देश सेवा और जनसेवा ने ईश्वर तुल्य बना डाला कर्नल जसवंत सिंह चंदेल को, ईश्वर की साक्षात मूर्त हैं यह महापुरुष

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@कर्नल जसवंत सिंह चंदेल@
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सच कहा है -कुछ लोगों का जन्म ही दूसरों के कल्याणार्थ होता है। इस जगत में मानव योनि में आकर जो मानवता का धर्म निभाये, उसका जीना सार्थक हो जाता है। मानव की यही पर-उपकारी भावना उसे ईश्वर तुल्य बना देती है। मानव रूप में भगवान के दर्शन करने का सौभाग्य मिल जाता है। ‘अतुलनीय व्यक्तित्व श्रृंखला’ में चन्द शब्द ऐसी ही महान विभूति के प्रति समर्पित करने का सुअवसर मिला है। एक ऐसे महान व्यक्तित्व का संक्षिप्त सा विवरण प्रेषित करने का प्रयास कर रही हूंँ जो एक बहादुर सैनिक,वैद्य, साहित्यकार, समाज सेवक जो हर समय दीन, दुखियों, पीड़ितों, असहायों, जरूरतमन्दों के दर्द दूर करने के लिए तत्पर रहते हैं। आपका जन्म27 जुलाई. 1945 को तत्कालीन बिलासपुर रियासत के डूडियाँ गाँव (कलोल) में पिता लम्बरदार मियां ‘शिव नंद’ चंदेल और माता शेरनी अम्मा ‘राम देवी’ के घर सात बेटों और बेटियों में सबसे छोटे होनहार बालक के रूप में कर्नल जसवंत सिंह चंदेल जी का जन्म हुआ। जुझारू,कर्मठ,मेहनती,उच्च सकारात्मक पारिवारिक विचारों और सुन्दर, स्वास्थ्यवर्धक प्राकृतिक वातावरण में पल कर बड़े हुए जवान गबरू के मन में मानवता और देश सेवा का जज्वा कूट कूट कर बचपन से ही भरा था ।आपकी शैक्षिक यात्रा कलोल से गतिमान होती हुई तलाई पाठशाला से सफलता की राह बढ़ती हुई डिग्री कॉलेज तक पहुंचती है और 27 जुलाई 1963 को डोगरा रेजिमेंट में सिपाही पद पर भर्ती होकर अगली मंजिल की राह को प्रगतिभिमुख हो जाती है। प्रादेशिक और राष्ट्रीय स्तर पर प्रशिक्षण केन्द्र पर अपनी शारीरिक, मानसिक योग्यता के आधार पर श्रेष्ठ प्रदर्शन करके अनूठी प्रतिभा के धनी कर्नल जसबंत सिंह चंदेल जी अपनी पहली ट्रेनिंग में (आल राउंड बैस्ट) प्रथम रहे। अपनी इसी योग्यता और श्रेष्ठता के आधार पर मात्र चन्द वर्षों में ही सर्विस सिलेक्शन बोर्ड परीक्षा उतीर्ण कर इंडियन मिल्टरी अकादमी देहरादून से 15 जून 1969 को सेकेंड लेफ्टिनेंट बन कर 12 जम्मू -कश्मीर राइफ़ल्स यूनिट ज्वाईन किया। देश प्रेम और सेवा भावना ही जीवन का लक्ष्य रहा, इमानदारी, लगन परिश्रम का शीध्र परिणाम देखने को मिला जब 1982 में राष्ट्रपति द्वारा विशिष्ट सेवा पदक और सेनाध्यक्ष (1982) सेना कमांडर, उत्तरी कमान(1986)द्वारा पेशेवर दक्षता के लिए प्रशस्ति प्रमाण पत्र से अलंकृत किये जाने के बाद आप कर्नल बन गए।आपका जीवन संघर्षों, चुनौतियों से भरा हुआ भले ही क्यों न हो लेकिन हिम्मत, बहादुरी, लगन, अथाह प्रयासों से एक मजबूत और कामयाब व्यक्तित्व का परिचय दिया है।
आपकी शादी 11 दिसम्बर 1970 को श्री मति प्रेमलता जी से हुई जो बहुत ही मिलनसार, मृदु स्वभाव और हँसमुख प्रवृत्ति की हैं। अच्छी लेखिका, साहित्यकारा है। आपके तीन बच्चे, दो बेटियाँ एक बेटा, 8.दिसम्बर 1971 को जन्मी ज्येष्ठ कन्या मन्जूषा का जन्म जब हुआ, उस समय भारत -पाक युद्ध चल रहा था, कैप्टन के पथ पर कर्तव्य पालन करते हुए आप पंजाब सीमा पर तैनात थे। दूसरी बेटी सृजना का जन्म 16 जुलाई 1973 तथा बेटे का जन्म 15 अगस्त 1978 को हुआ। बेटा रणजीत चंदेल भी भारतीय सेना में अपनी सेवायें दे रहे हैं। बेटी मन्जूषा की शादी 22 जुलाई 1994 में कांगड़ा के थिल गाँव निवासी मर्चैट नेवी कैप्टन अजय कुमार से हुई। इनके दो बच्चे मास्टर अर्चित और बेटी कुमारी आस्था है। कहते हैं होनी को कोई टाल नहीं सकता –2003 में बेटी मन्जूषा एस0 एल0 ई0 बीमारी से पीड़ित हुई। इलाज बहुत हुआ मगर दुर्भाग्यवश 2006 में मन्जूषा की दोनों किडनियाँ खराब हो गई। ए0 आई0 आई0 एम0 एस0 दिल्ली में मन्जूषा का इलाज चल रहा था। 