझाते हुए
सम्भलते सम्भालते हुए
बताते गुर्राते हुए
सुनते सुनाते हुए

फिर जुट जाता है
अगले केस के इंतज़ार में
परिवार समाज के द्वन्दों को भूल
प्रतिबद्ध हो जाता है न्याय के मूल

कोर्ट रूम के ठीक बाहर की
हलचल सम्वेदना महसूस की
तो नई दुनिया पाई है
अधिकारों के इन्तज़ारों की
इन्तेज़ारों के सरोकारों की
बनते बिगड़ते सपनों की
टूटते जुड़ते रिश्तों की
खुशी गम में सने आंसुओं की

इन सब के साथ पाया है मैंने वकील
संविधान स्वतंत्रता और व्यक्ति की
रक्षा में सदा तल्लीन 

Hemanshu Mishra additional advocate general

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