Dr. Sanjay Kumar (Director) की अगुवाई में CSIR-IHBT का कमाल, सिक्किम के कृषि मंत्री ने मोती की खेती पर CSIR-IHBT पालमपुर की की सराहना
सिक्किम के कृषि मंत्री ने मोती की खेती पर सीएसआईआर-आईएचबीटी के प्रयासों की सराहना की
श्री लोक नाथ शर्मा, माननीय मंत्री, कृषि विभाग, बागवानी, पशुपालन और पशु चिकित्सा सेवाएं, सूचना और जनसंपर्क, मुद्रण और स्टेशनरी विभाग, सिक्किम सरकार के साथ श्री भीम लाल दहल, अतिरिक्त निदेशक, बागवानी ने 17-18 फरवरी, 2022 को सीएसआईआर- हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान, पालमपुर, हिमाचल प्रदेश का दौरा किया।
श्री लोक नाथ शर्मा ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को उच्च-स्तर अनुसंधान आधारित प्रौद्योगिकियों के विकास से बढ़ावा देने के लिए संस्थान द्वारा किए गए योगदान की सराहना की। उन्होंने अपने संबोधन के दौरान, सिक्किम में एक सीएसआईआर-आईएचबीटी केंद्र स्थापित करने के लिए गहरी रुचि दिखाई, ताकि संस्थान द्वारा विकसित प्रासंगिक प्रौद्योगिकियों को जल्द से जल्द प्रयोग में लाया जा सके। साथ ही, प्रशिक्षण और कौशल विकास कार्यक्रमों से वहाँ चल रही परियोजनाओं को और अधिक मजबूत मिल सके। माननीय मंत्री जी ने हींग, केसर, मौंक फल और दालचीनी की खेती के आरंभ के अलावा, जल-कृषि एकीकृत मोती की खेती शुरू करने के लिए सीएसआईआर-आईएचबीटी के प्रयासों को सराहा।
उन्होंने ने कहा कि सीएसआईआर-आईएचबीटी की उनकी यात्रा हाइड्रोपोनिक्स और एरोपोनिक्स, हींग, केसर, सुगंधित – औषधीय पौधों एवं फूलों की खेती तथा खाद्य प्रसंस्करण सहित विभिन्न पहलुओं पर आपसी सहयोग को और मजबूत मिलेगी, जो किसानों, बेरोजगार युवाओं के क्षमता निर्माण और उद्यमिता विकास में मदद करेगी। उन्होंने प्रदेश में आम आदमी के उत्थान में सफल ‘मुख्यमंत्री कृषि आत्मानिर्भर योजना’, ‘मुख्यमंत्री पशुधन समृद्धि योजना’ और ‘मुख्यमंत्री मत्स्य उत्पादन योजना’ जैसी चल रही परियोजनाओं की के बारे में भी बताया जिनके चलते, सिक्किम देश का पहला जैविक राज्य बना है।
माननीय मंत्री ने सुगंधित, औषधीय और फूलों की खेती, तथा संस्थान में स्थापित खाद्य प्रसंस्करण, पायलट-स्केल हर्बल प्रसंस्करण, एरोपोनिक और हाइड्रोपोनिक जैसे सुविधाओं का भी दौरा किया।
डॉ संजय कुमार, निदेशक, सीएसआईआर-आईएचबीटी ने माननीय मंत्री जी को संस्थान की प्रमुख उपलब्धियों एवं अनुसंधान गतिविधियों की बारे में भी विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि संस्थान द्वारा जंगली गेंदा, डैमस्क गुलाब, लेमन ग्रास आदि जैसे संसाधनों की खेती और प्रसंस्करण के लिए विकसत प्रौद्योगिकि, किसानों को आत्मनिर्भरता और पारंपरिक फसलों की तुलना में अधिक आय प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
उन्होंने बताया कि सीएसआईआर-आईएचबीटी, पूर्वोत्तर राज्यों के साथ मिलकर कई परियोजनाओं जैसे कि ‘पारंपरिक उद्योगों के पुनर्जनन के लिए निधि की योजना (एसएफ़यूआरटीआई)’ के तहत क्लस्टर विकसित करके विटामिन डी-2 समृद्ध शीटाके मशरूम और वर्मीकम्पोस्टिंग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) – अपशिष्ट प्रबंधन प्रौद्योगिकी (डब्ल्यूएमटी) के तहत एनारोबिक बायोगैस संयंत्र स्थापना और सीएसआईआर अरोमा मिशन के तहत आवश्यक तेल प्रसंस्करण इकाई की स्थापना के लिए काफी समय से काम कर रहा है।