कैग रिपोर्ट में खुलासा: 96 विकास योजनाओं पर हिमाचल सरकार ने नहीं खर्ची फूटी कौड़ी
विधानसभा के शीत सत्र के अंतिम दिन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सदन के पटल पर भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट रखी। वित्त वर्ष 2019-20 की इस रिपोर्ट के मुताबिक हिमाचल सरकार ने पेयजल, सड़क, पर्यटन, ऊर्जा आदि से संबंधित 96 विकास योजनाओं पर फूटी कौड़ी तक खर्च नहीं की। इन योजनाओं पर बजट को खर्च न करने का कारण भी नहीं बताया गया है। इनमें से कोई भी योजना एक करोड़ से कम बजट की नहीं है। ऐसे कई मामलों का उल्लेख करते हुए कैग ने कड़ी टिप्पणी की है कि राज्य सरकार की बजटीय व्यवस्था स्तरीय नहीं थी। बजटीय आवंटन अवास्तविक प्रस्तावों पर आधारित था। रिपोर्ट के मुताबिक जल शक्ति विभाग में बाह्य सहायता प्राप्त योजनाओं में ब्रिक्स के तहत ग्रामीण जलापूर्ति एवं स्वच्छता योजना के लिए 100.07 करोड़ मंजूर किए गए थे।
उद्यान निदेशालय में बागवानी विकास परियोजना के अंतर्गत 78.97, राज्य लोक निर्माण विभाग में सड़कों के रखरखाव के लिए 69.29, विश्व बैंक राज्य सड़क के लिए 75, ऊर्जा निदेशालय में प्रदेश विद्युत निगम को ऋण दिलाने के लिए 62 और पंचायती राज निदेशालय के लिए वित्तायोग के तहत ग्राम पंचायतों को निष्पादन अनुदान के लिए 59.72 करोड़ रुपये स्वीकृत थे। पर्यटन निदेशालय ने पर्यटन के लिए बुनियादी ढांचा विकास निवेश कार्यक्रम के अंतर्गत 55.69, ऊर्जा निदेशालय में विद्युत निगम इक्विटी अंशदान में 45, शिक्षा निदेशालय में अनुसूचित जाति के छात्रों को पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति देने के लिए 44.28 और सचिव वित्त के पास आरक्षित निधि से पेंशनभोगी के लिए 42.40 करोड़ रुपये मंजूर थे। मगर इस बजट को इन योजनाओं पर खर्च नहीं किया गया। 96 में से अन्य कई योजनाओं का भी यही हाल है।
6207 करोड़ रुपये हर साल ब्याज के ही देने पड़ेंगे
कैग ने हिमाचल प्रदेश सरकार के आर्थिक प्रबंधन पर भी सवाल उठाए हैं। रिपोर्ट के अनुसार 2019-20 में सरकार के लोक ऋण दायित्व और इसके ब्याज के भुगतान की रकम 62234 करोड़ होगी। इसमें 40572 करोड़ के मूलधन और 21662 करोड़ की ब्याज राशि शामिल है। सरकार को 2024-25 तक 6207 करोड़ हर साल मूलधन और ब्याज के रूप में अदा करने होंगे।