ग्रामीण आजीविका के लिए सीएसआईआर की प्रौद्योगिकयों सीएसआईआर-आईएचबीटी की प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन

( एक दो दिवसीय प्रौद्योगिकी प्रदर्शन और नेटवर्किंग सम्मेलन)

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ग्रामीण आजीविका के लिए सीएसआईआर की प्रौद्योगिकयों सीएसआईआर-आईएचबीटी की प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन

( एक दो दिवसीय प्रौद्योगिकी प्रदर्शन और नेटवर्किंग सम्मेलन)

RAJESH SURYAVANSHI
Editor-in-Chief
HR MEDIA GROUP

सीएसआईआर-राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं नीति अनुसंधान संस्थान (निस्पर) नई दिल्ली, उन्नत भारत अभियान (यूबीए), और विज्ञान भारती (विभा) ने संयुक्त रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका के अवसर सृजन के लिए सीएसआईआर प्रौद्योगिकियों के प्रसार के लिए एक बड़ी पहल की है। इस संदर्भ में, सीएसआईआर- निस्पर, सीएसआईआर- आईएचबीटी, उन्नत भारत अभियान (यूबीए), और विज्ञान भारती (विभा) ने संयुक्त रूप से सीएसआईआर- आईएचबीटी, पालमपुर में 29-30 जून 2022 को दो दिवसीय प्रौद्योगिकी प्रदर्शन और नेटवर्किंग सम्मेलन का आयोजन किया। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य सीएसआईआर-आईएचबीटी द्वारा विकसित ग्रामीण प्रौद्योगिकियों का उजागर और प्रदर्शित करना था ताकि किसानों की आजीविका सृजन में सहायता मिले एवं उद्यमों के अवसरों के बढ़ाकर उनकी आय में वृद्धि की जा सके।

सम्मेलन में वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, जांचकर्ताओं, क्षेत्रीय समन्वय संस्थानों (आरसीआई) और यूबीए, एसएचजी, एफपीओ और ग्राम समुदाय के प्रतिभागी संस्थानो को एक मंच पर एक साथ लाया गया ताकि पहचान की गई प्रौद्योगिकियों के सफलतापूर्वक क्रियान्वयन/उपयोग पर अवसरों के साथ-साथ चुनौतियों पर चर्चा की जा सके।

डॉ. संजय कुमार, निदेशक, सीएसआईआर-आईएचबीटी ने सीएसआईआर प्रौद्योगिकियों के प्रसार और अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं और समाज के बीच की खाई को पाटने के सीएसआईआर एनआईएससीपीआर, यूबीए और विभा के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने ऐसी प्रौद्योगिकियों को विकसित करने का सुझाव दिया जो समाज की आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम हों, जिसके परिणामस्वरूप लोगों का कल्याण हो और हम आत्मनिर्भर भारत में योगदान कर सके।

उन्होंने विज्ञान और प्रौद्योगिकी पहल के माध्यम से समाज की समस्याओं को हल करने के लिए शोधकर्ताओं की भी सराहना की। उन्होंने जंगली जानवरों से प्रभावित ग्रामीण क्षेत्रों के लिए उपयुक्त सुगंधित गेंदा जैसी सीएसआईआर-आईएचबीटी में विकसित प्रौद्योगिकियों कि पर प्रकाश डाला । अरोमा और फ्लोरीकल्चर मिशन की सफलता के साथ-साथ हींग और दालचीनी जैसी फसलों की शुरूआत को भी आजीविका के अवसर पैदा करने और आयात को कम करने में रेखांकित किया गया।

इससे पूर्व प्रो. विवेक कुमार, राष्ट्रीय समन्ायक, उन्नत भारत अभियान, आईआईटी दिल्ली ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से ग्रामीण आजीविका के उन्नयन के लिए उन्नत भारत अभियान के प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने समाजिक उत्थान के लिए प्रौद्योगिकियों को प्रसारित करने के महत्व, सामाजिक आवश्यकताओं और समस्याओं पर विचार करते हुए शैक्षणिक पाठ्यक्रम और अनुसंधान कार्यक्रमों में संशोधन और क्षेत्रीय संसाधनों की सततता पर बल दिया। उन्होंने यूबीए द्वारा 15 विभिन्न विषय-विशेषज्ञ समूहों को तैयार करने और सामाजिक समस्याओं को हल करने के लिए 292 परियोजनाओं को शुरू करने के प्रयासों पर प्रकाश डाला।

डॉ. योगेश सुमन, वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक, सीएसआईआर-निस्पर ने अपनी संबोधन में ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका के अवसर पैदा करने के लिए सीएसआईआर- निस्पर, यूबीए और विभा के संयुक्त प्रयासों का विवरण दिया। उन्होंने (NECTAR), फाउंडेशन फॉर इंटीग्रेटेड सपोर्ट एंड सॉल्यूशन (FISS), नॉर्थ ईस्टर्न डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड (NEDFi), राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड)

और भारत सरकार के अन्य मंत्रालय उत्तर पूर्व विकास मंत्रालय जैसे विभिन्न हितधारकों के साथ स्थापित किए गए संबंधों पर प्रकाश डाला। उन्होंने सीएसआईआर प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिए संसाधनों की व्यवस्था करने में किसानों और उद्यमियों के सामने आने वाली वित्त प्रबन्धन और बाजारों का पता लगाना जैसी चुनौतियों का उल्लेख किया। उन्होंने विभिन्न एजेंसियों के बीच उचित समन्वय के महत्व और ग्रामीण क्षेत्रों में सीएसआईआर प्रौद्योगिकियों को सफलतापूर्वक क्रियान्वयन में लगातार प्रयासों पर प्रकाश डाला।

