लेमनग्रास और सुगंधित गेंदा की खेती के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर

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लेमनग्रास और सुगंधित गेंदा की खेती के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर

RAJESH SURYAVANSHI
Editor-in-Chief
HR MEDIA GROUP

सी.एस.आई.आर.-हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान, पालमपुर, और देव सूर्य हिमालयन ऑर्गेनिक प्राइवेट लिमिटेड (एफपीओ) , शिमला के बीच आसपास ग्राम पंचायतों और समितियों के किसानों द्वारा लेमनग्रास और सुगंधित गेंदा की खेती को बढ़ावा देने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। अरोमा मिशन के तहत सीएसआईआर-आईएचबीटी द्वारा किसानों को लगभग दस लाख लेमनग्रास पौधे और सुगंधित गेंदा के 75 किलोग्राम बीज प्रदान किए जाएंगे। जिससे इन उच्च मूल्य वाली फसलों के तहत 336 एकड़ के क्षेत्र को कवर करने और क्षेत्र के 1200 से अधिक किसानों को लाभान्वित करने का लक्ष्य रखा गया है।

डॉ संजय कुमार, निदेशक, सीएसआईआर-आईएचबीटी, पालमपुर ने बताया कि सीएसआईआर ने 2017 में अरोमा मिशन के तहत पूरे देश में कृषक समुदाय और ग्रामीण जनता के सामाजिक-आर्थिक उत्थान और रोजगार सृजन के लिए उच्च मूल्य वाली सुगंधित फसलों की खेती को बढ़ावा देने का काम शुरू किया था। अरोमा मिशन के दूसरे चरण के अंतर्गत, सीएसआईआर-आईएचबीटी सुगंधित फसलों की खेती के तहत 3000 हेक्टेयर क्षेत्र लाने के लिए प्रतिबद्ध है जो स्वरोजगार सृजन और किसानों के सशक्तिकरण में मदद करेगा। दुनिया भर में सुगंधित फसलों की खेती उनके उच्च मूल्य वाले आवश्यक तेलों के कारण की जाती है, जिनका उपयोग कृषि रसायन, भोजन, स्वाद, सुगंध और दवा उद्योग में किया जाता है। वैश्विक आवश्यक तेलों के बाजार का आकार 2021 में 10.3 बिलियन अमरीकी डॉलर था और 2026 तक 9.3 % की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ते हुए, 16.0 बिलियन अमरीकी डालर के मूल्य तक पहुंचने की उम्मीद है।

श्री त्रिलोक कपूर, अध्यक्ष, हिमाचल प्रदेश वूल फेडरेशन लिमिटेड और देव सूर्य हिमालयन ऑर्गेनिक प्राइवेट लिमिटेड (एफपीओ), शिमला की ओर से अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता ने कहा कि यह साझेदारी उन्हें पालमपुर क्षेत्र में सुगंधित फसलों की खेती में अग्रणी सीएसआईआर संस्थान के सहयोग से काम करने की अनुमति देगी। ताकि क्षेत्रीय किसानों को अधिक से अधिक लाभ मिल सके। उन्होंने देव सूर्य हिमालयन ऑर्गेनिक प्राइवेट लिमिटेड के साथ सहयोग करने के लिए सीएसआईआर-आईएचबीटी की पहल के प्रति आभार व्यक्त किया और बताया कि यह समझौता किसानों को उनकी आजीविका में सुधार करने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेगा

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