बाड़ी गार्ड का परचम हमेशा हिमालय से भी ऊंचा लहराता रहे , पलटन दो जम्मू और कश्मीर राइफल्स जो बाडी गार्ड पलटन के नाम से मशहूर है के स्थापना दिवस पर गर्व से बोले कर्नल जसवन्त सिंह चन्देल,

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RAJESH SURYAVANSHI
Editor-in-Chief, HR MEDIA GROUP, 9418130904, 8988539600

सभी को बाड़ी गार्ड स्थापना दिवस की अग्रिम शुभकामनाएं।आप सब सुखी रहें आबाद रहें स्वस्थ रहें खुश रहें यही हमारी कामना है। बाड़ी गार्ड के तमाम बच्चे आज्ञाकारी बनें, कुशल बनें, कामयाब बनें और अपने मां बाप और बाड़ी गार्ड का नाम रौशन करते रहें।किसी मां -बाप को अपने बच्चों की बजह से कभी किसी के पांवों की तरफ देखना न पड़े। श्री दुर्गे माता जी से हम दोनों की प्रार्थना है कि बाड़ी गार्ड का परचम हमेशा हिमालय से भी ऊंचा लहराता रहे। धन्यवाद।जय दुर्गे।

25 अप्रैल 23को भारतीय सेना की उच्च सुशोभित पलटनों में से एक पलटन दो जम्मू और कश्मीर राइफल्स जो बाडी गार्ड पलटन के नाम से मशहूर है का स्थापना दिवस था।

स्थापना दिवस समारोह हिमाचल, जम्मू, पंजाब और नेपाल में बड़ी धूमधाम से मनाया गया , जिसमें बाड़ी गार्ड के पूर्व सैनिकों ने भाग लिया और अपने ईष्ट श्री दुर्गा माता से प्रार्थना की हमारी पलटन का परचम हिमालय से भी ऊंचा लहराता रहे। जिला मंडी के प्रसिद्ध स्थान नेरचौक में,जिला बिलासपुर , हमीरपुर और मंडी के बाडी गार्ड के पूर्व सैनिकों ने अपनी पलटन का जन्मदिन समारोह आयोजित किया।

इस समारोह में लगभग एक सौ से ज्यादा पूर्व सैनिक अपने परिवारों के साथ उपस्थित हुए।

कर्नल जसवन्त सिंह चन्देल विशिष्ट सेवा मेडल जो बाडी गार्ड के इकतालीसवें कमांडिंग ऑफिसर रहे, विशेष तौर पर इस समारोह की अगवाई कर रहे थे।

यह इस बहादुर पलटन का 155 वां स्थापना दिवस था।पलटन का इतिहास कुछ इस प्रकार है।

बॉडीगार्ड पलटन का संक्षिप्त इतिहास

इतिहास शब्द तीन संस्कृत शब्दों से मिलकर बना है। इति-ह-आस। इसका अर्थ है कि, भूतकाल में जो इस तरह था, अर्थात इतिहास अतीत में घटित घटनाओं का विवरण है। इतिहास की तीन मान्यताएं होती है। पहली कि इसमें सार्वजनिक घटनाओं का विवरण होता है। दूसरे, वर्णित घटनाओं में क्रमबद्धता होती है। तीसरे लिखनेवाला घटनाओं को जैसे के तैसा लिखे। इतिहास अतीत और वर्तमान के बीच सेतु होता है। मैं कहना चाहता हूँ कि इतिहास देशप्रेम और मानव जाति प्रेम की भावानाओं को प्रेरणा देता है। सेना की किसी पलटन के इतिहास में वे समस्त बातें आती हैं जो पलटन ने भूतकाल से लेकर आजतक की हो।

बॉडीगार्ड का मतलब होता है अंगरक्षक जम्मू-कश्मीर राइफ्लज का इतिहास उतना ही पुराना है जितना कि जम्मू-कश्मीर का इतिहास आधुनिक जम्मू- कश्मीर के संस्थापक महाराजा गुलाब सिंह के समय किसी भी सेना की युनिट को ‘अंगरक्षक’ यानि बॉडीगार्ड का खिताब नहीं दिया गया था। महाराज गुलाब सिंह अगस्त 1857 को स्वर्ग सिधरे। उनका एक ही बेटा था, जिनका नाम रणवीर सिंह था। पिता की मृत्यु के बाद वे जम्मू-कश्मीर के महाराजा बनें।

