CSIR-IHBT Palampur द्वारा हिमालय की लुप्तप्राय औषधीय पादप प्रजाति पिक्रोराइजा कुरोआ का जिनोम सिक्वेसिंग

सीएसआईआर-आईएचबीटी द्वारा हिमालय की लुप्तप्राय औषधीय पादप प्रजाति पिक्रोराइजा कुरोआ का जिनोम सिक्वेसिंग

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सीएसआईआर-आईएचबीटी द्वारा हिमालय की लुप्तप्राय औषधीय पादप प्रजाति पिक्रोराइजा कुरोआ का जिनोम सिक्वेसिंग

Rajesh Suryavanshi
editor-in-chief

सीएसआईआर- हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान, पालमपुर की वैज्ञानिक टीम ने पिक्रोराइजा कुरोआ (कुटकी) के जिनोम अध्ययन को स्प्रिंगर नेचर प्रकाशन समूह की प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका साईंटिफिक रिपोर्ट में प्रकाशित किया है। (https://www.nature.com/articles/s41598-021-93495-z)। इससे पहले वर्ष 2012 में संस्थान ने इसी प्रजाति के ट्रांसक्रिप्टोम का प्रकाशन किया था। वर्तमान अध्ययन ने पिक्रोराइजा कुरोआ के प्रथम ड्राफ्ट जिनोम को उजागर किया है। इसका एक बड़ा आकार ( 2n = 3.4 GB) है और यह बहुत अधिक जटिल (> 75% complex repeats) है। इस संपूर्ण कार्य को संस्थान ने स्वयं ही किया है।

भारत में एक ही संस्थान द्वारा सिक्वेंस किया हुआ पौधों की प्रजातियों का यह सबसे बड़े ड्राफ्ट जिनोम का पहला उदाहरण है। साथ ही यह सबसे पहला यूकेरियोटिक हिमालयन-औषधीय पादप जिनोम भी है।

पिक्रोराइजा कुरोआ का यह ड्राफ्ट जिनोम इस महत्वपूर्ण लुप्तप्राय हिमालयी औषधीय पौधे के जीव विज्ञान को समझने के लिए एक मूल्यवान संसाधन और संदर्भ जानकारी प्रदान करता है। यूकेरियोट्स के जिनोम को समझना / उजागर करना एक बड़ी चुनौती है जिसके लिए संस्थान के वैज्ञानिकों ने अनेक नवाचार प्रयोग किए।

डीएनए के सिक्केंस को डिकोड करना, जो जिनोम का गठन करता है, जैविक अनुसंधान के लिए अनिवार्य है। डीएनए में न्यूक्लिक एसिड के सिक्वेंस में अंततः जैव-अणुओं की आनुवंशिकता और संश्लेषण की जानकारी होती है। औषधीय पौधों के अनुसंधान में जिनोम सिक्वेंसिंग महत्वपूर्ण है क्योंकि यह औषधीय रूप से सक्रिय यौगिकों के संश्लेषण पर प्रकाश डाल सकता है और साथ ही औषधीय पौधों के सुधार और संरक्षण में सहायता के लिए जटिल आणविक तंत्र (मालिक्यूलर सिस्टम) को समझने में एक प्रमुख भूमिका निभा सकता है।

उच्च औषधीय मूल्य और पादप व्युत्पन्न प्राकृतिक उत्पादों की बाजार मांग को ध्यान में रखते हुए, शोधकर्ता अब औषधीय पौधों के लिए जीनोमिक संसाधनों के विकास पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। औषधीय पौधों की प्रजातियों के जिनोम जिनमें कैथरैन्थस रोसियस, साल्विया मिल्टियोरिरिजा और कैंप्टोथेका एक्यूमिनाटा शामिल हैं, को सिक्वेंस किया गया है।

जिनोम सिक्वेंस की जानकारी से सेकेन्डरी मेटाबोलाइट संश्लेषण के साथ-साथ विभिन्न पर्यावरण के अनुकूलन सहित औषधीय पौधों के कम ज्ञात क्षेत्रों को बेहतर प्रकार से समझा जा सकता है।

पिक्रोराइजा कुरोआ एक लुप्तप्राय औषधीय पौधा है जो पाकिस्तान, भूटान, नेपाल और हिमालय क्षेत्र में समुद्र तल से 3000 •5000 मीटर की ऊंचाई पर पाया जाता है।

पिक्रोराइजा कुरोआ के औषधीय गुण पौधे की पत्ती, प्रकंद और जड़ में उपलब्ध पिक्रोसाइड्स में होते है। पारंपरिक आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में उपयोग के लिए इसे प्राकृतिक वातावरण से व्यापक रूप से ले लिया जाता है।

लीवर संबन्धी रोगों के इलाज के लिए इस प्रजाति का उपयोग कई व्यावसायिक रूप से उपलब्ध दवा फॉर्मूलेशन जैसे लिवोकेयर, लिवोमैप, लिवप्लस और कटुकी में किया जाता है।

हर्बल दवाओं की हाल ही में बढ़ी वैश्विक मांग से पिक्रोराइजा कुरोआ के प्राकृतिक रूप से उपलब्ध पौधों पर अतिरिक्त दबाव पड़ा है। बाजार में अत्याधिक मांग के साथ-साथ जंगली स्रोतों से असंगठित संग्रहण के साथ-साथ खेती की कमी ने इन प्रजातियों को विलुप्त होने के करीब ला दिया है, जिससे इसे लुप्तप्राय प्रजातियों के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।

पिक्रोराइजा कुरोआ के औषधीय एवं आर्थिक महत्व तथा इसकी लुप्तप्राय स्थिति को देखते हुए, पूरे जिनोम को सिक्वेंस करना अतयन्त आवश्यक था, इससे प्रजातियों के सुधार, बेहतर आणविक पहल और संरक्षण में सहायक होने की संभावना है।

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