कई बिमारियों में रामबाण है बुरांष का फूल

लोग साल भर इसके खिलने का इन्तज़ार करते हैं

0

कई बिमारियों में रामबाण है बुरांष का फूल

 

INDIA REPORTER NEWS

RAJESH SURYAVANSHI, Editor-In-Chief

प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण हिमाचल प्रदेश अपने हरे-भरे जंगलों, कलकल बहते नदी-नालों, ब़र्फ से लदे पहाड़ों और बेशक़ीमती जड़ी-बूटियों की वजह से विश्व के मानचित्र पर अपनी विशेष पहचान रखता है। हिमाचल के जंगलों में कई ऐसे फल-फूल और जड़ी-बूटियॉं मौजूद हैं, जो अपने विषिष्ट गुणों के कारण कई बिमारियों में रामबाण का काम करते हैं। ऐसे ही विषिशेषष्ट गुणों से भरपूर है-बुरांष के फूल, जो जनवरी माह के अंत तक जंगलों में खिलना आरम्भ हो जाते हैं। इसके विषिष्ट गुणों के चलते लोग साल भर इसके खिलने का इन्तज़ार करते हैं। इसकी लोकप्रियता का अन्दाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बाज़ार में आते ही यह हाथों-हाथ बिक जाता है।

हिमाचल के पहाड़ों पर आजकल खिले ‘बुरांश के फूल’ स्थानीय लोगों के अलावा पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बने हुए हैं। मनमोहक, आकर्षक एवं क़ुदरती गुणों से भरे हुए इन फूलों को प्रदेश में आने वाले पर्यटक और स्थानीय लोग अपने-अपने कैमरों में क़ैद कर रहे हैं। भले ही बुरांष के ये फूल कुछ दिनों बाद जंगल से अपना डेरा-डंडा उठा लें लेकिन लोगों की स्मृतियों और कैमरों में क़ैद होने के बाद ताउम्र ताज़ा रहेंगे।

बुरांश के पेड़ समुद्रतल तल से लगभग 1500 मीटर से 3600 मीटर तक की ऊंचाई पर पाए जाते हैं। यह वृक्ष मुख्यतः ढलानदार जमीन पर पाए जाते हैं। बुरांश की विषेषता है कि वे देखने में जितने सुन्दर होते हैं, उतने ही स्वास्थ्यवर्धक भी होते हैं। हिमाचल प्रदेश के काँगड़ा, मंडी, शिमला, चम्बा तथा सिरमौर ज़िलों में बुरांश के पेड़ अधिक संख्या में पाए जाते हैं।

स्थानीयता के अनुसार इन फूलों को विभिन्न ज़िलों में आमतौर पर बुरांस, ब्रास, बुरस या बराह के फूल के नाम से जाना जाता है। विषेषज्ञों के अनुसार लाल रंग वाले बुरांश के फूलों का औषधीय महत्व अधिक होता है। कई शोधों के अनुसार बुरांश एन्टी डायबिटिक, एन्टी इन्फ्लामेट्री और एन्टी बैक्टिरियल गुणों से भरपूर होता है। इस तरह इन फूलों को बेहद स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है। लोग इन्हें बवासीर, लीवर, किडनी रोग, खूनी दस्त, बुखार इत्यादि के दौरान प्रयोग में लाते हैं। कई लोग इनकी पखॅंुड़ियों को सुखाने के बाद इन्हें साल भर प्रयोग में लाते हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों में, जहॉं वृद्ध आज भी बुरांश के मौसम में इसकी चटनी बनवाना नहीं भूलते, वहीं युवाओं में भी यह चटनी इतनी ही प्रिय है। इसके अलावा अब आधुनिक फल विधायन के माध्यम से बुरांश के फूलों का जूस बनाया जा रहा है। बुरांष का जूस बाज़ार में साल भर आसानी से उपलब्ध रहता है, जो इसकी बढ़ती लोकप्रियता का द्योतक है। जहॉं, इन फूलों का प्रयोग औषधीय रूप में किया जाता है, वहीं यह कई सप्ताह तक स्थानीय लोगों की अतिरिक्त आय के साधन के रूप में उनकी आर्थिकी को सम्बल प्रदान करता है।

Leave A Reply

Your email address will not be published.