*मेरी पोती आई थी जब तब लाई फूलों के गुच्छे* by Col. Jaswant Singh Chandel
पोती के लिए
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आई थी जब तब लाई फूलों के गुच्छे,
बहारें भी साथ लाई थीं फूलों के गुच्छे,
कली बन कर तू आई खुशियां तू लाई ,
तुझे देख कर खुशी से आंखें भर आई।
दिन तो बहुत देखे मगर आज का दिन,
आज का दिन न्यारा है प्यारा यह दिन,
उम्मीदों से भी परे है यह आज का दिन,
उमदा सा खुशियों भरा है आज का दिन।
जिस दिन तूने घुटनों बल चलना सीखा,
उठा कर अपनी पीठ पर बिठा मैं लूंगा,
जिस दिन तूने उंगली पकड़ चलना सीखा,
तुझे जमीन पर भी ठीक चलना सिखा दूंगा।
कर्नल जसवन्त सिंह चन्देल
कलोल बिलासपुर हिमाचल
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