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कविता
बरबाद करी दिते इन्हे बदमासें ये नयाणे, by Col. Jaswant Singh Chandel
दौलतां रे फुके ये गठड़े इनांरे सिरा पाणे,
बरबाद करी दिते इन्हे बदमासें ये नयाणे,
तयाड़ी जे पड़कणी इनां रे क्हरां च अंग,
तां सारयां ई तड़फना बच्चयां खातर लग।
माऊरा क्या बणगां बच्चयां ओणा बर्बाद,
किंयां चलणा संसार किंयां…
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कर्नल साहिब की *ज़िद्द* “बुजुर्ग” और “ज़िद्द”
Col. Jaswant S. Chandel
बुजुर्ग
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गांव के बुजुर्ग कुछ हद तंदरुस्त देखे,
खाते- पीते चलते -फिरते दुरुस्त देखे,
हां हवेली की सीढ़ियां चढ़ते थके देखे,
शाम क्या पड़ी अंधेरा होते सुस्त देखे।
मगर कहीं गांव में घूमते सियार…
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बिना गुनाह ये खंजर घोंपते देख रखे हैं मैंने..कर्नल जसवन्त सिंह चन्देल
हाव -भाव
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लोगों के कई हाव -भाव देख रखे हैं मैंने,
करतब इनके बड़े चाव से देख रखे हैं मैंने,
मेरे सामने मेरे ही कसीदे बुनते हैं ये लोग,
इन्हें दूसरों के घाव कुदेरते देख रखे हैं मैंने।
बिना गुनाह ये खंजर घोंपते देख रखे हैं…
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कई अमीरों को अपनी ज़मीर बदलते देखा है : Col. Jaswant Singh Chandel
जीवन के हर पहलू और वक्त को देखा है,
गुलामी से आजादी तक के फ़र्क को देखा है,
बहुत सारे गरीबों को अमीर बनते देखा है,
कई अमीरों को अपनी ज़मीर बदलते देखा है।
सैनिक हूं मैंने मौत को करीब आते देखा है,
डर के हैवान को गरीब बन के जाते…
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वो ढलता पिछला जमाना जाते देख रखा है मैंने,….कर्नल जसवन्त सिंह चन्देल
दातों की जटिल से जटिल समस्याओं का दर्द रहित उपचार केवल पालमपुर में विश्व स्तरीय अत्याधुनिक उपकरणों द्वारा
तड़प.....
ढलता पिछला जमाना जाते देख रखा है मैंने,
बाप कोअंगोछा पहनें कमाते देख रखा है मैंने ,
मां को कहां रहती थी दिन-रात…
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देशभक्त सन्यासी विवेकानंद…महान कवयित्री कमलेश सूद द्वारा स्वरचित मौलिक रचना
माननीय मंच को नमन।
दिनांक : १२.१.२०२३
विषय :देशभक्त संन्यासी विवेकानंद
शैली:कविता
देशभक्त संन्यासी था वह
स्वतंत्रता का अभिलाषी था
आशाएं थीं केंद्रित उसकी
नवयुवकों की नवपीढ़ी पर
वीर्यवान, तेजस्वी, ओजस्वी
और…
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“ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं है अपना ये त्यौहार नहीं”
CONTRIBUTED BY....
RAMESH BHAU,
Veteran Journalist & Social Worker of repute
यह नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं
है अपनी ये तो रीत नहीं
है अपना ये व्यवहार नहीं
धरा ठिठुरती है सर्दी से
आकाश में कोहरा…
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“कहां हो तुम!!” देवभूमि पालमपुर की महान साहित्यकार श्रीमती कमलेश सूद द्वारा कलमबद्ध…
Presented by ....
RAJESH SURYAVANSH
समर्पण
(18 अक्टूबर 1942 से 24 नवंबर 2019)
मेरे पति डॉक्टर विनोद कुमार जी को सादर समर्पित ।
"इस कदर जिया हमने ज़िन्दगी को
कि हर पल की इक किताब बनती गई।
बेशक ढलती रही उम्र यहाँ सालों…
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यह तेरा दिल है या चट्टान का कोई पत्थर…. कर्नल जसवन्त सिंह चन्देल
COL. JASWANT SINGH CHANDEL
KALOL, BILASPUR
Mob : 9418425568
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क्या हुआ गर आज बगल में साकी न सही,
होठों पर प्याला हलक में शराब भी न सही,
हम को तो आदत पड़ी है हर रोज़ पीने की,
मयखाने न मिली तो…
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कैसे वक़्त बीता….. कर्नल जसवन्त सिंह चन्देल
कैसे वक्त बीता
Col. Jaswant S. Chandel,
Kalol, Bilaspur (H.P.)
Mob : 941842556
खौफ के साए में यह वर्ष बीता,
कभी मैं जीता कभी वक्त जीता,
यह क्रम तो चलता रहा वर्ष भर,
क्या बताऊं कैसे कैसे वक्त बीता।
मंजिल से पहले कदम रुक गया,…
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