महाराजा रणबीर सिंह के समय सेना की दो कुछ हटकर और अलग किस्म की इकाईयाँ गठित हुई जिन्हें बॉडीगार्ड कहा गया। पहली इकाई तोपखाने की थी जो कि मियां सुख के अधीन 1868 में गठित हुई। दूसरी इकाई जमेदार कनहिया के अधीन पैदल सेना की गठित हुई। इस इकाई में केवल लम्बड़दारों के पुत्र या भाई ही शामिल किए गए। इसे लम्बडरारों के पुत्र पलटन का नाम दिया गया। यह 1869 में

अस्तित्व में आई और इन दोनों इकाईयों को बाडीगार्ड यूनिट का खिताब दिया गय लम्बड़दारों के पुत्र ईकाई में छोटी उम्र के बच्चे भर्ती किए जाते थे और होने पर उन्हें दूसरी पलटनों में भेज दिया जाता था। 1871 में इस इकाई को पूर्णत्य सेना सुनि बना दिया गया और इसका नाम बडीगार्ड पलटन रखा गया।

वर्तमान में यह पलटन दो जम्मू-कश्मीर राई (बाडीगार्ड) नाम से जानी जाती है। यह पलटन भारतीय सेना की उच्च-सुशोभित पलटनों में एक गिनी जाती है। इस पलटन ने जम्मू-कश्मीर राईफ्लज के लिए पाँच युद्ध सम्मान अर्चित किए है। 1992-94 की अवधि में पलटन को चीफ साहब और आर्मी कमांडर साहब के प्रशस्ति पत्रों द्वारा नवाजा गया है। मुझे इस पलटन का इकतातीरथों कमान अधिकारी बनने का शौभाग्य प्राप्त हुआ था।

बाडीगार्ड पलटन ने नीचे लिखे ऑपरेशनों में हिस्सा लिया है और बहुत

उमदा काम किया है:

(1)

प्रथम विश्व युद्ध

पूर्वी अफ्रीका

(2) द्वितिया विश्व युद्ध

यूरोप और ईरान

(3)

1947

जम्मू-कश्मीर ऑपेरशन

(4) 1962

चीन-भारत युद्ध (नेफा सुवानसारी)

भारत-पाक युद्ध (सुंदरबनी)

ऑपरेशन रक्षक (पंजाब)

(5) 1971

(6)

1987

ऑपरेशन पवन (श्री लंका)

(7)

(8)

1988-90

1992-95 ऑपरेशन रक्षक (श्रीनगर)

(9)

1998-01

ऑपरेशन फाल्कन (सवानसारी घाटी)

(10)

2001-02

ऑपेरशन पराक्रम (राजस्थान)

(11)

2003-06

ऑपेरशन रक्षक (राजौरी)

(12)

2010-12

ऑपेरशन रक्षक (पदम)

(13)

2017-18

ऑपरेशन रक्षक (पदम) डोकलाम

पलटन अपना जन्मदिन 25 अप्रैल, 1869 मानती है और यह ऐतिहासिक सत्य भी है। हर वर्ष 25 अप्रैल को यह दिवस धूमधाम से मनाया जाता है। हमारा

युद्धघोष “दुर्गे माता की जै” है। पलटन में पचास प्रतिशत जवान व सरदार सहिवान। 

डोगरा उपजाति के है और पचास प्रतिशत हिन्दुस्तानी गोरखा हैं। पलटन के बहादुर अधिकारियों, सरदार सहवानों और जवानों ने स्वतंत्रता प्राप्ती से पहले 78 वीरता पदक और स्वंत्रता के पश्चात 1830 वीरता पदक हासिल किए है। इनमें चीफ साहब और आर्मी कमांडरों के प्रशस्ति पत्र शामिल नहीं है।

मैं अंत में यह कहना चाहता हूँ कि जो इतिहास को पढ़ते और जानते नहीं है वे इतिहास नहीं बनाते हैं।

 

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