कर्नल जसवन्त सिंह चन्देल की भावनात्मक पंक्तियाँ

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कर्नल जसवन्त सिंह  चन्देल, कलोल, बिलासपुर (हि.प्र.)

Mob : 9418425568

कुछ अटपटे ख्याल

खोटे सिक्के लोगों के चले खूब,
मगर हमारे तो असली भी पास नहीं हुए।
चलता रहा मैं बेखबर इधर-उधर,
मगर इम्तिहानों में अब भी पास नहीं हुए।
रोज़ जमा लेता हूं महफ़िल खूब,
मगर अभी भी दोस्त बेहिसाब नहीं हुए।
दो चार पहुंच जाते हैं सिरफिरे,
मगर हां हम महफ़िल में बेनकाब नहीं हुए।
अरे भाईयो हम जले तो खूब,
मगर अभी तक भी जसवन्त खाक नहीं हुए।

वजह

क्यों शर्मशार हो गए आज दिलदार मेरे,
कोई बजह तो आज जरूर रही होगी,
बुरा मत मान यार मेरे बेबजह शर्मशार,
इस बजुआत की बजह तो जरूर होगी।

कल तक तो सब ठीक ठाक चल रहा था,
सुबह के हालात की बजह तो जरूर होगी,
रात के अन्धेरे में चांद ठीक ढल रहा था,
आंखों में नींद भरी बजह तो जरूर होगी।

बेबजह मत सताया कर तू अपने दिल को,
दिल की बजह से ही यार यह बजह होगी ,
बड़े काम का है यह मत रूलाया कर दिल को,
तुम मानो न मानो बजह तो दिल की ही होगी।

कर्नल जसवन्त सिंह चन्देल कलोल बिलासपुर हिमाचल

हवाएं भी धोका दे गईं

कुछ हवाओं के झोंके उनके वहां से आए,
हवाओं से हाल पूछा कहा पता नहीं।

सो रहे थे अंदर मुस्कुराते फूलों से पूछ आए,
खिड़कियां बंद थीं हाल चाल पता नहीं।

ओस की बूंदें टपक रही थीं बाक़ी सनाटा था,
बूंदों ने कहा सोने दो बाकी पता नहीं।

गुज़र गईं हवाएं इस बार भी मेरे आशियाने से,
पतझड़ जैसा सावन बाकी पता नहीं।

ख़बर की आस थी पक्की इस बार जसवन्त मगर,
हवाएं भी धोका दे गईं बाकी पता नहीं।

कर्नल जसवन्त सिंह चन्देल कलोल बिलासपुर हिमाचल।

दुआएं

जो दुआएं कमाते हैं हर रोज़,
उनके पास धन होता ही नहीं,
पांच की दवा दस में देते रोज़,
उनके पास मन होता ही नहीं।

बिन दवाइयां इन्सान हो रहे हैं बेहोश,
बड़ी इमारतों में इलाज होता ही नहीं,
अस्पताल की इमारत के उद्घाटन रोज़,
मगर अन्दर वहां डाक्टर होते ही नहीं।

फर्जी कालेज फर्जी डिग्रियां बिके सरेआम,
शिक्षा दीक्षा जाए पहाड़ में हो रहे बुरे काम,
बाह फिर भी हम पेट भर खाना खा लेते हैं,
जय हो मजदूर किसान है मेरा देश महान।

कर्नल जसवन्त सिंह चन्देल कलोल बिलासपुर हिमाचल।

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