13 अक्तूबर 2008 को पिता द्वारा अपना गुर्दा बेटी की जान बचाने के लिए दान किया गया। मन्जूषा कुछ वर्ष स्वस्थ रही मगर बीमारी से जूझती हुई 29 जून 2014 को इस संसार को अलविदा कह गई। परिवार और माता पिता ने इस दुख से उबरने के लिए मानव हित में कल्याणार्थ कार्यों को करना ही मन्जूषा के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि मानी और ससुराल पक्ष-मायका पक्ष दोनों ने मन्जूषा सहायता केन्द्र की स्थापना की जो कलोल बाॅडीगार्ड हाउस के प्राँगण में है। इसके मुख्य संरक्षक मन्जूषा के पति श्री अजय कुमार है और संरक्षक मन्जूषा की माता श्रीमती प्रेमलता चंदेल जी है। कर्नल जसवंत सिंह चंदेल जी अध्यक्ष के रूप में अपनी सेवायें दे रहे हैं। अन्य पदाधिकारी सभी अपना अपना दायित्व निभा रहे हैं। मन्जूषा सहायता केन्द्र आज मानव पुण्य धर्म का वृहद रूप /आकार ले चुका है जहाँ दीन, दुखियों, पीड़ित, असहायों की हर संभव वित्तीय मदद की जाती है।
किसी व्यक्ति, परिवार का मकान जलने से या किसी और कारण से क्षतिग्रस्त हो गया हो केन्द्र द्वारा सामर्थ्य अनुरूप सहायता दी जाती है। कोई होनहार बच्चा जो पढाई में होशियार है मगर घर की माली हालत ठीक नहीं है, केन्द्र द्वारा उस बच्चे का पढाई का खर्चा उठाया जाता है। गरीब परिवार की कन्याओं के विवाह पर हर संभव वित्तीय सहायता दी जाती है। एकल नारी या विधवा जो अपना भरण पोषण करने में असमर्थ हो, केन्द्र द्वारा वित्तीय सहयोग किया जाता है। विकलांग व्यक्ति की देखरेख के लिए तथा कोई व्यवसाय करने के लिए प्रोत्साहन राशी दी जाती है।
इसके अलावा भिन्न भिन्न विषयों को लेकर लोगों में जागरूकता पैदा करने का हर सम्भंव प्रयास रहता है। एडस जैसी बीमारी के प्रति समाज को जागरूक करना, प्रशासन की मदद से रक्तदान शिविर लगाने का प्रबन्ध करना, भ्रूण हत्या, बाल विवाह, दहेज प्रथा जैसी कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाना, स्वच्छता पर विशेष ध्यान, पहनने लायक और साफ सुथरे पुराने कपड़े इकट्ठे करके जरूरतमंदो और कोढ़ आश्रम में बाँटना, नजदीक के प्राईमरी हैल्थ सैन्टर में मैडिकल कैंप के दौरान आयोजकों और मरीजों के लिए चाय पानी की व्यवस्था करना, पूर्व सैनिकों, उनकी विधवाओं परिवारों की समस्याओं को लिखित/मौखिक रुप में सैनिक बोर्ड अधिकारियों तक पहुंचाना। असमर्थ अथवा एकल व्यक्ति जिनका अन्तिम संस्कार करने वाला यदि कोई नहीं है तो वहाँ केन्द्र द्वारा वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। कन्या के जन्म पर माता को प्रशस्ति पत्र दिया जाता है। एकल कन्या को बेटा जैसा पालन पोषण करने के लिए उस कन्या के नाम का यूको बैंक कलोल में एक हजार रुपये का खाता खोलकर पासबुक माँ के हाथ सौंपी जाती है। मन्जूषा के नाम पर चलाया गया यह केन्द्र केवल परमार्थ के लिए है जहाँ से आज तक अनेकों जरूरतमंदो को वित्तीय सहायता प्रदान की जा चुकी है, अंधेरे घरों को रौशन किया जा चुका है। यह कर्नल जसवंत सिंह चंदेल और उनकी पूरी टीम को जाता है।
कर्नल साहब समाज सेवक के साथ साथ सुलझे हुए साहित्यकार, लेखक और कवि है। आपके अथक प्रयासों से, सही तथ्यों को इकट्ठा करके आप द्वारा लिखित हिमाचल के बहादुरों पर किताब ‘हिमाचल के रणबाँकुरे’ प्रकाशित हुई है जिसको पढ़ते हुए आँखों के समक्ष कल्पना में तैरते हुए वो जैसे वास्तविक दृश्य अवलोकित होते हैं।
एक हिन्दी कविता किताब — बीते दिन।
एक पहाड़ी कविता किताब–कोटधारा री कलम।
बाल उपयोगी साहित्य।
गुर्दे की बीमारी प्रत्यारोपण —गुर्दा।
पारिवारिक —लंबरदारों के पुत्र।
इसके अतिरिक्त अखवारों, पत्र-पत्रिकाओं में भी आपका लेखन पढ़ने को मिलता है।
कर्नल साहब होम्योपैथिक डिग्री होल्डर है और मन्जूषा सहायता केन्द्र में निशुल्क दवाइयाँ जरूरतमंदो को मिलती है। कलोल जो बिलासपुर जनपद के परगना बसेह की धार कोट के पूर्वी अँचल में स्थित यह छोटा सा गाँव किसी धार्मिक स्थल से कम नहीं है जहाँ मन्जूषा सहायता केन्द्र लोगों में आस्था का भाव रहता है। अतः कर्नल जसवंत सिंह परोपकारी, महान विभूति बहादुर सैनिक को कोटिशः वंदन है 🙏

शीला सिंह
लेखिका बिलासपुर हिमाचल प्रदेश

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