लोकतंत्र मे आखरी ताकत जनता के पास
बी के सूद चीफ एडिटर
राजनैतिक कारणों के चलते कुछ लोग इस बात से सहमति नहीं जता रहे है कि इन उपचुनावों मे बढ़ती हुई महंगाई बड़ा मुद्दा थी, परन्तु हिमाचल के मुख्यमंत्री जी ने इस बात को स्वीकार करने मे हिम्मत दिखाई है। उपचुनावों के परिणामों ने केंद्र सरकार को भी सोचने और एक्शन करने पर मजबूर किया है। कोई माने न माने दीवाली की पूर्व संध्या पर केंद्र सरकार ने जहां आम लोगों को पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी की कटौती कर दीवाली गिफ्ट दिया है, वहीं केंद्र सरकार की यह स्वीकृति भी है कि लोगो ने महंगाई के विरोध मे मतदान किया है। यह उप चुनाव के परिणाम के ऐसे परिणाम दे कर जनता ने सरकार को महंगाई को नियंत्रित करने के निर्देश दिये है। सरकार ने जनता के मूड को भांपते हुए तुरंत कार्यवाही की और केंद्र सरकार ने एक्साइज डयूटी घटाते हुए पैट्रोल 5 रूपये और डीजल 10 रूपये सस्ता कर दिया है। प्रदेश सरकारों को भी वेट कम करने के लिए कहा गया है। असल मे पिछले 28 दिनों मे पैट्रोल के 8.85 रूपये दाम बढ़ाये गए थे। कुछ लोग जो यह मानते है कि पेट्रोल और डीजल का अमीर और उच्च मध्म वर्ग के लोग उपयोग करते है को मै बताना चाहूँगा कि देश मे ऑटो क्रान्ति के बाद पेट्रोलियम पदार्थों के इस्तेमाल करने वालो की संख्या मे बड़ी बढ़ोतरी हुई है। इसका इस्तेमाल करने वालो मे कम आय वाले लोग भी शामिल हो गये है। इसके अतिरिक्त महंगे पेट्रोलियम पदार्थों की मार अप्रत्यक्ष रूप से सब पर पड़ती है। डीजल के मंहगा होने से परिवहन भाड़ा बढ़ता है और भाड़े से सभी आवश्यक वस्तुओं के भाव बढ़ते है।
एक्साइज ड्यूटी कम करने की केंद्र सरकार की नैतिक जिम्मेदारी भी थी क्योंकि जब अंतर्राष्ट्रीय बाजार मे कच्चे तेल के भाव नीचे थे तो केंद्र सरकार ने एक्साइज ड्यूटी बढ़ा दी थी। उस समय इस समझ के साथ डयूटी बढ़ाई गई थी कि जब अंतर्राष्ट्रीय बाजार मे कच्चे तेल मे उछाल आएगा तो एक्साइज ड्यूटी घटा कर उपभोक्ताओं को राहत दे दी जाएगी परन्तु ऐसा सम्भव नहीं हुआ। इस कारण से जनता मे अपार रोष था। अब समाज मे बड़ा परिवर्तन हो गया है कि आम जन किसी रोष को लेकर आनदोलन नहीं करते है। वह अपने रोष का चुनाव मे विरोध मे वोट देकर इजहार करते है। मेरे विचार मे यदि मतदाता क्षेत्र, धर्म और जाति को छोड़ विकास, मंहगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर मतदान करेगा तो वह देश हित मे होगा। हिमाचल मे इन उपचुनावों के परिणाम के बाद भाजपा डाउन तो जरूर हुई है लेकिन वह आउट नहीं है। मंडी सीट जिसमे 17 विधान सभा क्षेत्र आते है हार और जीत का अन्तर बहुत कम है। अभी अगली परीक्षा या चुनाव के लिए एक वर्ष शेष है कुछ जरूरी सुधारात्मक पग उठाकर बाजी पलटी जा सकती है, क्योंकि एक बात साफ है कि कांग्रेस को जीताने के लिए मतदान नहीं किया गया था यह मतदान रोष प्रकट करने के लिए किया गया है। रोष खत्म किया जा सकता है। मेरे विचार मे रोष खत्म होगा तो बाजी पलट जाएगी।