परम पूज्य भैया जी महाराज का सुंदर सन्देश

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पालमपुर बी के सूद मुख्य संपादक

भैया जी का सुंदर संदेश

Param Pujya bhaiya Suresh ji Maharaj

पता नहीं किस रचनाकार की कृति है। पर उत्तम है।

शब्द *रचे* जाते हैं,
शब्द *गढ़े* जाते हैं,
शब्द *मढ़े* जाते हैं,
शब्द *लिखे* जाते हैं,
शब्द *पढ़े* जाते हैं,
शब्द *बोले* जाते हैं,
शब्द *तौले* जाते हैं,
शब्द *टटोले* जाते हैं,
शब्द *खंगाले* जाते हैं,

… इस प्रकार

शब्द *बनते* हैं,
शब्द *संवरते* हैं,
शब्द *सुधरते* हैं,
शब्द *निखरते* हैं,
शब्द *हंसाते* हैं,
शब्द *मनाते* हैं,
शब्द *रूलाते* हैं,
शब्द *मुस्कुराते* हैं,
शब्द *खिलखिलाते* हैं,
शब्द *गुदगुदाते* हैं,
शब्द *मुखर* हो जाते हैं
शब्द *प्रखर* हो जाते हैं
शब्द *मधुर* हो जाते हैं

… इतना होने के बाद भी

शब्द *चुभते* हैं,
शब्द *बिकते* हैं,
शब्द *रूठते* हैं,
शब्द *घाव देते* हैं,
शब्द *ताव देते* हैं,
शब्द *लड़ते* हैं,
शब्द *झगड़ते* हैं,
शब्द *बिगड़ते* हैं,
शब्द *बिखरते* हैं
शब्द *सिहरते* हैं

… परन्तु

शब्द कभी *मरते नहीं*
शब्द कभी *थकते नहीं*
शब्द कभी *रुकते नहीं*
शब्द कभी *चुकते नहीं*

… अतएव

शब्दों से *खेले नहीं*
*बिन सोचे बोले नहीं*
शब्दों को *मान दें*
शब्दों को *सम्मान दें*
शब्दों पर *ध्यान दें*
शब्दों को *पहचान दें*
ऊँची लंबी *उड़ान दें*
शब्दों को *आत्मसात करें*
उनसे उनकी बात करें,
शब्दों का *अविष्कार करें*
गहन सार्थक *विचार करें*

… क्योंकि

शब्द *अनमोल* हैं
ज़ुबाँ से *निकले बोल हैं*
शब्दों में *धार होती है*
शब्दों की *महिमा अपार होती* है
शब्दों का *विशाल भंडार* होता है

और

… सच तो यह है कि

*शब्दों*
*का*
*भी*
*अपना*
*एक 🌐 संसार होता है*

🙏🙏
*शब्दों को*
*सम्मान दें*

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