CSIR-IHBT द्वारा बेहतर स्वास्थ्य और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर प्रोग्राम

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बेहतर स्वास्थ्य और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में नवाचार पर आईएचबीटी में कार्यक्रम

सीएसआईआर-आईएचबीटी में चल रहे ‘एक सप्ताह एक प्रयोगशाला’ कार्यक्रम के अन्‍तर्गत 24 फरवरी 2023 को संस्‍थान के वैज्ञानिकों ने स्कूली बच्चों के लिए ‘बेहतर स्वास्थ्य के साथ साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग’ जैसे महतपूर्ण विषयों पर कार्यक्रम आयोजित किया।


सीएसआईआर-आईएचबीटी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. विद्याशंकर श्रीवत्सन ने कुपोषण से निपटने के लिए संस्थान द्वारा विकसित विभिन्न तकनीकों के बारे में स्कूली बच्चों और अन्य प्रतिभागियों को अवगत कराया। उन्‍होंने बताया कि इसके लिए सीएसआईआर-आईएचबीटी द्वारा लक्षित समुदायों की आवश्‍यकताओं को पूरा करने के लिए कई प्रोटीन, आयरन, जिंक और कैल्शियम से भरपूर खाद्य उत्पाद विकसित किए हैं। यह उत्‍पाद बहुत ही उपयोगी हैं तथा जल्‍द ही पूरे प्रदेश में इनका उपयोग किया जाएगा। संस्थान द्वारा विकसित, सूक्ष्म पोषक तत्वों और विभिन्न उत्पादों के महत्व पर बाल विकास अधिकारियों, ब्लॉक पर्यवेक्षकों और जिला/ब्लॉक पोषण अभियान समन्वयकों के लिए एक गहन कार्यशाला और प्रदर्शन कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया।


इस अवसर पर, श्री अशोक शर्मा, जिला कार्यक्रम अधिकारी, कांगड़ा ने स्कूली बच्चों को संतुलित आहार के महत्व पर संबोधित किया। उन्‍होंने बताया कि कुपोषण, भारत में, विशेष रूप से हिमाचल प्रदेश में, 5 वर्ष से कम उम्र के 60% से अधिक बच्चों और प्रजनन आयु की लगभग 50% महिलाओं को प्रभावित करने वाली एक प्रमुख स्वास्थ्य समस्‍या है। उन्‍होंने आए हुए स्‍कूली बच्‍चों से जंक फूड न खाने और प्रोटीन, विटामिन और सूक्ष्‍मपोषक तत्‍वों से युक्‍त भोजन खाने का आह्वान किया।


डॉ. अपर्णा मैत्रा पति, मुख्य वैज्ञानिक, सीएसआईआर-आईएचबीटी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की और कुपोषण से निपटने में सीएसआईआर-आईएचबीटी द्वारा किए गए कार्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि, सीएसआईआर-आईएचबीटी, महिला एवं बाल विकास निदेशालय, आईसीडीएस, हिमाचल प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री बाल सुपोषण योजना के साथ जुड़ा है।

इस अवसर पर, डॉ. अमित कुमार, वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख, पर्यावरण प्रौद्योगिकी ने स्कूली बच्चों को बताया कि संस्थान किसानों के आजीविका विकास के ड्रोन तकनीकी नवाचारों के माध्यम से कृषि पद्धतियों में सुधार लाने के लिए प्रयास कर रहा है। संस्थान ने औषधीय, सुगंधित और व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण फसलों के लिए कृषि के लिए ड्रोन आधारित कृत्रिम बुद्धिमत्ता तकनीक विकसित की हैं। इस अवसर पर ड्रोन का लाइव प्रदर्शन भी किया गया। जिसका बच्चों ने खूब आनंद लिया।
जिज्ञासा कार्यक्रम के अन्‍तर्गत विभिन्‍न विद्यालयों से आए लगभग 600 विद्यार्थियों एवं अध्‍यापकों ने ‘एक सप्ताह एक प्रयोगशाला’ में प्रतिभगिता की। इन विद्यार्थियों एवं अध्‍यापकों ने संस्‍थान की विभिन्‍न प्रयोगशालाओं में शोध कार्यों एवं विकसित प्रौद्योगिकयों के बारे में भी जानकारी प्राप्‍त की।

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