कंगाली से त्रस्त कांग्रेस सरकार की कथनी-करनी में फर्क, जनता के लिए हाथ तंग और माननीयों पर धनवर्षा

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SHIMLA

GEETA CHOPRA

सुख की सरकार होने का नारा देने वाली कांग्रेस सरकार ने विधायक निधि के बाद अब विकास कार्यों के लिए उपायुक्तों को मिलने वाला करोड़ों का अनुदान भी रोक दिया है। आर्थिक संकट के कारण श्रीलंका जैसा संकट पैदा होने की बात करने वाली प्रदेश की नई सरकार अब मंत्रियों, कैबिनेट रैंक के नेताओं और सीपीएस की कोठियों पर जिस तरह से करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, उससे तो लग रहा है कि राज्य में कोई आर्थिक संकट नहीं है। ऐसा प्रतीत होता है कि करीब 75 हजार करोड़ रुपये के कर्ज में डूबी सरकार के पास मंत्रियों, सीपीएस की शानो-शौकत और ठाठ-बाट के लिए धन की कोई कमी नहीं है।

सचिवालय के कार्यालय हों या मंत्रियों, कैबिनेट रैंक पर नियुक्त नेताओं की कोठियां हों, महीने भर से इनकी मरम्मत और सजावट का काम चल रहा है। हालांकि, मंत्रियों की कोठियों की हालत ऐसी नहीं थी कि इन पर इतना पैसा बहाया जा सके, लेकिन सरकार साज-सज्जा से कोई समझौता नहीं करना चाहती है।

IRT की टीम ने वीरवार को पूरा सूरते-हाल जानने के लिए इन दफ्तरों और कोठियों का मुआयना किया तो कथनी और करनी में फर्क साफ नजर आया।

मंत्रियों, सीपीएस, कैबिनेट रैंक वाले नेताओं व पदाधिकारियों के दफ्तरों और कोठियों में करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं।

राज्य सचिवालय में मंत्रियों और मुख्य संसदीय सचिवों (सीपीएस) के दफ्तरों की बात करें तो टीक, पाइन आदि की बेशकीमती लकड़ी दीवारों पर सज रही है या सीलिंग हो रही है।

कहीं टाइलें बदली जा रही हैं तो कहीं लकड़ी का काम पूरा होने के बाद रंग-रोगन हो रहा है। मुख्यमंत्री के सरकारी निवास सहित मंत्रियों की कोठियों को भी इसी तरह से चकाचक किया जा रहा है।

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