सीएसआईआर-आईएचबीटी में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस समारोह

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सीएसआईआर-आईएचबीटी में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस समारोह

सीएसआईआर-हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान ने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस मनाया।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी के साथ समाज और उद्योग के एकीकरण के लिए प्रौद्योगिक रचनात्मकता और वैज्ञानिक सशक्तिकरण की खोज के प्रतीक के रूप में राष्ट्र प्रत्येक वर्ष 11 मई को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस मनाता है।

यह दिवस 1998 में पोखरण में सफलतापूर्वक किए गये परमाणु परीक्षण तथा विश्व का छठा परमाणु देश बनने पर मनाया जाता है।

संस्थान के निदेशक डा. संजय कुमार ने छात्रों, अध्यापकों और अन्न उपस्थित जन का स्वागत करते हुए प्रौद्योगिकी दिवस की शुभकामनाएं दी।

अपने संबोधन में उन्होंने बताया कि कैसे डिजीटल प्रौद्योगिकी ने हमारे जीवन में परिवर्तन लाया है। इससे ज्ञान के प्रसार को गति मिली है। संस्थान अपने मिशन मोड परियोजनओं के माध्यम से समुदायों के समाजिक-आर्थिक विकास में अपना योगदान कर रहा है। अरोमा मिशन के अन्तर्गत स स्थान किसानों को सगंध फसलों को उगाने एवं इसके प्रसंस्करण द्वारा उनकी आय बढ़ाने में सक्रिय भूमिका निभा रहा है जिससे किसान परम्परागत फसलों की अपेक्षा अधिक आय प्राप्त करके आत्मनिर्भता की ओर बढ़ रहे हैं। अपने संबोधन में उन्होंने वैज्ञानिक अभिरुचि को बढ़ाने के लिए छात्रों का मार्गदर्शन किया। उन्होंने देश की महत्वपूर्ण प्रौद्योगिक उपलब्धियों तथा विभिन्न वैज्ञानिक उपलब्धियों पर चर्चा की जिसके कारण आज देश आत्मनिर्भर बना है।

समारोह के मुख्य अतिथि प्रो. पुलोक कुमार मुखर्जी, निदेशक, जैवसंसाधन एवं स्थायी विकास संस्थान (आईबीएसडी), इंफाल, मणिपुर ने ‘एथनोफार्माकोलोजीः परम्परा से परिवर्तन के लिए एकीकृत शास्त्र और विज्ञान विषय पर प्रौद्योगिकी दिवस संभाषण दिया। अपने संबोधन में डा. मुखर्जी ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में पादप आधारित दवा के विकास में योगदान पर प्रकाश डाला। लोकशास्त्र परम्परा के अनुसार परम्परागत ज्ञान को सहेजने और इसका आधुनिक दवा क्षेत्र में उपयोग और प्रसार की आवश्यकता है। संपूर्ण हिमालयी क्षेत्र औषधीय पादप संपदा का स्रोत है। आवश्यकता इसके प्रलेखन की है ताकि आने वाले समय में गुणवत्ता नियंत्रण और मूल्यांकन करेके संभावित दवाओं का निर्माण करके इस संपदा का उपयोग करके क्षेत्र की जैव आर्थिकी का उन्नयन किया जा सके। यह आत्मनिर्भर भारत की और एक सार्थक कदम होगा।

समारोह में “जिज्ञासा” कार्यक्रम के अंतर्गत प्रदेश के काँगड़ा जिले के नवोदय विद्यालय, पपरोला, राजकीय विद्यालय, सलियाना, डीएवी पालपमुर, डीएवी, आलमपुर, नूगल पब्लिक स्कूल, वृंदावन, परमार्थ स्कूल, बैजनाथ, ग्रीन फील्ड स्कूल, नगरोटा के लगभग 100 छात्रों व शिक्षकों ने भाग लिया तथा प्रयोगशालाओं का भ्रमण किया। इन विद्यार्थियों को संस्थान में विज्ञान के बारे में रोचक जानकारी देने के साथ यह बताया कि दैनिक जीवन में इसका क्या महत्त्व है।

इस अवसर पर, सीएसआईआर-आईएचबीटी द्वारा मैसर्स बिटबेकर रामनट्टुकरा, कोझीकोड, केरल के साथ यात्रा/पॉकेट परफ्यूम एवं वायु फ्रेशनर और मैसर्स अमलगम बायोटेक, अमलगम इंजीनियरिंग पुणे (एमएच) के साथ “कम्मोस बूस्टर रात की मिट्टी/रसोई के कचरे के स्थिरीकरण के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। “आईबीएसडी और सीएसआईआर-आईएचबीटी के बीच अनुसंधान एवं विकास सहयोग के उद्देश्य से एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए गए।

क्षेत्र के गणमान् व्यक्तियों, सीएसआईआर-आईएचबीटी के वैज्ञानिकों, शोध छात्रों, कर्मियों एवं मीडिया प्रतिनिधियों ने भी समारोह की शोभा बढ़ाई।

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