पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार की प्रेरणा पुण्य आत्मा श्रीमती संतोष शैलजा प्रभु चरणों में विलीन, मानवता व त्याग की साक्षात मूर्ति थीं संतोष शैलजा!

Shanta Kumar bereaved. वह शांता जी की प्रमुख प्रेरणास्रोत थीं I मानवता व त्याग की साक्षात मूर्ति थीं संतोष शैलजा

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पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार की प्रेरणा पुण्य आत्मा श्रीमती संतोष शैलजा प्रभु चरणों में विलीन

HIMACHAL REPORTER MEDIA NETWORK
PALAMPUR : RAJESH SURYAVANSHI, SMT. PRAVEEN SHARMA

मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश एवं केंद्रीय मंत्री श्री शांता कुमार की धर्मपत्नी श्रीमती संतोष शैलजा आज प्रातः 4 बजे पंचतत्व में विलीन हो प्रभु चरणों में लीन हो गईं। लगभग 85 वर्षीय श्रीमती संतोष शैलजा हाल ही में कोरोना से पीड़ित हो डॉ राजेन्द्र प्रसाद गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल टांडा में उपचाराधीन थीं और वहीं उन्होंने अन्तिन सांस ली। आज उनका नाला मंदिर स्थित जीवन मृत्यु संगम स्थल घुग्गर में अंतिम संस्कार कर दिया गया। उनकी आकस्मिक मृत्यु पर देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद मोदी, उनकी कैबिनेट, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर व उनके मंत्रिमंडल समेत पूर्व विधायक डॉ शिव कुमार, समाजसेवी डॉ राम कुमार सूद सहित अनेक गणमान्य लोगों, बुद्धिजीवी वर्ग व समाजसेवी संस्थाओं ने गहरा दुख व्यक्त किया है तथा दिवंगत आत्मा की शांति हेतु परम पिता परमात्मा से प्रार्थना की है। उनके अंतिम समय में पूर्व स्वास्थ्य मंत्री व विधानसभा स्पीकर श्री विपिन सिंह परमार भी उनके साथ रहे।
उल्लेखनीय है कि श्रीमती संतोष शैलजा ने अपना जीवन सफर एक अध्यापिका के रूप में आरंभ किया था। गवर्नमेंट गर्ल्स स्कूल पालमपुर में उन्होंने काफी तक टीजीटी कला अध्यापिका के रूप में अपनी अमूल्य सेवाएं अर्पित कीं। वह बीएबीएड थीं। उनमें अध्यापन के प्रति एक विशेष ललक थी। गहन रुचि थी। वह अध्यापन कार्य को अपने जीवन का अत्यन्त महत्वपूर्ण व अटूट हिस्सा मानती थीं। वह कहती थीं कि यदि आप अध्यापन को अपनाना चाहते हो तो उसे पूजा समझ कर अपनाओ। उसी में जिओ और उसी में प्राण त्याग दो। उन्होंने ऐसा करके दिखाया भी। अंत समय तक वह लेखन कार्य से जुड़ी रहीं। 
ध्यान देने योग्य है कि जब शांता कुमार जी पहली बार मुख्यमंत्री बने थे तो उन्होंने अपने पद से premature रिटायरमेंट ले ली थी ताकि वह अपने लेखन और पारिवारिक जीवन में सामंजस्य बिठा सकें। 
श्रीमती शैलजा उच्च कोटि की लेखिका भी रह चुकी हैं। उन्होंने अपने जीवनकाल में अनेक कहानियां, कथाएं व नॉवेल लिखे। उनके लेखन में दीन-दुखियों, पीड़ितों व समाज सुधार को लेकर मानसिक पीड़ा स्पष्ट झलकती थी। वह चाहती थीं कि उनका लेखन एक ऐसी सामाजिक क्रांति लेकर आये जिससे सभी का समान व समग्र विकास हो।
जाति-पाती के भेदभाव को मिटाने व दीन-दुःखियों की मदद करने में उन्होंने अपना जीवन झोंक दिया ज़रूरतमंदों की सेवा करना वह अपने जीवन का ध्येय मानती थीं। उनके प्रति उनकी पीड़ा स्पष्ट झलकती थी। उनके पास जो कोई भी अपनी समस्या लेकर जाता था वह उनकी हर संभव सहायता करने के लिए सदैव तत्पर रहती थीं।
रिटायरमेंट के पश्चात उन्होंने समाजसेवा को और अधिक वृहद रूप दे दिया। उन्होंने अपनी नेक कमाई से गर्ल्स स्कूल पालमपुर को एक लाख रुपये दान देकर एक कमरे का निर्माण करवाया ताकि छात्राओं को और अधिक सुविधा हो सके। उस समय सन 2000 में एक लाख रुपये की बहुत अधिक वैल्यू हुआ करती थी। इसके अतिरिक्त कई स्थानों पर जलापूर्ति हेतु हैण्डपम्प लगवाने में उनकी अग्रणी भूमिका रही ताकि लोगों की प्यास बुझाई जा सके। मानव सेवा-माधव सेवा को उन्होंने सर्वोपरि माना था। इसी ध्येय की पूर्ति हेतु उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन लगा दिया।
इतना ही नहीं, शांता कुमार जी के हर कार्य में वह बढ़-चढ़ पर अपना योगदान देती रहीं। वह शांता जी की प्रमुख प्रेरणास्रोत थीं। शांताजी भी हर महत्वपूर्ण कार्य में उनकी राय अवश्य लिया करते थे। आज उनके प्रभु चरणों में चले जाने से उन्हें व उनके परिवारजनों को अत्यधिक पीड़ा हुई है। शरीर का एक अभिन्न अंग सदा के लिए जुदा हो जाने से आज शांता जी एक दम गंभीर व असहनीय पीड़ा से ग्रस्त लग रहे थे। उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि आज उनका सच्चा जीवन साथी उन्हें छोड़ कर जा चुका है।
उल्लेखनीय है कि श्रीमती संतोष शैलजा इतनी उदार हृदय थीं कि जब कोई ज़रूरतमंद बच्चा उनके पास जाता था तो वह उन्हें पाठन सामग्री व अन्य उपयोगी सामान देने हेतु सदैव तत्पर रहती थीं। साधारणजन मानव के सुख-दुख की भावनाओं को उन्होंने अपने पन्नों पर उजागर किया।
उनके पति श्री शांता कुमार दो बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे, केंद्रीय मंत्री रहे लेकिन उनमें कभी अभिमान की अनुभूति देखने को नहीं मिली। वह अत्यंत मधुर स्वभाव, हंसमुख व सादे व्यक्तित्व की महिला थीं। हज़ारों लोगों की दुआएं अंत समय तक उनके साथ रहीं।
हिमाचल रिपोर्टर मीडिया ग्रुप परम पिता परमात्मा से यही प्रार्थना करता है कि वह उन्हें अपने पावन चरणों में स्थान देकर कृतार्थ करें, उनकी दिवंगत आत्मा को शांति दें व शोकग्रस्त परिवारजनों को इस असहनीय दुख को सहन करने की शक्ति प्रदान करें। सच्ची समाज सेविका श्रीमती संतोष शैलजा के इस नश्वर संसार से विदाई लेने से जो रिक्त स्थान उत्पन्न हुआ है उसकी भरपाई करना असंभव है। ॐ शांति!
1 Comment
  1. bk sood says

    बहुत ही दुखद समाचार Ishwar divangat Atma ko Shanti pradan Karen Prabhu Apne Charanon Mein Sthan De aur Santa Ji ko yah Dukh sahne Ka Shakti De

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