कृषि विभाग के अधिकारियों व कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर के वेज्ञानिकों की सयुंक्त टीम ने छोटा भंगाल क्षेत्र में किसानों के खेतों का निरिक्षण किया।
इस टीम में डॉ० अरुण सूद, प्रमुख विस्तार विशेषज्ञ, प्रसार निदेशालय, चौ० स० कु०, कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर, डॉ. सुशील कुमार, जिला कृषि अधिकारी, पालमपुर, डॉ॰ रेणु शर्मा, विषयावाद विशेषज्ञ कृषि, ब्लॉक बैजनाथ कृषि प्रसार अधिकारी, मुल्थान आदि मौजूद थे।
इसके अलावा श्रीमती पवना देवी, जिला परिषद् सदस्य, गुनेहर वार्ड संख्या 19 व विभिन्न पंचायतों के प्रतिनिधि (प्रधान, उपप्रधान) व किसान भी इस दौरान टीम के साथ मौजूद थे।
इस टीम ने छोटा भंगाल क्षेत्र के योट, कोठिकोहर, नल्होता, बड़ाग्रां और लोहारडी में किसानों के खेतों में बंदगोभी व अन्यों सब्जियों में लग रही बीमारियों का निरीक्षण किया।
इस निरीक्षण के दौरान यह पाया गया कि बंदगोभी की फसल में फफूंद की वजह से जड़ें काली हो रही हैं व सड़ रही हैं जोकि यह ब्लैक लेग ऑफ़ कैबेज नामक बीमारी के कारण है।
इसके अतिरिक्त बंदगोभी की फसल में ब्लैक रॉट नामक बीमारी का प्रकोप भी पाया गया। इन बीमारियों से बचाव व रोकथाम के लिए किसान कॉपर ओक्सीक्लोराइड का 3 ग्राम प्रति लीटर या बौर्डिओक्स मिक्सचर का 1 प्रतिशत का घोल बनाकर छिडकाव करें ।
किसान भाई जब भी फसल बीजते है तब बीजों का बेविस्टीन से बीजोउपचार जरूर करें व पनीरी को फफूंदनाशक से उपचारित करके ही लगायें। खेतों में पानी की निकासी सुनिश्चित करें। रोग ग्रसित पोधों को खेतों से उखाड़ कर नष्ट कर दें ।
इसके अतिरिक्त किसानो से यह आग्रह है कि वो फसल चक्र को अपनाये व हर साल एक ही खेत में एक ही फसल न लगायें। एक ही फसल लगाने के कारण बीमारी के प्रकोप की संभावना अधिक हो जाती है।
इसके अतिरिक्त राजमाश की फसल में एंगुलर लीफ स्पॉट नामक रोग पाया गया जिसकी रोकथाम के लिए किसान बाविस्टिन 1 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर खेतों में छिड़काव करें ।