यशस्वी मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सुक्खू, रजिस्ट्रार और कॉम्पट्रोलर को वित्तीय धाँधली के सन्दर्भ में हस्तक्षेप करने हेतु मिशन अगेंस्ट करप्शन के चेयरमैन राजेश सुर्यवंशी ने भेजा ज्ञापन, उठाई त्वरित हस्तक्षेप की मांग, 1 साल से चल रही विजिलेंस जांच से धांधलियों के बड़े सबूत होने वाले हैं उजागर
पर्दाफ़ाश!
सोसाइटी फॉर ह्यूमन वेलफेयर एंड मिशन अगेंस्ट करप्शन के अध्यक्ष राजेश सूर्यवंशी ने कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में आउटसोर्स सर्विस के टेंडर को लेकर वित्तीय धांधली में सम्मिलित अधिकारियों एवं इस पर हो रही विजिलेंस विभाग द्वारा की जा रही जांच के संदर्भ में मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश, रजिस्टरार कृषि विश्वविद्यालय एवं कॉम्प्ट्रॉलर कृषि विश्वविद्यालय को दिए ज्ञापन में कहा गया है कि विजिलेंस विभाग द्वारा की जा रही जांच में सम्मिलित अधिकारियों की सूची कृषि विश्वविद्यालय ने राज्य सरकार को डाउटफुल इंटीग्रिटी स्कीम के तहत नहीं भेजी।
ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि कृषि विश्वविद्यालय के नियम अनुसार जोकि कृषि विश्वविद्यालय के एक्ट पृष्ठ नम्बर 26 पर साफ-साफ लिखा है कि यदि कोई इंक्वायरी संस्थान के मुखिया पर की जा रही है तो ऐसी अवस्था में मुखिया को सस्पेंड भी किया जा सकता है ताकि वह चल रही जांच में हस्तक्षेप एवं जांच को प्रभावित न करें परंतु कृषि विश्वविद्यालय ने ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की जबकि पहले विश्वविद्यालय में प्रथा रही है कि जिन प्रथम श्रेणी के अधिकारियों के खिलाफ कोई जांच या वित्तीय धाँधली का मामला प्रगति पर है ऐसे अधिकारियों की सूचना राज्य सरकार को देना जरूरी समझा जाता था और विश्वविद्यालय ने दी भी है परंतु वर्तमान में चल रही विजिलेंस की इंक्वायरी में जो अधिकारी शामिल है उनके बारे में विश्वविद्यालय ने राज्य सरकार को कोई जानकारी उपलब्ध नहीं करवाई ।
यह भी उल्लेखनीय है कि यदि कोई अधिकारी वित्तीय अनियमितता में शामिल है तो ऐसी स्थिति में उस अधिकारी को सर्विस एवं रिटायरमेंट वित्तीय लाभों से तब तक वंचित रखा जाता है जब तक कि जांच संपूर्ण न हो जाए।
यदि जांच में अधिकारी वित्तीय धांधलियों में सम्मिलित पाया जाता है तो उसके खिलाफ जरूरी कार्रवाई करते हुए व्यक्तिगत वित्तीय लाभों से वंचित भी किया जा सकता है।
ज्ञापन में साफ-साफ लिखा गया है कि जब तक विजिलेंस की इंक्वायरी पूर्ण नहीं हो जाती तब तक ऐसे अधिकारियों को सर्विस रिटायरमेंट वित्तीय लाभों से वंचित रखा जाए जोकि सर्विस कंडक्ट रूल में एवं कृषि विश्वविद्यालय के एक्ट एंड स्टेच्यू में ऐसा प्रावधान है ।
ध्यान रहे, जानबूझ कर नियमों का पालन न करने पर उत्तरदाई अधिकारियों के खिलाफ भी शिकायत दर्ज करके कार्यवाही की मांग की जाएगी।
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आइए अब इस संदर्भ में थोड़ी विस्तृत जानकारी प्रबुद्ध पाठक वर्ग को देते हैं :-
कृषि विश्वविद्यालय में वित्तीय धांधली का आरोप
सोसाइटी फॉर ह्यूमन वेलफेयर एंड मिशन अगेंस्ट करप्शन के अध्यक्ष सूर्यवंशी ने कृषि विश्वविद्यालय में आउटसोर्स सर्विस के टेंडर को लेकर वित्तीय धांधली के गंभीर आरोप लगाए हैं।
विजिलेंस जांच का सच
