लेखक :-महेंद्र नाथ सोफत पूर्व मंत्री हिमाचल प्रदेश सरकार
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी मे वायु प्रदुषण की खतरनाक स्थिति पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि इस स्थिति के लिए किसान नहीं अपितु औद्योगिक इकाइयां, बिजली उत्पादन संयंत्र और वाहन मुख्य रूप से जिम्मेदार है। कोर्ट ने कहा है कि केंद्र सरकार 24 घंटे मे सभी संबंधित राज्यों की आपात बैठक बुलाकर प्रदुषण कम करने के लिए “वर्क फ्राॅम होम” समेत तत्काल सभी उपाय सुनिश्चित करने की व्यवस्था करें। अदालत का कहना है कि हरियाणा और पंजाब के किसानों द्वारा पराली जलाने का मुद्दा उठाकर बार-बार राजधानी दिल्ली मे वायु प्रदूषण की खतरनाक स्थिति बढ़ने का शोर मचाया जाता है। लेकिन सरकार की रिपोर्ट से अब यह साफ हो गया है कि प्रदुषण की बड़ी वजह पराली जलाना नहीं है। रिपोर्ट के अनुसार पराली से केवल 10 प्रतिशत प्रदुषण है। मेरे विचार मे प्रदुषण की खतरनाक स्थिति का सारा इल्जाम किसानों पर थोपने से यह बात सिद्ध होती है कि हमेशा कमजोर आदमी या समुदाय को बलि का बकरा बनाया जाता है। खैर एक बहुत विचारणीय विषय है कि पिछले कुछ वर्षों से इन्ही दिनों मे दिल्ली प्रदुषण की समस्या उग्र रूप दिखाई देती है और तभी मामला कोर्ट और सरकार के स्तर पर चर्चित होता है। कुछ समय बाद जैसे ही स्थिति थोडी- बहुत सम्भलती है, सरकार और कोर्ट सहित हम सब सो जाते है। मेरे विचार मे इस समस्या का स्थाई हल खोजने की आवश्यकता है।
हमे मानना होगा कि सबसे अधिक प्रदुषण का कारण है वाहन। यह सर्वविदित है कि वाहनो की संख्या लगातार बढ़ रही है। दिल्ली मे कभी संख्या सैंकड़ों मे थी, फिर हजारों मे हुई और उसके बाद लाखों मे। अब कहा जाता है कि दिल्ली का एन सी आर क्षेत्र और हर रोज बाहर से आने वाले वाहनों को अगर जोड़ दिया जाए तो यह आंकड़ा करोड़ को छू लेता है। प्रदुषण से सतत लड़ाई की जरूरत है। वाहनों की बढ़ती संख्या को रोकने के लिए कदम उठाने होंगे। देश मे आटो क्रांति तो आ गई लेकिन देश इसके तैयार नहीं था। आज एक परिवार के पास एक से अधिक वाहन है। अब परिवार के हर सदस्य के पास अलग कार का चलन है। इसके दो कारण है पहला हमारा पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम बहुत ही कमजोर है। दुसरा कार रखना स्टेटस सिम्बल है। आज कार रखना सिर्फ मध्यम या अमीर वर्ग का एकाधिकार नहीं है अपितु सब वाहन रखने की होड़ मे शामिल है। दीर्घकालिक योजना के अंतर्गत पब्लिक ट्रांसपोर्ट को मजबूत करना आवश्यक है। निर्माण कार्य के वैज्ञानिक तौर तरीके को अपनाना अति आवश्यक है। औद्योगिक इकाइयों को एक बार फिर राजधानी से बाहर स्थानांतरण करना होगा। इसके अतिरिक्त सप्ताह मे 5 दिन काम और 2 दिन अनिवार्य सेवाओं के अतिरिक्त पुर्ण तालाबंदी भी एक उपाय है। मानव स्वास्थ्य को बचाने के लिए प्रदुषण से निपटना जरूरी है तो कड़े कदम उठाने से संकोच नहीं होना चाहिए।