48 कोरोना पाॅज़िटिव मामले आने से दहल उठा पालमपुर, मच गया हड़कम्प

पालमपुर में घबराहट का माहौल

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48 कोरोना पाॅज़िटिव मामले आने से दहल उठा पालमपुर

INDIA REPORTER NEWS
PALAMPUR : RAJESH SURYAVANSHI


प्राईवेट शिक्षण संस्थान में एक साथ 48 कोरोना पाॅज़िटिव मामले

पालमपुर में आज एक प्राईवेट शिक्षण संस्थान में एक साथ 48 कोरोना पाॅज़िटिव मामले आने से हड़कम्प मच गया है। ज्ञातव्य है कि स्वास्थ्य विभाग ने उक्त शिक्षण संस्थान में छात्राओं के जो कुछ कोरोना टैस्ट किए थे उनमें से 48 की रिपोर्ट पाॅज़िटिव आने की सूचना प्राप्त हुई है। अभी बाकी टैस्ट किए जाने हैं। हालांकि स्थानीय प्रशासन व ज़िला स्वास्थ्य विभाग स्थिति को नियन्त्रित करने की पुरज़ोर कोशिश में लगा हुआ है लेकिन लोगों द्वारा कोविड-19 से जुड़े नियमों में बरती जाने वाली लापरवाही से प्रशासन को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उक्त शिक्षण संस्था के संचालकों ने हांलांकि काफ़ी सावधानी बरती थी फिर भी ऐसी ख़तरनाक स्थिति का उन्हें सामना करना पड़ रहा है।

पालमपुर में घबराहट का माहौल

उल्लेखनीय है कि अभी हाल में पूर्व मुख्यमंत्री शान्ता कुमार जी की धर्मपत्नी स्व0 संतोष शैल्जा जी इस महामारी का शिकार हुई थीं। शांता जी के पूरे परिवार के कोरोना संक्रमित होने का दुःख भी लोगों को झेलना पड़ा था, बेशक लोगों की दुआओं और बेहतर ईलाज के चलते वे स्वस्थ हो गए। पिछले सप्ताह पालमपुर के दो भाईयों की कोविड-19 से मृत्यु हो गई थी। पालमपुर के लोग अभी इस ग़म से उबर भी नहीं पाये थे कि एक साथ 48 कोरोना पाॅज़िटिव मामले आने से पालमपुर में घबराहट का माहौल है।

 स्थिति और भी विकट होने की सम्भावना

अगर सूत्रों की मानें तो और अधिक कोरोना टैस्ट किये जाते हैं तो परिणामस्वरूप यहां स्थिति और भी विकट होने की सम्भावना है। कोरोना पाॅज़िटिव मामलों को बढ़ने से रोकने के लिए प्रषासन ने लोगों को हिदायत दी है कि मास्क का नियमित प्रयोग करें, हाथों को स्वच्छ रखें और उचित दूरी व सोषल डिस्टैंसिंग के नियम का सख़्ती से पालन करें। लापरवाही बरतने के गम्भीर परिणाम सामने आ सकते हैं।

स्थिति से निपटने की कोई कारगर योजना अभी स्पष्ट नहीं

सरकार ने स्कूलों की खोलने की इज़ाज़त तो दे दी है लेकिन विकट से स्थिति से निपटने की कोई कारगर योजना अभी स्पष्ट नहीं हो पाई है। जब उक्त शिक्षण संस्थान के बड़ी उम्र के समझदार व्यस्कों का यह हाल है तो सोचिए अन्य शिक्षण संस्थाओं के छोटी कक्षाओं के बच्चों का क्या हाल होगा जो अभी नासमझ बच्चे हैं। स्कूल में हर समय कौन उनकी रखवाली करेगा?

अभिभावक अपने जिगर के टुकड़ों को स्कूल भेजने से हिचकिचा रहे

हालात की गम्भीरता से डरे हुए बच्चों के अभिभावक अपने जिगर के टुकड़ों को स्कूल भेजने से हिचकिचा रहे हैं। उन्हें अपने बच्चों के स्वास्थ्य की चिन्ता हर पल सता रही है। क्या स्कूल इस ज़िम्मेदारी को उठाने का रिस्क लेंगे। किसी भी स्कूल ने इस भयावह स्थिति से निपटने की कोई ठोस योजना अभी तक नहीं बनाई है। खा़सकर कुछ प्राईवेट स्कूल जिन्हें मात्र बच्चों से फ़ीस उगाहने की चिन्ता सताती रहती है क्या वे बच्चों के स्वास्थ्य की ज़िम्मेदारी उठा पायेंगे? स्पश्ट है कि ऐसा कुछ नहीं होने वाला है।

अभी भी वे बिस्तर पकड़े हुए हैं कई लोग

किसी आपात् स्थिति में स्कूल बच्चों को माता-पिता के आसरे ही छोड़ने वाले हैं। जब बड़ी उम्र के लोग सावधानी नहीं बरतते तो छोटे बच्चों से क्या उम्मीद की जा सकती है, सोचने वाली बात है। ईष्वर न करे कि कहीं अगर स्थिति और गम्भीर हो गई तो सरकार के सामने भी गम्भीर संकट खड़ा हो सकता है।
अभी तो हालत ऐसे बने हुए हैं कि कोरोना का डर दिनोंदिन बढ़ता ही जा रहा है। पालमपुर व आसपास के क्षेत्रों में कई लोग ऐसे भी हैं जो कोविड-19 के चंगुल में फेसने के बाद ठीक तो अवश्य हो गए हैं लेकिन अन्दरूनी कमज़ोरी अभी भी उन्हें खाए जा रही है। अभी भी वे बिस्तर पकड़े हुए हैं।

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