विजिलेंस विभाग पिछले लगभग एक साल से इस मामले की जांच कर रहा है। इससे प्रतीत होता है कि मामला बहुत गंभीर और संजीदा है तथा विजिलेंस विभाग के अधिकारियों को कुछ ज़बरदस्त सुराग मिले हैं इसीलिए तो एक साल से जांच ज़ोरशोर से चल रही है। इसके परिणाम से विजिलेंस विभाग की कार्यकुशलता का भी परिचय मिलना तय है क्योंकि मिशन अगेंस्ट करप्शन एनजीओ सरकार के खजाने को चपत लगाने वालों के खिलाफ भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने हेतु अपनी जेब से खर्च करके, कीमती समय लगा कर धाँधली के खिलाफ आवाज़ बुलंद कर रहा है जबकि यह कार्य विजिलेंस विभाग का बनता है।
सरकार का इन जांच एजेंसियों को स्थापित करने का मुख्य उद्देश्य भी भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना है और अगर ये एजेंसियां उस लक्ष्य की पूर्ति में असफल साबित होती हैं तो इनके संचालन का उद्देश्य निरर्थक है।
इन एजेंसियों में कार्यरत कर्मचारियों और अधिकारियों की तनख्वाह और कार्यालयों के रख-रखाव पर खर्च किया जाने वाला अरबों रुपया मिट्टी के समान है।
विश्वविद्यालय द्वारा सूचना छिपाने का आरोप क्या दर्शाता है ?
राजेश सूर्यवंशी का कहना है कि विश्वविद्यालय ने जांच में शामिल अधिकारियों की सूची राज्य सरकार को डाउटफुल इंटीग्रिटी स्कीम के तहत नहीं भेजी है, जिससे पारदर्शिता में कमी आई है और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिला है। ऐसा कयकन संभव हुआ, इसकी गहराई से जांच होनी लाज़मी है।
विश्वविद्यालय के नियमों का उल्लंघन, एक्शन क्यों नहीं हुआ?
सूर्यवंशी के अनुसार, विश्वविद्यालय के नियमों के तहत जांच के दौरान अधिकारियों को निलंबित किया जाना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। आखिर क्यों नहीं हुआ, क्या होगा इस प्रश्न का जवाब?
अधिकारियों को लाभ मिलने का आरोप:
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जांच के दौरान भी अधिकारियों को सेवा और रिटायरमेंट के वित्तीय लाभ मिल रहे हैं, जो नियमों के खिलाफ है। क्यों नहीं हो रही कार्यवाही?
निष्कर्ष:
सूर्यवंशी के ज्ञापन से स्पष्ट होता है कि कृषि विश्वविद्यालय में गंभीर वित्तीय अनियमितताएं हो रही हैं, करोड़ों की धाँधली हो रही है और विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा पारदर्शिता नहीं बरती जा रही है।
आगे की कार्रवाई:
विजिलेंस जांच को तेज किया जाना चाहिए:
लगभग एक वर्ष से कछुए की गति से चल रही जांच प्रक्रिया को और अधिक न लटकाते हुए मंज़िल तक पहुंचाने हेतु विजिलेंस विभाग को इस मामले में तेजी से जांच करनी चाहिए और दोषी पाए गए अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
विश्वविद्यालय प्रशासन को बदलना चाहिए:
विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस मामले में उचित कार्रवाई नहीं की है,और दोषियों को बचाने के लिए तथ्यों को छुपाने के प्रयास किया गया है जोकि प्रीलिमिनरी जांच के परिणाम के बाद साबित भी हो चुका हसि, इसलिए इसे बदल दिया जाना चाहिए।
राज्य सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए:
राज्य सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप कर विश्वविद्यालय में पारदर्शिता सुनिश्चित करनी चाहिए।
जनता को जागरूक करना चाहिए:
जनता को इस मामले के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए ताकि वे इस तरह की अनियमितताओं के खिलाफ आवाज उठा सकें।
महत्वपूर्ण प्रश्न:
क्या विश्वविद्यालय प्रशासन इस मामले में अपनी सफाई देगा?
विजिलेंस विभाग की जांच को विश्वविद्यालय द्वारा भ्रमित जानकारी देकर गुमराह करने व दोषियों को बचाने कज धाँधली में क्या कुछ सामने आएगा?
राज्य सरकार इस मामले में क्या कदम उठाएगी?