नए मंत्री : बिलासपुर से धर्माणी, बैजनाथ से किशोरी लाल और तीसरा फिलहाल….? मंत्री बनने की दौड़ में CPS किशोरी लाल सबसे आगे, मिलने वाला है वफादारी और ईमानदारी का सिला, धर्माणी की भी खुलने वाली है लॉटरी, तीसरा कौन सा गुल खिलेगा, यह सवाल हुआ पेचीदा

राजनीतिक घमासान : जो जीता वही सिकन्दर

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 SHIMLA

RAJESH SURYAVANSHI
Editor-in-chief, HR  MEDIA NETWORK, Chairman; Mission Against Corruption Bureau, HP. Mobile : 9418130904
INDIA REPORTER TODAY (IRT)
हिमाचल प्रदेश सूक्खू सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार पर बिलासपुर जिले से तस्वीर लगभग साफ़ हो चुकी हूं जबकि प्रदेश के सबसे बड़े ज़िले कांगड़ा से भी ढूंढ के बादल छंटते नज़र आ रहे हैं।
 लोकसभा चुनाव से पूर्व नए मंत्री बनने तय हैं।  बिलासपुर से धर्माणी, ज़िला कांगड़ा के बैजनाथ से किशोरी लाल (कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के भी करीबी) को मंत्रीरूपी प्रशाद मिलने की पूरी-पूरी आशा बंधती नज़र आ रही है। कांग्रेस और सूक्खु के साथ लंबी वफादारी इस विश्वास को और अधिक मज़बूत बना रही है। यदि सभी पैमाने यूं ही चलते रहे, गोटियां यूं ही बिछी रहीं तो सियासी पंडित किशोरी लाल की ताजपोशी को गारंटीड मान कर चल रहे हैं।
आईये, नज़र डालते हैं किशोरी लाल के राजनीतिक कैरियर व कांग्रेस से उनकी अटूट वफ़ादारी पर, उनकी वरिष्टता भी अपने आप में बहुत मायने रखती है। अगर इस बार भी उन्हें वफ़ादारी व वरीयता का सिला नहीं मिला तो शायद ही यह स्वर्णावसर दोबारा नसीब हो….
हिमाचल प्रदेश की राजनीति का केंद्र बिंदु रहे कद्दावर नेता पण्डित सन्त राम के दबदबे वाले अत्यन्त महत्वपूर्ण विधानसभा क्षेत्र  के दूसरी बार विधायक बने श्री किशोरी लाल का ठाकुर सुखविन्दर सिंह सुक्खू कैबिनेट में मंत्री बनना लगभग तय माना जा रहा है।

ज़िला कांगड़ा को दो मंत्री दिए जाने की अटकलों के ज़ोर पकड़ने के वीच 76 वर्षीय श्री किशोरी लाल के नाम पर मोहर लगना तकरीबन पक्का है।
इसके पीछे तर्क ये दिए जा रहे हैं कि श्री किशोरी लाल एक तो वरिष्ठ कांग्रेसी हैं जो पूर्व काबीना मंत्री व कांग्रेसी दिग्गज स्व पंडित संत राम की प्रेरणा से राजनीति में आए और पूरी ईमानदारी व कर्मठता से निरन्तर आगे बढ़ते रहे। जनसेवा की ललक उन्हें ऐसी लगी कि वह मतदाताओं के चहेते नेता बन कर उभरे।

ये उनके सतत प्रयास ही थे जो उन्होंने पुनः जीत दर्ज की व विधायक बने।
कृषक परिवार में जन्मे व पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ से शिक्षित श्री किशोरी लाल अत्यन्त सौम्य स्वभाव के स्वामी हैं। सहजता, समरसता, सहयोग व स्पष्टवादिता उनके व्यक्तित्व के अनमोल गहने हैं।

मिलनसारी व उच्चकोटि के चरित्र के बल पर श्री किशोरी लाल ने हिमाचल प्रदेश की राजनीति में जो स्थान बनाया है, वह बेमिसाल है। ईमानदारी उनके सिर चढ़ कर बोलती है।
अगर हम उनके राजनीतिक चरित्र की बात करें तो वह स्वच्छ छवि के स्वामी हैं। बेदाग चरित्र भी ऐसा जिस पर आज तक कोई लांछन नहीं लगा पाया। ऐसे बेदाग नेता आजकल विरले ही मिलते हैं जो मात्र जनता की सुख सुविधा के लिए ही जीते हैं।
वह जनता के सुख-दुख में शरीक होते हैं। जनता की समस्या को वह अपनी सनस्या समझ कर हल करते हैं।
गरीबों, ज़रूरतमंद व असहाय लोगों के तो वह नसीहा कहलाते हैं।

