Bksood:- chief editor
मोदी सरकार के देश में से वीआईपी कल्चर खत्म करने के लिए लाल नीली लाइटिंग लगाने का रिवाज खत्म करने के बारे में बहुत पहले फैसला लिया गया था परंतु हिमाचल प्रदेश में कुछ सरकारी वाहनों पर यह फ्लैशलाइट लगी हुई है। अब प्रदेश में जिलों के डीसी, एसपी, एसडीपीओ और एसडीएम के वाहनों पर लगी फ्लैशर लाइट हटाने की कवायद शुरू हो गई है।
विधानसभा में शुक्रवार को नेता प्रतिपक्ष ने सवाल किया था कि आखिर किस नियम के तहत अधिकारी अपने वाहनों में लाल-नीली फ्लैशर लाइट लगाए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा था कि केंद्र और हिमाचल सरकार ने किसी को भी गाड़ियों में रेड फ्लैशर लाइट लगाने की मंजूरी नहीं दी है।
इस मामले पर कड़ा संज्ञान लिया जाएगा। इसके बाद परिवहन विभाग ने अपनी फाइलों को खंगाला तो पला चला कि कोविड की पहली लहर के दौरान राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन एक्ट का हवाला देते हुए जिलों के उपायुक्तों को फ्लैशर लाइट लगाने को लेकर अधिकृत कर दिया गया था। उस समय दलील दी गई थी कि लॉकडाउन के दौरान कानून व्यवस्था की ड्यूटी करने के दौरान बिना लाइट के दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है
इसे देखते हुए परिवहन विभाग के तत्कालीन अधिकारियों ने जिलों के उपायुक्तों को अधिकार देने के संबंध में एक आदेश जारी कर दिया था। अब विभाग उस आदेश को वापस लेने पर विचार कर रहा है। सोमवार को विधानसभा दोबारा खुलने से पहले इस आदेश को वापस लिया जा सकता है, ताकि इस पर दोबारा विवाद न हो सके। उल्लेखनीय है कि नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने सवाल किया था कि जब हिमाचल में रेड लाइट कल्चर खत्म हो गया है, लेकिन अफसरों का बत्तियों का शौक खत्म नहीं हो रहा