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कविता
पालमपुर की प्रख्यात लेखिका श्रीमती सुरेश लता अवस्थी की मार्मिक रचना “‘नहीं इस दुनिया…
SURESH LATA AWASTHI,
CHOWKI KHALET, PALAMPUR,
MOB : 82787 39443
"नहीं इस दुनिया में,
अपनी इच्छा से जन्म लेता है इन्सान"
नहीं इस दुनिया में,
अपनी इच्छा से जन्म लेता है इन्सान,
फिर क्यों पड़ जाते हैं,
उसके अलंग अलग नाम।
क्यों बन…
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कौतूहल….. प्रख्यात लेखिका श्रीमती सुरेश लता अवस्थी की संरचना
सुरेश लता अवस्थी,
चौकी खलेट, पालमपुर।
कौतूहल
बैठे थे वे दोनों बैंच पर,
इक दूजे से सट कर मिलकर।
लगते थे कुछ घबराए से,
यहॉं वहाँ नजरें थी हऱ पल।
कौतूहल बढ़ा मेरे मन में,
बूढ़े अम्मा बाबा को देख कर।
अपनी जिज्ञासा को मिटाने,
बैठ गई…
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सीखा पर्वतों से मैंने…प्रख्यात कवयित्री श्रीमती सुरेश लता अवस्थी की खूबसूरत रचना
Smt. SURESH LATA AWASTHI,
CHOWKI KHALET, PALAMPUR
MOB : 8278739443
सीखा पर्वतों से मैंने...
मैने पर्वत की ऊँचाइयों से
सब सहना सीखा है,
सुख- दुख दोनों में सम रह कर,
मैने तो जीना सीखा है।
कभी बादल देते ओलों की मार,
वर्षा…
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‘लक्ष्य’ बतातीं प्रख्यात लेखिका श्रीमती सुरेश लता अवस्थी
Suresh Lata Awasthi,
CHOWKI KHALET, PALAMPUR
MOB : 8278739443
लक्ष्य
चाहते हो जो सफल कहाना
लक्ष्य एक बना लो अपना
उस पर खूब करो फिर मेहनत
पूरा कर लो अपना सपना।
लक्ष्य नही तो भटक जाओगे
जीवन भर फिर पछताओगे
क्या करें औऱ क्या ना…
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प्रख्यात लेखिका श्रीमती सुरेश लता अवस्थी की बेबाक रचना “लोकतंत्र में राजनीति”
सुरेश लता अवस्थी, चौकी खलेट, पालमपुर।
लोकतंत्र में राजनीति
लोकतंत्र में राजनीति की अजब ही बात है
कुर्सी और स्वार्थ का गजब का साथ है।
रिश्ते नाते सगे सम्बन्धी सब बेमानी हैं
इस राजनीति के मारे नही मांगते पानी हैं।
यहॉं कुर्सी के लिए…
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अपने बच्चों की शरारतों पर डांट मत लगाना, शरारत किए जसवन्त गुज़र ही गया जमाना
कर्नल जसवन्त सिंह चन्देल
कलोल बिलासपुर हिमाचल प्रदेश
बचपन की सारी शैतानियां,
छोड़ दी थी जवानी में।
बुढ़ापा आया याद आईं कहानियां,
सब्र कर उमर गुजरेगी बदनामी में।
सहपाठी के झोले से गाजनी चुराना,
साथ बैठी लड़की का पैर दबाना,
उसी की…
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जी भर के जी ले प्यारे जितनी बची है खाते में, फिर न कहना *मुझे पता ही नहीं चला*
*पता ही नहीं चला*
अरे यारों कब 30+, 40+, 50+, 60+ के हो गये
*पता ही नहीं चला*।
कैसे कटा 21 से 31,41, 51 और 61 तक का सफ़र
*पता ही नहीं चला*!
क्या पाया क्या खोया क्यों खोया
*पता ही नहीं चला*
बीता बचपन गई जवानी कब आया बुढ़ापा
*पता ही…
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“आजकल की राजनीति देख कर मन मेरा घबराता है” Dr. Poonam Sharma की प्रासंगिक रचना
Written by :
Dr. Poonam Sharma, PALAMPUR
आजकल की राजनीति देख कर
मन मेरा घबराता है,
लोकतंत्र की धज्जियां उड़ती देख,
विश्वास डगमगाता है।
राजनेताओं के भाषणों में
दिखती सत्ता की लो लुप्त,
देश हित और जनहित की बातें छोड़,
एक-दूसरे…
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पत्थरों के शहर में
पत्थरों के शहर में
कच्चे मकान कौन रखता है...!
आजकल हवा के लिए
रोशनदान कौन रखता है...!!
अपने घर की कलह से
फुरसत मिले तो सुने..!
आजकल पराई दीवार पर
कान कौन रखता है...!!
खुद ही पंख लगाकर
उड़ा देते हैं चिड़ियों को..!
आज कल परिंदों…
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फौजी : प्रख्यात कवयित्री सुरेश लता अवस्थी की मार्मिक रचना, भावविभोर हो जाएंगे आप फौजी और उसके परिवार…
SURESH LATA AWASTHI
CHOWKI, PALAMPUR
Mob : 82787 39443
फौजी
कब क्या हो, कौन जाने
संगीनों के साए में, बारूद के ढेर पर,
सरहद पे खड़ा सीना ताने,
खड़ा है फौजी घर से दूर,
मिलने से मजबूर,
हृदय वेदना कौन…
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