खुशमिजाज श्री किशोरी लाल को मंत्री वनाए जाने के पीछे एक और बड़ी बात यह है कि वह क्षेत्र व क्षेत्रवासियों के विकास में कोई कसर नहीं छोड़ते।
सर्वांगीण विकास ही उनके जीवन का लक्ष्य है जो अन्य नेताओं से उनगें पृथक करता है।
मंत्री बनाए जाने पर वह पूरे प्रदेश का बिना भेदभाव से पूर्ण विकास करवाएंगे, ऐसा लोगों जा मानना है।
एक और तर्क यह बताता जा रहा है कि श्री किशोरी लाल मुख्यमंत्री के अटूट सहयोगी हैं, करीबी हैं व वफादार हैं। साथ ही बैजनाथ को पिछले कई वर्षों से मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व नहीं मिला है इसलिए भी लोग श्री किशोरी लाल को कैबिनेट मंत्री बनाए जाने के पक्षधर हैं।
आगे मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविन्दर सिंह सुक्खू के साथ उनकी वफादारी क्या रंग लाती है, यह तो आने वाला समय ही बताएगा।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर इस बात को वरीयता दी जाती है कि मुख्यमंत्री सूक्खु अपने वफादारों को कभी पीछे नहीं छोड़ते, उनकी उंगली पकड़ कर सदा प्रथम पंक्ति में अपने साथ लेकेर चलते हैं तो श्री किशोरी लाल को उनकी वफादारी का सिला मिलता नज़र आ रहा है।

💐अब फिर से आते हैं मुद्दे की बात पर….

सियासी मण्डली के मुताबिक पिछली कांग्रेस सरकार में भी वीरभद्र मंत्रिमंडल में राजनीतिक गणित के चातुर्य के अनुसार सब एक-एक करके ही मंत्री बने थे। 

तत्कालिक परिस्थितियों के अनुसार राजनीतिक गणित के अनुसार बड़ी चतुराई से गोटियां बिछा कर जैसा खेल राजा वीरभद्र सिंह ने खेला था, सुक्खू भी मंत्री की एक कुर्सी खाली रखकर सियासत की नई बिसात बिछाने की फ़िराक़ में दिखाई देते हैं।

इसकी एक वजह यह भी है कि हमीरपुर और कुल्लू में ऐसे दावेदार अभी हैं, जो अपने ऊंचे सियासी कद या क्षेत्रीय संतुलन के ठोस तर्क दे रहे हैं। कांग्रेस के सत्ता में आने पर मुख्यमंत्री पद के लिए सुक्खू के नाम की घोषणा हुई तो यह माना जाने लगा कि धर्माणी हर हाल में मंत्री बनेंगे, पर ऐसा नहीं हुआ।

मुख्यमंत्री सुक्खू और उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री के शपथ लेने के महीने भर के इंतजार के बाद कैबिनेट में जो सात मंत्री शामिल हुए, उनमें धर्माणी नहीं थे। हालांकि सुक्खू के दोस्त रहे धर्माणी भी उनकी तरह वीरभद्र खेमे से हमेशा दूर रहे। इसीलिए वर्ष 2012 में ब्राह्मण समुदाय के धर्माणी हाईकमान के पास जातीय और क्षेत्रीय संतुलन की दुहाई देते हुए भी मंत्री नहीं बने।

सुक्खू-धर्माणी का यह अनोखा रिश्ता उनके अब तक मंत्री न बनने से अबूझ पहेली बना है। सुक्खू के बयान से साफ है कि एक मंत्री बिलासपुर से होगा। चूंकि बिलासपुर से धर्माणी कांग्रेस से इकलौते विधायक हैं। इससे लग रहा है कि वह मंत्री बन जाएंगे। सुक्खू ने कांगड़ा से भी मंत्री बनाने की बात कही है, मगर वहां से दो मंत्री बनेंगे, ऐसा नहीं कहा है। वहां मंत्री पद के लिए शुरू से दावेदार धर्मशाला के विधायक सुधीर शर्मा सब्र का बांध थामे हैं।

धर्माणी मंत्री बनते हैं तो दूसरे ब्राह्मण चेहरे को कैबिनेट में न लेेने के बहाने भी सुधीर दौड़ से बाहर हो सकते हैं। दूसरे ब्राह्मण नेता ज्वालामुखी के विधायक संजय रतन भी इस पैमाने से अनदेखे हो सकते हैं, जो पहले सुक्खू विरोधी खेमे में रहे हैं। उधर, विधायक भवानी पठानिया भी सुक्खू से नजदीकियां बढ़ा चुके हैं। बाकी भविष्य के गर्भ में है। देखगें ऊंट किस करवट बैठता है।

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