पाठकों के लेख

मोहिन्दर नाथ सोफत पूर्व मंत्री हिमाचल प्रदेश सरकार

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बी के सूद मुख्य संपादक

Bksood Chief Editor

 

20 अक्तूबर 2021– (#मंडी_मे_राजनीति_की_मंडी)–

मंडी वह स्थान है जहां मोल-भाव किया जाता है और जहां सौदेबाजी की जाती है। मंडी लोकसभा का उपचुनाव होने वाला है। कांग्रेस और भाजपा मे कांटे की टक्कर बताई जा रही है। आज वहां हर एक समर्थन की कीमत है और हर एक वोट क़ीमती है। मंडी के स्थापित राजनीतिक परिवार सुख राम परिवार की स्थिति आज राजनीतिक दृश्य मे बहुत ही हास्यापद है। न इस परिवार को पुरी तरह भाजपा मे माना जा सकता है और न ही कांग्रेस मे। यह परिवार जब भी मौका मिलता है दोनों पार्टियों से अपने परिवार हित मे सौदेबाजी करने लगता है। पिछले लोकसभा चुनाव मे पहले पंडित सुखराम अपने पोते के लिए भाजपा से टिकट मांग रहे थे जब भाजपा ने इन्कार कर दिया तो अपने पुराने संबंधों का इस्तेमाल करते हुए आश्रय के लिए कांग्रेस पार्टी से टिकट दिला लाए। आश्रय के पिता श्री अनिल शर्मा आज भी मंडी सदर से भाजपा विधायक है। बेटा कांग्रेस का उम्मीदवार था तो अनिल ने भाजपा के उम्मीदवार के पक्ष मे प्रचार करने से इंकार कर दिया और तभी से वह भाजपा मे हाशिए पर चल रहे है। अब फिर आश्रय कांग्रेस के टिकट के दावेदार थे लेकिन उनकी पिछली बड़ी हार को देखते हुए प्रतिभा सिंह को प्रत्याशी बनाया गया है।इसलिए आश्रय फिर से कांग्रेस मे नाराज चल रहे थे।

दुसरी ओर अनिल शर्मा ने भाजपा पार्टी और मुख्य मंत्री जी से सौदेबाज़ी शुरू कर दी। भाजपा उम्मीदवार के समर्थन के बदले मंत्री बनाने की शर्त लगा दी। यह कह कर कि मुझे और आश्रय को एक ही पार्टी मे होना चाहिए राजनीतिक अटकलों को हवा दे दी कि आश्रय भाजपा मे लौट सकते है, परन्तु जल्दी ही सभी अटकलें और कयासों की हवा निकल गई।मुख्यमंत्री जी ने स्पष्ट कर दिया कि मंत्रीमडंल मे स्थान खाली नहीं है। यदि वह बिना शर्त भाजपा उम्मीदवार का समर्थन करते है तो उनका मान- सम्मान बहाल कर दिया जाएगा। आश्रय को जैसे ही आभास हुआ कि भाजपा ने राजनीति मे परिवारवाद समाप्त करने की ठान ली है तो उसने प्रतिभा सिंह का प्रचार शुरू कर दिया। मेरे विचार मे राजनीति को व्यपार बनाने मे सुखराम परिवार का कोई सानी नहीं है। वह मंडी के मतदाताओं अपना जर खरीद समझते है और उनके समर्थन के बल पर अपने और परिवार के हित मे राजनैतिक सौदेबाजियां करते रहते है। ऐसे लोगो के ऐसे कार्यकलापों से राजनीति और राजनेता बदनाम होते चले जाते है।

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