आगरा : बुधवार को नदी खतरे के निशान 130 को पार कर 134 मीटर पर बह रही है। इससे मऊ की मढै़या, गोहरा, रानीपुरा, भटपुरा, गुढ़ा, झरना पुरा, पुरा शिवलाल, पुरा डाल, उमरैठा पुरा, कछियारा, रेहा, डगोरा, भगवान पुरा, क्योरीपुरा का तहसील मुख्यालय से संपर्क टूट गया। उमरैठा पुरा के घरों तक पानी भरने से इस गांव को खाली करा दिया गया है। 75 परिवारों ने बीहड़ के टीले अथवा दूसरे गांवों में शरण ली है। एसडीएम बाह अब्दुल बासित ने बताया कि डीएम के माध्यम से एनडीआरएफ की मांग की गई है। इधर, बुधवार को कछार के गांवों और घरों में पानी घुसने लगा। इस पर दिनभर प्रशासन की टीमें चंबल किनारे के निचले इलाकों को खाली कराने में जुटी रहीं। उमरैठा पुरा गांव को खाली करा दिया गया है। गांव के भजन सिंह, हेत सिंह, तहसीलदार, कप्तान, लटूरी, रघुवीर आदि 75 परिवारों ने या तो अपने रिश्तेदारों के यहां या फिर बीहड़ के टीले पर अपना ठिकाना बनाया है।
बुधवार को प्रति घंटे एक फीट की दर से बढ़ रही चंबल लाल निशान पार कर 134 मीटर के स्तर को छू गई है। अनुमान है कि नदी दो साल पहले के 136.20 मीटर के स्तर तक पहुंच जाएगी। इससे कछार के 38 गांवों में हड़कंप मचा हुआ है। हाई अलर्ट के साथ बाह के एसडीएम अब्दुल बासित और तहसीलदार राजू कुमार प्रभावित इलाकों का जायजा लेने के लिए दिनभर दौड़ते रहे।
बुधवार को बेकाबू हुए चंबल के पानी में निचले इलाके के घर डूब गए, झोपड़ियां बह गईं, आफत में पड़ी जान बचाने के लिए गांव के लोग बीहड़ के टीलों की ओर भागने को मजबूर हो गए। गुढ़ा गांव के हजूरी, एवरन, कल्लू, रामदुलारे, रनवीर, पप्पू, सुरेश आदि ने घर डूबने पर बीहड़ के टीले पर डेरा डाल लिया है। पशु बांध लिए हैं। गोहरा गांव में रामनरेश, कोमल सिंह, मुनेश, तूफान सिंह, शैलेश सिंह, रामसेवक, कीर्तिराम, नीरज, अवधेश, सत्यराम आदि की झोपड़ियां जलमग्न हो गई हैं। ग्रामीणों ने जानकारी दी है कि कई झोपड़ियां पानी के साथ बह गईं। झरनापुरा गांव में मुकेश, मुन्नालाल, राजेश ,राकेश, पप्पू, गोलीराम, राधेश्याम, विद्याराम के घर डूब गए। भगवान पुरा गांव में घरों, झोपड़ियों में पानी भरने से 12 से अधिक परिवारों ने सड़क किनारे बीहड में अपने तंबू तान लिए हैं।
चंबल में बाढ़ से परिषदीय स्कूल भी नहीं बच सके हैं। रानीपुरा, उमरैठा पुरा के प्राइमरी स्कूल के भवन जलमग्न हो गए हैं। गोहरा के प्राथमिक, उच्च प्राथमिक विद्यालय भी डूब गए हैं। झरना पुरा के प्राइमरी स्कूल के प्रवेश द्वार तक पानी भरा हुआ है। डूबे स्कूलों में हुए नुकसान की जानकारी पानी हटने के बाद ही हो सकेगी।
चंबल में उफान के चलते जैतपुर का मऊ की मढै़या गांव चौतरफा पानी से घिर गया है। गांव में तीन लोग पुतई, हजूरी और राजू फंसे रह गए है। हालांकि इनकी झोपड़ियों से पानी दूर है। बाढ़ के पानी से बिजली की लाइनें भी अछूती नहीं रहीं। गोहरा, रानीपुरा, भटपुरा गांव की बिजली की लाइन दो दिन से डूबीं हुई हैं। भगवान पुरा, उमरैठा पुरा, झरना पुरा, डालपुरा, पुरा शिवलाल, रेहा आदि गांवों की लाइनें भी बाढ़ के पानी से प्रभावित हुई हैं। जिससे ये गांव अंधेरे में डूब गए है। ग्रामीणों का कहना है कि मिट्टी का तेल भी नहीं मिलता। चंबल चढ़ रही है। बाह के अधिशाषी अभियंता देवेन्द्र प्रताप वर्मा ने बताया कि बाढ़ से प्रभावित लाइनों की बिजली काट दी गई है।
बुधवार को सूखी पडी उटंगन नदी पूरे पेटे में बहने लगी है। उटंगन और यमुना नदी का पिढ़ौरा गांव में संगम होता है। उटंगन में राजस्थान से छोडे़ गए पानी के यमुना में पहुंचने से बाह में बाढ़ के हालात बन गए है। बटेश्वर में रानी घाट डूब गया है। दूसरे घाटों की ओर भी तेजी से पानी बढ़ रहा है। कचौराघाट के प्राचीन मंदिर की सीढ़ियों तक पानी पहुंच गया है। नदी के उफनाने से तटवर्ती गांवों बटेश्वर, कलींजर, बुढै़रा, स्याइच, कोट, सिधावली, फरैरी, होलीपुरा, कलियानपुर, भरतार, विक्रमपुर , विक्रमपुर कछार, चौरंगा बीहड़ , सुंसार, कछपुरा, पारना, नौगवां, गढ़वार, गढ़ी बरौली, चरीथा, कचौराघाट, खिलावली, खिच्चरपुरा, रामपुर चंद्रसैनी, बिठौली, बलाई, रजौरा, रीठई आदि गांवों में लोग घबराए हैं। गांवों की ओर तेजी से बढ़ रहे पानी ने ग्रामीणों की नींद उडा दी है। 35 गांवों के कछार की फसलें पहले से ही डूबी हुई हैं।