मुसीबत आ जाए और समाधान दिखाई न पड़े तो इन्सान टूट जाता है। सतीश और उसका छोटा सा परिवार मुरादावाद से काम की तलाश में बिलासपुर आ गया था। उसे क्या पता था कि उसकी 15 वर्ष की बेटी यहां बीमार पड़ेगी और घुमारवीं अस्पताल में आखरी सांस लेगी।
सतीश का घर बार घुमारवीं से 500 किलोमीटर दूर है। नेहा मानव सेवा सोसायटी घुमारवीं नें मोहाली से शव वाहन मंगवा कर इस बेटी के शव को घर पहुंचाने का काम किया।
मण्जुषा सहायता केन्द्र कलोल ने इस परोपकारी काम के लिए 5000/-रुपयों की वित्तीय सहायता प्रदान की।