#पंजाब_और_अन्य_चुनावों_से_पूर्व_बिछाई_जा_रही_है_राजनीति_की_नई_बिसात)–

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21अक्तूबर 2021 (#पंजाब_और_अन्य_चुनावों_से_पूर्व_बिछाई_जा_रही_है_राजनीति_की_नई_बिसात)-

लेखक:- महेंद्र नाथ सोफत पूर्व मंत्री हिमाचल प्रदेश सरकार

पंजाब सहित पांच राज्यों के चुनाव 2022 के शुरूआत मे होने जा रहे है। पंजाब मे किसान आन्दोलन के चलते भाजपा पंजाब के राजनीतिक मानचित्र पर अलग थलग नजर आती है, लेकिन अमित शाह के नेतृत्व मे भाजपा के रणनीतिकारों ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमेरन्द्र सिंह के साथ मिल कर राजनीति की नई बिसात बिछानी शुरू कर दी है। शीघ्र ही अमरेन्द्र सिंह नई क्षेत्रीय पार्टी के गठन की घोषणा कर सकते है। उनकी नई पार्टी भाजपा और अकाली पार्टी से अलग हुए नेताओं के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ सकती है। हालांकि अमरेन्द्र सिह ने भाजपा से गठबंधन करने के लिए किसान नेताओं से सम्मानजनक समझौता करने की शर्त रखी है। केंद्र सरकार के रणनीतिकार भी बिना तीनों कानूनों की वापसी के समझौते का रास्ता निकालना चाहते है।

मेरे विचार मे केंद्र सरकार किसान नेताओं के साथ बातचीत को आगे बढ़ाने के लिए मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमेरन्द्र सिंह की बतौर मध्यस्थ सेवाएं ले सकती है। सत्यपाल मलिक राज्यपाल होने के बावजूद एक सक्रिय राजनेता की भूमिका मे नजर आते है। उन्होंने कहा भी है कि मै मध्यस्थता करने के लिए तैयार हूँ। उन्होंने सारे मामले का दायरा छोटा करते हुए कहा कि यदि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी का कानून बना दे तो मै किसानों को राज़ी कर लूंगा। वैसे भी पांच राज्यों के चुनाव से पहले किसानों से समझौता राजनीतिक तौर मे भाजपा के हित मे है।

किसान समझौते के बाद यदि अमरेन्द्र सिंह के नेतृत्व मे भाजपा गठबंधन का हिस्सा बनती है तो पंजाब मे नये समीकरण उभर सकते है। हालांकि कांग्रेस दलित कार्ड खेल रही है तो अमरेन्द्र सिंह पजांब मे जाट सिख और हिन्दू वोट बैंक मे सेंध लगा कर कांग्रेस को झटका दे सकते है। वैसे भी कांग्रेस के विरोधी आरोप लगा रहे है कि ईसाई बने दलित को कांग्रेस ने मुख्यमंत्री बना कर दलितों से धोखा किया है, क्योंकि जो दलित ईसाई है तो वह दलित कैसे रह सकता है। खैर कांग्रेस, आप, अकाली और नया गठबंधन पंजाब की राजनीति मे लगभग बराबरी की ताकतें होगी और चुनाव मे कौन बाजी मारेगा उसका आंकलन करने के लिए अभी इतंजार करना होगा

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