महान आत्मा थे अधिवक्ता जगदीश राज रतन, CM ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू और प्रदेशाध्यक्ष राजेश सूर्यवंशी ने जताया शोक





वरिष्ठ अधिवक्ता जगदीश राज रतन जी के निधन पर शोक की लहर – राजेश सूर्यवंशी और मुख्यमंत्री ने व्यक्त की संवेदना

महाधिवक्ता ( Ld. एडवोकेट जनरल) अनूप रतन जी के पूज्य पिता, वरिष्ठ अधिवक्ता जगदीश रतन जी (79) के निधन का समाचार अत्यंत दुःखद है।
उनका जीवन सत्य, न्याय और नैतिक मूल्यों की मिसाल था। उन्होंने समाज और न्याय के क्षेत्र में जो योगदान दिया, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बना रहेगा।
एडवोकेट जगदीश रतन जी ने अपने जीवन में न्याय और ईमानदारी को सर्वोपरि रखा। वे हमेशा वंचितों और शोषितों को न्याय दिलाने के लिए तत्पर रहते थे। उनके सरल स्वभाव, विनम्रता और कर्तव्यनिष्ठा ने उन्हें समाज में एक सम्मानित स्थान दिलाया। कानून के क्षेत्र में उनकी विद्वता और निष्पक्षता की सभी ने सराहना की। वे केवल एक सफल अधिवक्ता ही नहीं, बल्कि समाज सुधारक भी थे, जिन्होंने गरीबों और असहाय लोगों को न्याय दिलाने में अहम भूमिका निभाई।
उनके निधन पर मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि यह समाज और न्यायिक जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उन्होंने दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की और शोकाकुल परिवार को संबल प्रदान करने की कामना की।
इसी क्रम में राजेश सूर्यवंशी, चेयरमैन—मिशन अगेंस्ट करप्शन सोसाइटी, हिमाचल प्रदेश एवं एडिटर-इन-चीफ, HR मीडिया ग्रुप ने भी अपनी संवेदनाएं प्रकट करते हुए कहा कि एडवोकेट जगदीश रतन जी का जीवन नैतिकता, सत्य और न्याय के लिए समर्पित था। उनका समाज में दिया गया योगदान हमेशा याद रखा जाएगा।
हम सभी ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि वे दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें और परिवार को इस कठिन समय में शक्ति प्रदान करें।
महाधिवक्ता अनूप रतन जी अपने पूज्य पिता, वरिष्ठ अधिवक्ता जगदीश राज रतन जी के आदर्शों और सिद्धांतों का अनुसरण कर रहे हैं।
उन्होंने अपने पिता से सत्य, न्याय और नैतिकता के प्रति समर्पण सीखा है। उनके पिता की तरह ही, अनूप रतन जी भी न्यायिक क्षेत्र में निष्पक्षता और ईमानदारी के लिए पहचाने जाते हैं। वे समाज के वंचित वर्गों को न्याय दिलाने के लिए सतत प्रयासरत हैं। उनके कार्यों में उनके पिता के मूल्यों की झलक स्पष्ट दिखती है। वह अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाते हुए न्याय और सेवा के पथ पर अग्रसर हैं। ॐ शांति।