प्रो. ए. एम. रवानी, निदेशक, एनआईटी रायपुर ने उन्नत भारत अभियान के माध्यम से ग्रामीण आजीविका में तेजी लाने के लिए यूबीएआरसीआई के परिप्रेक्ष्य को प्रस्तुत किया। उन्होंने क्षेत्रीय समस्याओं की पहचान करने और उनके समाधान खोजने में शैक्षणिक संस्थानों के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने एनआईटी रायपुर द्वारा किए गए बुनियादी ढांचे का समर्थन करने के लिए ओरिएंटेशन सहयोग क्लब और ग्रामीण विकास जैसे कार्यक्रमों की सफलता पर भी प्रकाश डाला।

श्री प्रवीण रामदास, राष्ट्रीय सचिव, विज्ञान भारती, नई दिल्ली ने शहरी क्षेत्रों से ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के प्रवास और फिर COVID महामारी के दौरान उनके सामने आने वाली आजीविका चुनौतियों पर चर्चा की। सीएसआईआर द्वारा विकसित बड़ी संख्या में प्रौद्योगिकियों के माध्यम से ग्रामीणों के आय सृजन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि भारत में लगभग 6 लाख गाँव हैं जिन्हें वैज्ञानिक और तकनीकी पहल के माध्यम से मुख्यधारा में लाने की आवश्यकता है। उन्होंने सीएसआईआर एनआईएससीपीआर यूबीए और विभा के संयुक्त प्रयासों के माध्यम से सीएसआईआर प्रौद्योगिकियों के ● माध्यम से आजीविका सृजन में अब तक हुई प्रगति पर भी प्रकाश डाला।

प्रो. रंजना अग्रवाल, निदेशक, सीएसआईआर-निस्पर ने देश में ग्रामीण समुदायों के समग्र विकास के लिए उन्नत भारत अभियान और विभा के सहयोग से सीएसआईआर-प्रौद्योगिकियों के प्रदर्शन और प्रसार को सुविधाजनक बनाने में सीएसआईआर-एनआईएससीपी आर के प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए एजेंडा निर्धारित किया। उन होंने इस तरह के प्रदर्शन और बैठक का आयोजन करके प्रौद्योगिकी अपनाने के मुद्दों को हल करने के महत्व पर जोर दिया।

उन्होंने सीएसआईआर की व्यापक पहुंच पर प्रकाश डाला, जिसमें 37 प्रयोगशालाएं हैं और हर क्षेत्र में समाज की सहायता के लिए लगभग सभी क्षेत्रों में प्रौद्योगिकियों के विकास में लगी हुई है। उन्होंने बताया कि सीएसआईआर- निस्पर ने अपने संचार और नीति अनुसंधान के माध्यम से संस्थानों और समाज के बीच एक सेतु की स्थापना की है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि सीएसआईआर-आईएचबीटी द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियां ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका और आय सृजन के उद्देश्यों को प्राप्त करने और आगे लोगों के पलायन को रोकने में सहायक होंगी।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ. शशि धीमान, कुलपति, हिमाचल प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय ने बताया कि उन्नत भारत अभियान की परिकल्पना सौ वर्ष पूर्व गांवों में रहने वाले लोगों की समृद्धि के लिए हिंद स्वराज’ में की गई थी। उन्होंने जोर दिया कि प्रौद्योगिकी समाज केंद्रित होनी चाहिए और समाज के • कल्याण के लिए उपयोग की जानी चाहिए। डॉ. धीमान ने जैविक खेती के महत्व और आवश्यकता पर डाला क्योंकि सिंथेटिक उर्वरक आधारित खेती मिट्टी, पानी, वायु और मानव स्वास्थ्य को प्रदूषित कर रही है। उन्होंने पानी और मिट्टी के कुशल प्रबंधन के लिए तकनीकी हस्तक्षेप की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने अपेक्षा की कि सभी अनुसंधान एवं विकास संस्थान, शैक्षणिक संस्थान और उद्योग समाज की समस्याओं को हल करने के लिए एक साथ आएं। डॉ. धीमान ने प्रौद्योगिकी विकास के •लिए सीएसआईआर-आईएचबीटी के प्रयासों और समाज के उत्थान के लिए उनके प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण की सराहना की।

बैठक के दूसरे सत्र में, सीएसआईआर-आईएचबीटी ने विटामिन डी 2 समृद्ध शिटाके मशरूम रेडी टू ईट फ्रूट व सब्जियां, चाय, चाय आधारित वाइन, चाय कैटेकिन, टी वनेगर, टी माउथवॉश, सगंध, फूलों की खेती के साथ-साथ औद्योगिक रूप से महत्वपूर्ण फसलों जैसे हींग, दालचीनी और केसर से संबंधित कृषि और प्रसंस्करण प्रौद्योगिकियां जैसी लगभग 43 तकनीकों का प्रदर्शन किया।

आयोजन के तीसरे सत्र के दौरान, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, पंजाब, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, लद्दाख, गुजरात, चंडीगढ़, असम, जम्मू और कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, मणिपुर जैसे भारत भर के विभिन्न स्थानों के वैज्ञानिकों, प्रौद्योगिकी डेवलपर्स और हितधारकों के बीच बातचीत हुई। हितधारकों ने सीएसआईआर-आईएचबीटी की खाद्य प्रसंस्करण और पैकेजिंग प्रौद्योगिकियों, अरोमा मिशन और पुष्प खेती मिशन प्रौद्योगिकियों, बांस प्रौद्योगिकी, शिटाके मशरूम, चाय आधारित वाइन हींग, आदि प्रौद्योगिकियों में गहरी रुचि दिखाई।

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