जीवन के हर पहलू और वक्त को देखा है,
गुलामी से आजादी तक के फ़र्क को देखा है,
बहुत सारे गरीबों को अमीर बनते देखा है,
कई अमीरों को अपनी ज़मीर बदलते देखा है।
सैनिक हूं मैंने मौत को करीब आते देखा है,
डर के हैवान को गरीब बन के जाते देखा है,
बिना हाथ और पांव के बहादुरों को देखा हिन्द लिए शहीद होते पहरेदारों को देखा है।
किस जात नस्ल कौंम धर्म तुम नाम लेते हो,
मेरी जात नस्ल कौंम धर्म तो हरी बर्दी ही है,
न राजनीतिक इच्छा न ही मेरा कोई धर्म है,
खून है निरा हरा मेरा और सेना मेरा कर्म है।