भंडाफोड़! *पूछो कितने में बिके ये गद्दार – राजा और रानी हैं इनके सरदार* के पोस्टर पालमपुर में कर रहे गद्दारों का उपहास…मुख्यमंत्री सुक्खू और 6 गद्दारों के बीच तकरार, बृज बिहारी लाल बुटेल के मातृभाक्ति के जज़्बे को सलाम! उनका मत है कि पार्टी तो माँ के समान होती है, उसके साथ विश्वासघात करने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता..कहां हैं आज ऐसे पार्टी के सुपूत? क्या। पावर और पैसे की चकाचौंध ने सब धूमिल कर दिया!
ग़लतफहमियों के सिलसिले आज इतने दिलचस्प हैं, कि हर ईंट सोचती हैं, दीवार मुझपर टिकी है
आज पालमपुर व आसपास के क्षेत्रों में, कोने-कोने में हिमाचल प्रदेश सरकार के 6 कथित गद्दार नेताओं के बारे में फ़ोटो सहित लगे अनगिनत पोस्टरों में उनके बारे में और उनके आश्रयदाताओं के बारे में पढ़ कर मन को बहुत ठेस पहुंची, अत्यधिक पीड़ा भी हुई।। यह वही स्थान हैं जहां इन नेताओँ की राहों में फूलों की वर्षा होती थी। उन पर पुष्प बरसाए जाते थे, उनकी जयजयकार से पूरा पालमपुर गुंजायमान हो उठता था।
आज उनकी गद्दारी की वजह से आहत लोग उनकी बदनामी के चर्चे सरेआम कर रहे है और उनसे दुखी लोग उनके ख़िलाफ़ पोस्टर लगाने पर मजबूर हैं। लोग कह रहे हैं कि उन्होंने अपना कीमती वोट बर्बाद कर दिया।
लोगों को इस बात पर आज भी विश्वास नहीं हो रहा है कि क्या कोई राजनेता इस हद तक गिर सकता है कि चंद सिक्कों की खातिर अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए अपनी पार्टी रूपी मां की पीठ में छुरा घोंप कर उसे लहूलुहान कर सकता है, उसे पूरे विश्व में बदनाम कर सकता है।
मात्र कुछ करोड़ रुपयों की ख़ातिर इन 6 तथाकथित बागियों ने अपनी पार्टीरूपी मां के साथ गद्दारी कर डाली।
उन्हें इस बात का आभास होना चाहिए था कि आज जो करोड़ों रुपए की संपत्ति उनके पास है वह इसी कांग्रेस रूपी मां की देन है, देश विदेश में जो उनकी अथाह संपत्तियां हैं वह इसी पार्टी रूपी मां की देन है उन्हें कदापि माफ नहीं किया जा सकता…. ऐसा जनता का मानना है। आज ये 6 के 6 गद्दार मतदाताओं की आंख में कांटा बनकर चुभ रहे हैं।
मतदाताओं को इन 6 कथित काले नागों से इतनी अधिक घृणा हो चुकी है कि वे उनकी शक्ल भी देखना नहीं चाहते।
हिन्दोस्तान के इतिहास में राजनीति की जंग में इतनी घृणित और निन्दनीय घटना आज तक नहीं हुई। जिन लोगों ने इस निन्दनीय घटना में इन गद्दारों का प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से साथ दिया उन्हें भी देश-प्रदेश की जनता कभी माफ़ नहीं करेगी क्योंकि उन का अपराध और भी घृणित और माफ़ी से परे है। उन्हें अपने गिरेबाँ में झांक कर देखना होगा कि उन्होंने जयचंद बनकर जाने-अनजाने में आस्तीन के सांपों की लोकोक्ति को चरितार्थ करने में तनिक भी कसर नहीं छोड़ी अब उन्हें अपनी वास्तविक स्थिति तब नजर आएगी जब वह उपचुनाव के लिए मैदान में उतरेंगे।
लोगों का मानना है कि अभी भी समय है कि जो लोग पीठ पीछे वार करने का मौका देख रहे हैं वे मुख्य धारा में लौट आए अन्यथा ना रहेगा बांस और न बजेगी बांसुरी।
वर्तमान परिस्थितियों में अगर मैं स्वच्छ राजनीति के दिग्गज, महारथी श्री बृज बिहारी लाल बुटेल जी का ज़िक्र न करूं तो कलम के साथ बहुत नाइंसाफी होगी….
पंडित सुखराम ने 1998 में आय से अधिक संपत्ति के मामले में सीबीआई के छापे के बाद कांग्रेस पार्टी छोड़ दी थी।।
इसके बाद उन्होंने अपनी पार्टी बनाई, जिसका नाम था ‘हिमाचल विकास कांग्रेस’. चुनाव के बाद उन्होंने बीजेपी के साथ गठबंधन किया और सरकार में शामिल हुए. 1998 में मंडी सदर से विधानसभा चुनाव लड़ा और 22,000 से ज़्यादा वोटों से जीत हासिल की. यह जीत राज्य में सबसे ज़्यादा थी।
*हिमाचल विकास कांग्रेस* के गठन के समय कुछ नेताओं के इधर-उधर खिसकने की चर्चाएं चरम सीमा पर थीं। इसी संदर्भ में कांग्रेस के कर्मठ सिपहसालार श्री बृज बिहारी लाल बुटेल जी का मन टटोलने की मंशा से उनसे मुलाकात की तो उनका सीधा उत्तर था….